Monday, March 10, 2014

AGAR GOVT. VETAN DETI HAI TO EMPLOYEE GOVT. KA HAI

कर्मचारियों के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। माननीय न्यायालय का कहना है कि यदि राज्य सरकार ने उसे वेतन दिया है तो वो उसका कर्मचारी हुआ। संविदा या कोई दूसरा नाम देकर उसे अस्थाई करार नहीं दिया जा सकता। यदि यह आदेश एप्लिकेबल हुआ तो देश भर में कोई भी कर्मचारी अस्थाई नहीं रहेगा। राजस्थान हाईकोर्ट ने अस्थाई कर्मचारियों के बारे में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत पदों के लिए नियमित भर्ती प्रक्र...िया अपनाते हुए चयनित कर्मचारियों के नियुक्ति आदेश में केवल संविदा पर लिख देने से वे अस्थाई नहीं हो जाते। ऐसे कर्मचारियों को प्रतिमाह फिक्स सैलेरी देना व उनकी सेवाओं को नियमित नहीं करना असवैंधानिक नहीं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के कर्नाटक बनाम उमादेवी मामले में पारित अंतिम निर्णय का पालन करना
सरकार के लिए ओब्लिगेशन है। इसलिए याचिकाकर्ता सहित उसके समान अन्य को तीन माह में सरकार नियमित करे। यह आदेश वरिष्ठ न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने याचिकाकर्ता बीकानेर निवासी यशवंत सिंह कि ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नरपत सिंह चारण ने अदालत में कहा कि वर्ष 1996 में राज्य सरकार द्वारा खोले गए पशु चिकित्सालयों में पशुधन परिचारकों लाइव स्टाक एटेन्डेंट्स के 81 पदों के लिए राज्य चतुर्थ श्रेणी सेवा नियम 1963 के अनुरूप नियमित भर्ती प्रक्रिया अपनाते हुए चयन समिति के माध्यम से चयन कर 1 जनवरी 1997 को नियुक्ति प्रदान की गई। याचिकाकर्ता को भी चुरू जिले में तब खोले गए 9 पशुचिकित्सा अस्पतालों में से एक में संविदा के आधार पर फिक्स 1800 रूपये प्रतिमाह पर छह माह के लिए नियुक्ति दी गई, जिसे समय-समय पर आगे बढ़ाया गया, अब 16 वर्ष पूरे होने पर भी उनको नियमित कर्मचारियों के परिलाभ व वरिष्ठता का लाभ नहीं दिया गया।

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