बोर्ड एग्जाम में स्टूडेंट्स के खराब प्रदर्शन का असर अब टीचर्स की वार्षिक गुप्त रिपोर्ट (एसीआर) पर पड़ेगा। शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी स्कूलों की रिपोर्ट तलब की है, जिनका परीक्षा परिणाम बोर्ड रिजल्ट की तुलना में काफी कम है। शिक्षा बोर्ड स्कूल स्तर पर यह रिपोर्ट दस जून को जारी करेगा।
इसमें अगर किसी विषय विशेष के खराब प्रदर्शन के कारण स्कूल का रिजल्ट खराब पाया गया तो संबंधित टीचर्स विभाग के निशाने पर होगा। वहीं अगर स्टूडेंट्स की सभी विषयों की परफोरमेंस खराब हुई तो स्कूल प्राचार्य की ओर से सभी स्टाफ पर
कार्रवाई निश्चित है। भिवानी शिक्षा बोर्ड की तरफ से 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में इस बार लड़कों और लड़कियों की पास प्रतिशतता में करीब साढ़े आठ प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल जहां 51.99 प्रतिशत लड़के पास हुए, वहीं इस बार 43.64 फीसदी छात्र ही सफल हुए। गत वर्ष की तुलना में लड़कियां भी 8.76 फीसदी कम पास हुईं। सीनियर सेकेंडरी की तरह दसवीं का रिजल्ट भी काफी खराब रहा। पिछले तीन वर्षों में नतीजों में 20 फीसदी की गिरावट आई। जिले का रिजल्ट इस बार 52 फीसदी आया है। विभाग स्टूडेंट्स के इस खराब प्रदर्शन के पीछे सीधे तौर पर टीचर्स को दोषी मान रहा है। इसलिए हर स्कूल से रिपोर्ट तलब की गई है। ताकि आगामी कार्रवाई की जा सके। सारा दोष विभागीय नीतियों का: वहीं हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन स्कूलों के इस खराब प्रदर्शन के पीछे सीधे तौर पर विभाग की नीतियों को दोषी ठहरा रहा है। जिला महासचिव राजेंद्र जाखड़ का कहना है कि वर्तमान में टीचर्स से टीचिंग के कम और नॉन टीचिंग के काम ज्यादा कराए जा रहे हैं। इसलिए वह बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता। वहीं शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आठवीं तक बिना पढ़े पास होने की प्रवृति से बच्चों में फेल होने का डर खत्म हो गया है। जिसका खामियाजा बोर्ड एग्जाम में उठाना पड़ रहा है। अगर स्कूलों का रिजल्ट सुधारना है तो विभाग को अच्छे स्टूडेंट्स की स्क्रीनिंग के लिए दोबारा पांचवीं व आठवीं कक्षा तक बोर्ड एग्जाम सिस्टम लागू करना होगा। सारा दोष टीचर्स पर थोपना ठीक नहीं है।
कार्रवाई निश्चित है। भिवानी शिक्षा बोर्ड की तरफ से 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में इस बार लड़कों और लड़कियों की पास प्रतिशतता में करीब साढ़े आठ प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल जहां 51.99 प्रतिशत लड़के पास हुए, वहीं इस बार 43.64 फीसदी छात्र ही सफल हुए। गत वर्ष की तुलना में लड़कियां भी 8.76 फीसदी कम पास हुईं। सीनियर सेकेंडरी की तरह दसवीं का रिजल्ट भी काफी खराब रहा। पिछले तीन वर्षों में नतीजों में 20 फीसदी की गिरावट आई। जिले का रिजल्ट इस बार 52 फीसदी आया है। विभाग स्टूडेंट्स के इस खराब प्रदर्शन के पीछे सीधे तौर पर टीचर्स को दोषी मान रहा है। इसलिए हर स्कूल से रिपोर्ट तलब की गई है। ताकि आगामी कार्रवाई की जा सके। सारा दोष विभागीय नीतियों का: वहीं हरियाणा स्कूल लेक्चरर्स एसोसिएशन स्कूलों के इस खराब प्रदर्शन के पीछे सीधे तौर पर विभाग की नीतियों को दोषी ठहरा रहा है। जिला महासचिव राजेंद्र जाखड़ का कहना है कि वर्तमान में टीचर्स से टीचिंग के कम और नॉन टीचिंग के काम ज्यादा कराए जा रहे हैं। इसलिए वह बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता। वहीं शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आठवीं तक बिना पढ़े पास होने की प्रवृति से बच्चों में फेल होने का डर खत्म हो गया है। जिसका खामियाजा बोर्ड एग्जाम में उठाना पड़ रहा है। अगर स्कूलों का रिजल्ट सुधारना है तो विभाग को अच्छे स्टूडेंट्स की स्क्रीनिंग के लिए दोबारा पांचवीं व आठवीं कक्षा तक बोर्ड एग्जाम सिस्टम लागू करना होगा। सारा दोष टीचर्स पर थोपना ठीक नहीं है।
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