प्रदेश में २००९ में भर्ती किए गए ८५०० जेबीटी टीचर में से बड़ी संख्या में वे केंडिडेट शामिल हैं, जो स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट में बैैठे ही नहीं। उनकी जगह यह परीक्षा किसी दूसरे ने दी। यह गड़बड़ी पकड़ में भी न आती, यदि कुछ उम्मीदवार पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में न जाते।
हाईकोर्ट ने जब इस मामले की जांच स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को सौंपी तो बड़ा खुलासा हुआ। अभी तक ब्यूरो ने ३२०० उम्मीदवारों के फिंगर प्रिंट की
जांच की। इसमें से १०० ऐसे मिले जिनके फिंगर बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहे हैं। अब ब्यूरो ने सभी ८५०० टीचर के फिंगर प्रिंट की जांच का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार स्टेट क्राइम ब्यूरो के भर्ती किए गए टीचर तीन श्रेणी में बांटे हैं। पहली श्रेणी में वे हैं जिन पर कोई शक नहीं है। दूसरी में वे हैं जो पूरी तरह से फर्जी हैं। तीसरी श्रेणी उनकी है जिन पर गड़बड़ी का शक है। इसलिए इस भर्ती में शामिल हुए सभी उम्मीद वारों के फिंगर प्रिंट की जांच की जा रही है। इतना ही नहीं इस भर्ती का रिकॉर्ड भी सील कर लिया गया है। विपक्ष ने इस मामले में बयानबाजी करनी शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में मामला गर्माएगा। २००९ में ८५०० जेबीटी की भर्ती होनी थी। इसके लिए कंडीशन थी कि उम्मीदवार स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास होना चाहिए। दिक्कत यह थी कि तब पद अधिक थे और भर्ती होने वाले कम। इसके बाद भी कुछ उम्मीदवार ऐसे रह गए जो कंडीशन पूरी कर रहे थे, लेकिन नौकरी नहीं ले पाए। ये उम्मीदवार हाईकोर्ट चले गए। अदालत में उन्होंने ६० ऐसे लोगों की लिस्ट भेजी जिन्होंने यह टेस्ट फर्जी तरीके से पास किया था। अदालत के निर्देश पर जब जांच हुई तो ६० में से ८ उम्मीदवार ही सही पाए गए।
जांच की। इसमें से १०० ऐसे मिले जिनके फिंगर बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहे हैं। अब ब्यूरो ने सभी ८५०० टीचर के फिंगर प्रिंट की जांच का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार स्टेट क्राइम ब्यूरो के भर्ती किए गए टीचर तीन श्रेणी में बांटे हैं। पहली श्रेणी में वे हैं जिन पर कोई शक नहीं है। दूसरी में वे हैं जो पूरी तरह से फर्जी हैं। तीसरी श्रेणी उनकी है जिन पर गड़बड़ी का शक है। इसलिए इस भर्ती में शामिल हुए सभी उम्मीद वारों के फिंगर प्रिंट की जांच की जा रही है। इतना ही नहीं इस भर्ती का रिकॉर्ड भी सील कर लिया गया है। विपक्ष ने इस मामले में बयानबाजी करनी शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में मामला गर्माएगा। २००९ में ८५०० जेबीटी की भर्ती होनी थी। इसके लिए कंडीशन थी कि उम्मीदवार स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास होना चाहिए। दिक्कत यह थी कि तब पद अधिक थे और भर्ती होने वाले कम। इसके बाद भी कुछ उम्मीदवार ऐसे रह गए जो कंडीशन पूरी कर रहे थे, लेकिन नौकरी नहीं ले पाए। ये उम्मीदवार हाईकोर्ट चले गए। अदालत में उन्होंने ६० ऐसे लोगों की लिस्ट भेजी जिन्होंने यह टेस्ट फर्जी तरीके से पास किया था। अदालत के निर्देश पर जब जांच हुई तो ६० में से ८ उम्मीदवार ही सही पाए गए।
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