अपने स्कूल के छात्रों के पास होने के फर्जी आंकड़े पेश कर सरकारी स्कूल के एक प्रिंसिपल ने न सिर्फ स्टेट टीचर अवॉर्ड ले लिया बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी (डीइओ) के पद पर प्रमोट भी हो गया। यही नहीं, इसी आधार पर दो साल की एक्सटेंशन देने के लिए आवेदन भी कर दिया गया। मामले का खुलासा तब हुआ जब इस संबंध में मिली एक शिकायत की जांच शिक्षा विभाग ने की।
जांच में ज्वाइंट डायरेक्टर बीआर वत्स ने
पाया कि सोनीपत के जोसराना और रोहतक के मदीना गांव के सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल रहते हुए रोहतक के मौजूदा डीईओ जगबीर सिंह मलिक ने वर्ष २००३-०४ व २००७-०८ के जो आंकड़े दिए थे, वह सही नहीं हैं। ज्वाइंट डायरेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'मलिक ने प्रिंसिपल रहते हुए जोसराना गांव के स्कूल का वर्ष २००३-०४ में १२वीं कक्षा का रिजल्ट ८० फीसदी दिखाया था जबकि शिक्षा बोर्ड के अनुसार यह रिजल्ट ४.५ फीसदी रहा था। इसी तरह दसवीं का पास प्रतिशत ९३.५ फीसदी दिखाया जबकि असल में यह ३० फीसदी रहा था।' वत्स ने कहा कि स्टेट टीचर अवॉर्ड के लिए आवेदन करते समय यह आंकड़े गलत बताए। रिजल्ट के जो आंकड़े मलिक ने पेश किए थे, उनमें और शिक्षा बोर्ड के आंकड़ों में भारी अंतर है। अब सरकार ने मलिक को एक्सटेंशन देने का आवेदन रिजेक्ट कर दिया है।
पाया कि सोनीपत के जोसराना और रोहतक के मदीना गांव के सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल रहते हुए रोहतक के मौजूदा डीईओ जगबीर सिंह मलिक ने वर्ष २००३-०४ व २००७-०८ के जो आंकड़े दिए थे, वह सही नहीं हैं। ज्वाइंट डायरेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'मलिक ने प्रिंसिपल रहते हुए जोसराना गांव के स्कूल का वर्ष २००३-०४ में १२वीं कक्षा का रिजल्ट ८० फीसदी दिखाया था जबकि शिक्षा बोर्ड के अनुसार यह रिजल्ट ४.५ फीसदी रहा था। इसी तरह दसवीं का पास प्रतिशत ९३.५ फीसदी दिखाया जबकि असल में यह ३० फीसदी रहा था।' वत्स ने कहा कि स्टेट टीचर अवॉर्ड के लिए आवेदन करते समय यह आंकड़े गलत बताए। रिजल्ट के जो आंकड़े मलिक ने पेश किए थे, उनमें और शिक्षा बोर्ड के आंकड़ों में भारी अंतर है। अब सरकार ने मलिक को एक्सटेंशन देने का आवेदन रिजेक्ट कर दिया है।
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