फरीदाबाद
(पलवल) : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्य कर रहे अतिथि अध्यापक भी इस
बार लोकसभा चुनाव में राजनैतिक दलों के समक्ष अपनी नौकरी नियमित
करने की मांग के मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। अतिथि अध्यापकों के संगठन ने
पिछले दिनों दिल्ली में इसी मांग
को लेकर प्रदर्शन भी किया था।
अतिथि अध्यापकों का कहना है
कि पिछले आठ-नौ सालों से उन्हें
नियमित करने की मांग की तरफ न
तो सरकार ने ध्यान दिया है और न
ही किसी अन्य राजनैतिक दल ने। अब वे
लोकसभा चुनाव में उसी राजनैतिक दल के प्रत्याशी को अपना मत देंगे, जो उनकी नौकरी नियमित करने की मांग को पूरा कराने
का वादा करेगा।
प्रदेश में इस समय 10 हजार से अधिक अतिथि अध्यापक सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं। ये अतिथि अध्यापक स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने का दावा करते हैं, साथ ही यह भी दावा करते हैं कि उनके द्वारा पढ़ाए बच्चों का परीक्षा
परिणाम भी हर वर्ष अच्छा आ रहा है। उसके बाद भी शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें नियमित करना तो दूर आज तक कोई प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है। ''अतिथि अध्यापकों की तरफ किसी भी राजनीतिक पार्टी का ध्यान नहीं है। वे पिछले कई वर्षो से नियमित होने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। अब वोट उसे ही देंगे, जो उनकी लड़ाई लडे़गा।'' -पारस शर्मा, अतिथि अध्यापक ''अतिथि अध्यापक पूरी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनको नियमित करने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। वे सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के विधायकों के समक्ष भी कई बार अपनी मांगें रख चुके हैं, लेकिन किसी ने ठीक से लड़ाई नहीं लड़ी।'' -केशव देव, अतिथि अध्यापक
परिणाम भी हर वर्ष अच्छा आ रहा है। उसके बाद भी शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें नियमित करना तो दूर आज तक कोई प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है। ''अतिथि अध्यापकों की तरफ किसी भी राजनीतिक पार्टी का ध्यान नहीं है। वे पिछले कई वर्षो से नियमित होने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। अब वोट उसे ही देंगे, जो उनकी लड़ाई लडे़गा।'' -पारस शर्मा, अतिथि अध्यापक ''अतिथि अध्यापक पूरी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनको नियमित करने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। वे सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्ष के विधायकों के समक्ष भी कई बार अपनी मांगें रख चुके हैं, लेकिन किसी ने ठीक से लड़ाई नहीं लड़ी।'' -केशव देव, अतिथि अध्यापक
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