प्रदेश पुलिस महकमे में प्रमोशन में आरक्षण का लाभ अब बार-बार नहीं मिलेगा। एससी/एसटी होने कारण पुलिसकर्मियों को तीन बार आरक्षण का लाभ मिलता रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और रोहतक रेंज के आइजी को नोटिस जारी कर 12 अगस्त तक जवाब मांगा है। 1इन आदेशों से प्रमोशन पर गए दर्जनों पुलिसकर्मी एएसआइ नहीं बन सकेंगे। सोनीपत निवासी हेडकांस्टेबल
जितेंद्र, जगदीश, सुनील, रमेश, संदीप, नरेश, मंदीप, राजेश, अमित सहित 50 कर्मचारियों ने 3 मार्च 2011 को याचिका दायर कर आरक्षण के कारण मिलने वाली प्रमोशन पर आपत्ति जताई थी। इस पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी को नोटिस जारी किया था जिन्होंने 21 जुलाई 2011 को दिए जवाब में इस प्रमोशन को जायज बताया था। आरक्षण के तहत पुलिस महकमे में सिपाही से सब-इंस्पेक्टर तक तीन बार प्रमोशन दी जाती थी। ऐसे में सामान्य लोग पीछे रह जाते थे, जबकि बार-बार प्रमोशन लेकर आरक्षण के लाभार्थी सीनियर बन जाते थे। दरअसल, मुख्य सचिव ने 16 मार्च 2006 को प्रमोशन में आरक्षण का बेनीफिट देने के आदेश जारी किए थे, इन आदेशों का ढाल बनाते हुए पुलिस मुलाजिमों को बार-बार प्रमोशन दी जाती रही। 1इसके खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव के आदेशों को खारिज कर दिया था, लेकिन कर्मचारियों को उसका लाभ दिया जाता रहा। इसी को आधार बनाकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचियों को कांस्टेबल से हेडकांस्टेबल तक प्रमोशन पर कोई आपत्ति नहीं, लेकिन बार-बार इसका लाभ लेने गलत बताया गया है। आरक्षण का लाभ लेकर पुलिसकर्मी हेडकांस्टेबल बन जाएगा लेकिन तब तब वह एएसआइ नहीं बनेगा जब तक सामान्य श्रेणी का कर्मचारी एएसआइ नहीं बनता। एएसआइ बनने पर सामान्य मुलाजिम ही सीनियर माना जाएगा। कोर्ट ने अगस्त तक प्रमोशन पर रोक लगा दी है
जितेंद्र, जगदीश, सुनील, रमेश, संदीप, नरेश, मंदीप, राजेश, अमित सहित 50 कर्मचारियों ने 3 मार्च 2011 को याचिका दायर कर आरक्षण के कारण मिलने वाली प्रमोशन पर आपत्ति जताई थी। इस पर मंगलवार को हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी को नोटिस जारी किया था जिन्होंने 21 जुलाई 2011 को दिए जवाब में इस प्रमोशन को जायज बताया था। आरक्षण के तहत पुलिस महकमे में सिपाही से सब-इंस्पेक्टर तक तीन बार प्रमोशन दी जाती थी। ऐसे में सामान्य लोग पीछे रह जाते थे, जबकि बार-बार प्रमोशन लेकर आरक्षण के लाभार्थी सीनियर बन जाते थे। दरअसल, मुख्य सचिव ने 16 मार्च 2006 को प्रमोशन में आरक्षण का बेनीफिट देने के आदेश जारी किए थे, इन आदेशों का ढाल बनाते हुए पुलिस मुलाजिमों को बार-बार प्रमोशन दी जाती रही। 1इसके खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव के आदेशों को खारिज कर दिया था, लेकिन कर्मचारियों को उसका लाभ दिया जाता रहा। इसी को आधार बनाकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचियों को कांस्टेबल से हेडकांस्टेबल तक प्रमोशन पर कोई आपत्ति नहीं, लेकिन बार-बार इसका लाभ लेने गलत बताया गया है। आरक्षण का लाभ लेकर पुलिसकर्मी हेडकांस्टेबल बन जाएगा लेकिन तब तब वह एएसआइ नहीं बनेगा जब तक सामान्य श्रेणी का कर्मचारी एएसआइ नहीं बनता। एएसआइ बनने पर सामान्य मुलाजिम ही सीनियर माना जाएगा। कोर्ट ने अगस्त तक प्रमोशन पर रोक लगा दी है
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