Friday, May 17, 2013

GOVT. NE COURT SE STAY HATANE KE LIYE KAHA

चंडीगढ़ : हरियाणा के एडवोकेट जनरल कार्यालय व शिक्षा विभाग के अधिकारियों में तालमेल का अभाव है। इसका खमियाजा प्रदेश में अध्यापक नियुक्त होने का सपना देख रहे लाखों उम्मीदवारों को भुगतना पड़ रहा है। ध्यान रहे कि हाई कोर्ट ने 11 अप्रैल को हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा किसी भी तरह के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी थी। 1सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग व एडवोकेट जनरल कार्यालय के कानून अधिकारियों के बीच तालमेल न होने की वजह से इस मामले में परिणाम घोषित करने की कोर्ट से इजाजत लेने की मांग की अर्जी एक माह से अधिक समय तक तैयार ही नहीं की गई जबकि यह काम एक-दो दिन में हो सकता था। 13 मई को हाई कोर्ट की फटकार व सरकार को जबाब देने के लिए 20 मई तक का समय देने के बाद अब जाकर दोनों कार्यालयों के अधिकारी हरकत में आए हैं। बृहस्पतिवार को इस मामले में सरकार की तरफ से जवाब दायर करते हुए हाई कोर्ट से मांग की गई है कि वह अपने परिणाम घोषित करने के रोक के आदेश को वापस ले। इस विषय पर हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में माध्यमिक शिक्षा विभाग की अतिरिक्त निदेशक
सुमेधा कटारिया की तरफ से परिणाम पर रोक हटाने व शिक्षक भर्ती बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति को सही ठहराने पर जवाब दायर किया गया। अतिरिक्त निदेशक की तरफ से दायर जवाब में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि हाई कोर्ट ने गेस्ट टीचरों की नई नियुक्ति व कार्यकाल में बढ़ोतरी पर रोक लगाई हुई है। इस कारण नई नियुक्ति जल्दी करने का सरकार पर दबाव है। जवाब के अनुसार शिक्षा का अधिकार लागू करने के लिए तुरंत शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है। इस लिए हाई कोर्ट परिणाम घोषित करने की इजाजत दे। सरकार की तरफ से जवाब में शिक्षक भर्ती बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति को सही ठहराते हुए कहा गया है कि इन सदस्यों का चुनाव कालोजियम द्वारा किया गया था और मुख्यमंत्री ने उसे अपनी मंजूरी दी है। जल्दी भर्ती के लिए इस तरह के बोर्ड की जरूरत थी।

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