प्रदेश में स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का दबाव कम करने को लेकर उच्चतर शिक्षा विभाग गंभीर हो गया है। इस कवायद के तहत वाइस चांसलरों की एक बैठक सोमवार को चंडीगढ़ में हुई। बैठक में सेमेस्टर सिस्टम को हटाने को लेकर सुझाव मांगे गए हैं। शिक्षा विभाग प्रदेश में वार्षिक परीक्षा सिस्टम लागू करने के पक्ष में है।
सेमेस्टर सिस्टम की परेशानी
गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं को पूरे सेमेस्टर में 90 दिन कक्षा में उपस्थित जरूरी है। जबकि स्टूडेंट्स कक्षाओं से नदारद रहते हैं। इसकी वजह से अधिकतर छात्र पढ़ाई पूरी
नहीं कर पाते हैं। परीक्षा के बाद वहीं प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। इस कारण स्टूडेंट्स भारी दबाव में रहते हैं। ऐसी स्थिति में यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों की सांस्कृतिक एवं खेलों की गतिविधियां भी पूरी नहीं हो पाती हैं। जब कोर्स पूरा होने को होता है तो सभी सेमेस्टर में मिलाकर कई स्टूडेंट्स कंपार्टमेंट कर जाते हैं। दूसरी ओर परीक्षा नियंत्रण विभाग भी परीक्षा लेने, रिजल्ट और मार्किंग के चक्कर में उलझा रहता है। बार-बार परीक्षा कराने व चेकिंग पर उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से भी अनावश्यक खर्च होता है। इन्हीं सभी कारणों को ध्यान में रखकर ही सेमेस्टर सिस्टम बंद करने पर विचार चल रहा है। ऐसे भी हो सकता है बंद प्रदेश की हर यूनिवर्सिटी के पास अधिकार है कि वह परीक्षाओं के लिए सेमेस्टर सिस्टम रखें या वार्षिक। यूनिवर्सिटी प्रशासन चाहे तो शैक्षणिक परिषद की बैठक में इस पर सुझाव रख इसे पारित कर लागू कर सकता है। लेकिन प्रदेश के उच्चतर शिक्षा विभाग ने ही सब जगह एक जैसा सिस्टम अपनाने के लिए बैठक कर सुझाव मांगे हैं। ॥ वाइस चांसलरों की बैठक में सेमेस्टर सिस्टम को बंद करने की बात प्रमुखता से उठी है। इस पर राय मांगी गई। वाई एमसीए यूनिवर्सिटी वरिष्ठ प्रोफेसरों के साथ मंथन कर राय देगा। लेफ्टिनेंट जनरल केएस यादव, वाइस चांसलर वाईएमसी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ॥ स्टूडेंट्स की भलाई के लिए समेस्टर सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है। जिसके तहत ही प्रदेश की यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलरों के साथ बैठक की गई थीं। ये समिति परीक्षा सुधार के लिए मंथन पर सुझाव देगी। इसमें कई विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर शामिल हैं। एचएस चहल, वाइस चांसलर महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी
नहीं कर पाते हैं। परीक्षा के बाद वहीं प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। इस कारण स्टूडेंट्स भारी दबाव में रहते हैं। ऐसी स्थिति में यूनिवर्सिटी एवं कॉलेजों की सांस्कृतिक एवं खेलों की गतिविधियां भी पूरी नहीं हो पाती हैं। जब कोर्स पूरा होने को होता है तो सभी सेमेस्टर में मिलाकर कई स्टूडेंट्स कंपार्टमेंट कर जाते हैं। दूसरी ओर परीक्षा नियंत्रण विभाग भी परीक्षा लेने, रिजल्ट और मार्किंग के चक्कर में उलझा रहता है। बार-बार परीक्षा कराने व चेकिंग पर उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से भी अनावश्यक खर्च होता है। इन्हीं सभी कारणों को ध्यान में रखकर ही सेमेस्टर सिस्टम बंद करने पर विचार चल रहा है। ऐसे भी हो सकता है बंद प्रदेश की हर यूनिवर्सिटी के पास अधिकार है कि वह परीक्षाओं के लिए सेमेस्टर सिस्टम रखें या वार्षिक। यूनिवर्सिटी प्रशासन चाहे तो शैक्षणिक परिषद की बैठक में इस पर सुझाव रख इसे पारित कर लागू कर सकता है। लेकिन प्रदेश के उच्चतर शिक्षा विभाग ने ही सब जगह एक जैसा सिस्टम अपनाने के लिए बैठक कर सुझाव मांगे हैं। ॥ वाइस चांसलरों की बैठक में सेमेस्टर सिस्टम को बंद करने की बात प्रमुखता से उठी है। इस पर राय मांगी गई। वाई एमसीए यूनिवर्सिटी वरिष्ठ प्रोफेसरों के साथ मंथन कर राय देगा। लेफ्टिनेंट जनरल केएस यादव, वाइस चांसलर वाईएमसी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ॥ स्टूडेंट्स की भलाई के लिए समेस्टर सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है। जिसके तहत ही प्रदेश की यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलरों के साथ बैठक की गई थीं। ये समिति परीक्षा सुधार के लिए मंथन पर सुझाव देगी। इसमें कई विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर शामिल हैं। एचएस चहल, वाइस चांसलर महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी
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