Wednesday, June 12, 2013

KHARAB RESULT WALE TEACHERS KO MILEGI SAZA

चंडीगढ़। इस साल दसवीं की परीक्षा में हरियाणा के आधे बच्चे फेल हो गए। इस खराब परिणाम के लिए कौन जिम्मेवार है और स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए सरकार क्या कदम उठाने जा रही है। इन विषयों पर यहां प्रस्तुत हैं शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल से विशेष बातचीत के प्रमुख अंश: दसवीं में आधे बच्चे फेल हो गए। आप इसे कैसे देखते हैं? मैं बेहद आहत हूं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मैंने पूरा प्रयास किया कि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरे। मगर इतने खराब परिणाम की उम्मीद नहीं थी। दसवीं के इस खराब परिणाम के लिए कौन जिम्मेवार है? शिक्षक, अफसर। इसके अलावा बच्चे और अभिभावक भी। शिक्षकों ने पूरी
तन्मयता से पढ़ाई नहीं कराई। अफसरों ने चेकिंग नहीं की। किसी जमाने में जिला शिक्षा अधिकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर जांचने के लिए चेकिंग करने जाते थे। अब यह चेकिंग नहीं हो रही है। शिक्षकों की कमी भी इस खराब परिणाम का मुख्य कारण है। बच्चे पढ़ते नहीं हैं और अभिभावक उन पर ध्यान नहीं देते हैं। शिक्षकों और अफसरों पर क्या कार्रवाई करेंगे? मैं खुद जिलावार बैठक लूंगी। अफसरों के साथ परिणाम पर समीक्षा करूंगी। एससीईआरटी से पहले ही कह दिया गया है कि परिणाम खराब आने के कारण बताए जाएं। घटिया परिणाम वाले शिक्षकों को दंडित किया जाएगा और बेहतर परिणाम वालों को सम्मानित किया जाएगा। शिक्षकों के तबादले साल भर होते रहते हैं। ये तबादले किस हद तक जिम्मेवार हैं? शिक्षा विभाग विद्यार्थी केंद्रित होना चाहिए मगर यह विभाग शिक्षक केंद्रित बन गया है। तबादले सिर्फ जरूरी होने चाहिए पूरे सिस्टम में कहां खामी हैं? पहले आठवीं की परीक्षा में 20-30 फीसदी बच्चे फेल हो जाते थे। दो साल पहले लागू हुए आरटीई में जो बच्चे आठवीं में फेल नहीं हुए वे इस बार दसवीं में फेल हो गए। नकल बंद करना भी परिणाम गिरने का कारण बना? हां। इस बार मैंने प्रण किया था कि नकल किसी भी सूरत में नहीं होने देनी है। पुलिस के विशेष प्रबंध परीक्षा के दौरान कराए गए। नकल बिल्कुल नहीं होने दी। इस कारण परिणाम कम रहा। इसके अलावा पहली बार परिवर्तन किया गया कि थ्योरी और प्रैक्टिकल (सीसीई) दोनों में पास होना जरूरी है। इस बार थ्योरी में बच्चे फेल हुए तो परिणाम गिर गया। सेमेस्टर सिस्टम भी घटिया परिणाम का कारण बना? सेमेस्टर सिस्टम शुरू तो अच्छे के लिए किया गया था मगर दो बार परीक्षाएं होने के कारण समय काफी लगने लगा। बोर्ड में स्टाफ की कमी है। इसलिए फैसला किया गया है कि पहले सेमेस्टर की परीक्षा स्कूल स्तर पर होगी और मूल्यांकन भी वहीं होगा। बोर्ड में सिर्फ अंक भेजे जाएंगे। इससे साल में 30 दिन पढ़ाई के बच जाएंगे। 100 करोड़ रुपये का एजूसेट किस काम आ रहा है? जब ऐसे प्रोजेक्ट शुरू किए जाते हैं तो पायलट आधार पर शुरू होने चाहिए। एजूसेट लगाने से पहले देखना चाहिए था कि गांवों में तो बिजली ही नहीं आती। गांव वाले स्कूलों में बैटरियां खराब हो गई। शिक्षकों की कितनी कमी है? इस समय 24000 शिक्षकों की कमी है। भर्ती अभियान जारी है मगर इस कमी के कारण पढ़ाई का नुकसान तो हो रहा है। इसलिए रिटायर्ड शिक्षकों को भी कांट्रैक्ट पर रखने का फैसला किया गया है।

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