पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की एकल बैंच ने लगभग सात महीने पूर्व हरियाणा के 1983 पीटीआइ (फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रेक्टर) की भर्ती को रद करते हुए सरकार को आदेश दिया था कि वह पांच महीने के भीतर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करे। लेकिन सात माह बीत जाने और डिविजन बैंच द्वारा इस पर रोक न लगाए जाने के बावजूद ये पीटीआइ सेवारत हैं।
एकल बैंच ने उस समय के हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन पर भी तल्ख टिप्पणी की थी। उसी चेयरमैन को अब हरियाणा टीचर भर्ती बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त करने के खिलाफ याचिका पर ही पिछले सप्ताह कोर्ट ने शिक्षक भर्ती के परिणाम पर रोक लगा दी है।
एकल
बैंच के फैसले के खिलाफ डिविजन बैंच में प्रभावित पीटीआइ के साथ-साथ सरकार ने भी अपील दायर की हुई है। हालांकि अभी तक प्रभावित पीटीआइ व सरकार की अपील पर हाईकोर्ट की डिविजन बैंच ने कोई राहत न देते हुए एकल बैंच के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। लेकिन फिर भी पीटीआइ काम कर रहे हैं। एकल बैंच के फैसले के खिलाफ अपील की प्रथम सुनवाई पर केवल सरकार व भर्ती को चुनौती देने वाले उम्मीदवार ही मौखिक सहमति देते हुए इस मामले में कुछ समय के लिए अवमानना याचिका न दायर करने को राजी हुए थे। लेकिन इस मामले की अपील पर कोई ठोस सुनवाई न होने व डिविजन बैंच द्वारा एकल बैंच के आदेश पर रोक न लगाने से एक सवाल पैदा होता है कि आखिर 1983 पीटीआइ टीचर कब तक काम करेंगे जबकि एकल बैंच इनकी भर्ती को रद कर चुकी है। पिछले सप्ताह भी हाई कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह का दिशा निर्देश जारी न करते हुए मामले की सुनवाई 16 मई तक के लिए स्थगित कर दी
बैंच के फैसले के खिलाफ डिविजन बैंच में प्रभावित पीटीआइ के साथ-साथ सरकार ने भी अपील दायर की हुई है। हालांकि अभी तक प्रभावित पीटीआइ व सरकार की अपील पर हाईकोर्ट की डिविजन बैंच ने कोई राहत न देते हुए एकल बैंच के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। लेकिन फिर भी पीटीआइ काम कर रहे हैं। एकल बैंच के फैसले के खिलाफ अपील की प्रथम सुनवाई पर केवल सरकार व भर्ती को चुनौती देने वाले उम्मीदवार ही मौखिक सहमति देते हुए इस मामले में कुछ समय के लिए अवमानना याचिका न दायर करने को राजी हुए थे। लेकिन इस मामले की अपील पर कोई ठोस सुनवाई न होने व डिविजन बैंच द्वारा एकल बैंच के आदेश पर रोक न लगाने से एक सवाल पैदा होता है कि आखिर 1983 पीटीआइ टीचर कब तक काम करेंगे जबकि एकल बैंच इनकी भर्ती को रद कर चुकी है। पिछले सप्ताह भी हाई कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह का दिशा निर्देश जारी न करते हुए मामले की सुनवाई 16 मई तक के लिए स्थगित कर दी
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