Friday, June 7, 2013

GRACE MARKS KE SAHARE PASS HONE WALO KO LAGA JHATKA

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा के द्वितीय सेमेस्टर का परिणाम भी 12वीं कक्षा की तरह खराब रहा। दोनों ही परीक्षाओं के परिणाम में इस बार उन विद्यार्थियों को नुकसान हुआ जो इस उम्मीद में थे कि बोर्ड फेल होने वाले विद्यार्थियों को ग्रेस माक्र्स देकर उत्तीर्ण कर देगा। पिछले साल काफी संख्या में शत प्रतिशत अंक लेकर अपने आपको टॉपर बताने वाले विद्यार्थियों को पांच प्रतिशत अंक खेलों से मिले थे। इस बार जो अंक मिले वे केवल विषयों में प्राप्त अंक के हैं। हालांकि विद्यार्थियों को कम अंक आने का मलाल है, वहीं
शिक्षकों ने बोर्ड द्वारा देर से उठाया गया बेहतर कदम बताया है। पहले लगती थीं अतिरिक्त कक्षाएं जब से सेमेस्टर प्रणाली लागू हुई तब से शिक्षा के प्रति न तो शिक्षकों में उत्साह रहा और न ही विद्यार्थियों ने पढ़ाई में रुचि दिखाई। यही कारण है कि अब तो स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर मेहनत कराने की प्रवृत्ति ही खत्म हो गई है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में भले अंक अधिक आ रहे हों, वहीं बौद्धिक ज्ञान के मामले में विद्यार्थी काफी पीछे हैं। 90 से 95 फीसदी अंक लाने वाले भी तो हैं जो विद्यार्थी मार्किंग में गड़बड़ी की शिकायत कर रहे हैं, वहीं दूसरे ऐसे विद्यार्थी भी हैं जिन्होंने 90, 92 और 95 फीसदी अंक लेकर सफलता प्राप्त की है। ऐसे में जिन विद्यार्थियों ने जैसा पेपर किया वैसा ही परिणाम आया है। खेल कोटे के अंक भी नहीं मिले इस बार विद्यार्थियों को खेल कोटे से मिलने वाले पांच फीसदी अंक भी नहीं मिले। पिछले साल 7 विद्यार्थियों ने शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। इनमें से अधिकांश के पांच विद्यार्थियों के खेल कोटे से मिले पांच अंक से शतप्रतिशत रहे थे। इस बार ऐसा कुछ नहीं मिल पाया। आपत्ति है तो पुनर्मूल्यांकन कराएं : डीईओ इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि जिन विद्यार्थियों को लगता है कि उनका परीक्षा परिणाम उनकी मेहनत के मुताबिक खराब आया है वे अपनी उत्तरपुस्तिका की पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर जांच कर सकते हैं। परीक्षा परिणाम खराब या अच्छा विद्यार्थियों की मेहनत के अनुरुप मिला है। जिन विद्यार्थियों के अच्छे अंक नहीं आए हैं वे अपनी खामियों को सुधारते हुए भविष्य में अच्छे अंक लाने के लिए अभी से प्रयास करें। इसलिए प्रभावित हुआ द्वितीय सेमेस्टर का परिणाम विभिन्न स्कूलों के संचालकों और शिक्षाविदों के अनुसार पहले सेमेस्टर में अच्छे अंक लाने वाले विद्यार्थियों को द्वितीय सेमेस्टर का परिणाम इसलिए खराब हुआ, क्योंकि इसमें विद्यार्थियों ने जो मेहनत की थी उसके ही अंक मिले। पहले सेमेस्टर में विद्यार्थियों को जो अंक मिले उनमें सिलेबस भी ज्यादा विस्तृत नहीं था। इसलिए विद्यार्थियों को अच्छे अंक भी मिले। वहीं द्वितीय सेमेस्टर में सिलेबस अधिक होने के साथ विद्यार्थियों को उन्हीं की मेहनत के मुताबिक अंक मिले। इसमें दोनो सेमेस्टर के अंक मिलाकर फाइनल रिजल्ट बनाया गया। ऐसे में एक सेमेस्टर में किसी विषय में कम अंक आए तो उसका असर दूसरे सेमेस्टर में पड़ा है।

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