Friday, March 21, 2014

EXAM BAN RAHE HAI MAJAK?

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में पेपर आउट होने, सामूहिक नकल, बाहरी हस्तक्षेप, परीक्षकों से मारपीट जैसे अनेक मामले सामने आने के बाद एक बार फिर प्रणाली की व्यावहारिकता और परीक्षा की गोपनीयता, शुचिता के सवाल उठ खड़े हुए हैं। जींद जिले में गणित का प्रश्नपत्र तीन घंटे पहले ही पांच सौ से लेकर दो हजार रुपये में विद्यार्थियों के हाथों में आ गया, सिरसा में भी गणित का ही पर्चा परीक्षा आरंभ होने के आधे घंटे के भीतर फोटोस्टेट की दुकान में पहुंच गया। परीक्षा या केंद्र को रद करना बाद की बात है, असल चिंता तो यह है कि परीक्षा प्रणाली में इतने छेद कैसे हो गए? क्या शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा की तैयारी आनन-फानन में की? क्या पर्याप्त स्टाफ नहीं लगाया गया? हालात देख कर लगता है पुलिस और स्थानीय प्रशासन की मदद नहीं मांगी गई। पानीपत में परीक्षा केंद्र में तैनात कर्मचारी सरेआम नकल करवाते दिखे। झज्जर, भिवानी, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, करनाल, मेवात, गुड़गांव व अन्य जिलों में परीक्षा केंद्र की खिड़कियों पर नकल करवाने वालों के झुंड उमड़ते रहे पर पुलिस कर्मचारी नहीं दिखाई दिए। परीक्षा केंद्रों के आसपास धारा
144 लगाने का खूब ढिंढोरा पीटा गया पर वास्तविकता में इसकी जमकर धज्जियां उड़ीं। बोर्ड की फ्लाइंग की उपस्थिति का कहीं अहसास नहीं हो पाया, लगता है स्कूलों में नेटवर्किंग का जमकर लाभ उठाया गया। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि परीक्षा का परिणाम कैसा होगा और मेधावी विद्यार्थी नकलचियों के बीच कहां टिक पाएंगे? 1 यह गंभीर मंथन का समय है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को परीक्षा प्रणाली के बारे में नए सिरे से सोचना होगा। नकल वाले केंद्रों की पहचान के लिए सभी साक्ष्यों को एकत्र कर सख्त निर्णय लिए बिना ऐसी अनियमितताओं की पुनरावृत्ति रोकना असंभव है। सामूहिक नकल को इतना सहज बनाने वाले परीक्षा केंद्र कर्मचारियों को भी बोर्ड के स्कैनर के नीचे ला कर कड़ा दंड दिया जाए। शिक्षा बोर्ड आठवीं के लिए भी पुन: बोर्ड परीक्षा की तैयारी में मशगूल हो गया है पर उसे यह देखना चाहिए कि वर्तमान दसवीं और बारहवीं कक्षाओं का परीक्षा संचालन तो संतोषजनक बनाया जाए। शिक्षा बोर्ड की नीति व कार्य क्षमता पर किसी को संदेह नहीं, पर यह पता लगाने की जरूरत है कि किस स्तर पर इतनी चूक हुई। यह भी सुनिश्चित हो कि भविष्य में परीक्षा मजाक न बने, प्रणाली की गरिमा और परीक्षा की गोपनीयता, शुचिता पर कोई प्रश्नचिन्ह न लगे।

1 comment:

  1. Exams dobara hona chahiye
    aise exam se to exam na hona hi better hai.

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