कक्षा तीसरी और पांचवीं के मूल्याकंन
रुकवाने के लिए किया गया विरोध
न विनम्र निवेदन काम आया, न विरोध और न
ही धमकी। इसके साथ ही न शिक्षा विभाग
घबराया और न ही अधिकारी। शिक्षक संघ
और यूनियनें विरोध करती रही, लेकिन
जो फैसला विभाग ने लिया, उससे टस से मस
नहीं हुआ। अंत तक उसी पर कायम रहा विभाग
और अब शांतिपूर्ण तीसरी और
पांचवीं मूल्यांकन खत्म हो गया है।
मूल्याकंन को लेकर किया गया शिक्षक संघ व
यूनियनों का विरोध मात्र बैठकों, ज्ञापन
देने, अखबारों में समाचार छपवाने से
ज्यादा कुछ नहीं दिखा। कक्षा तीसरी और
पांचवीं के मूल्यांकन को लेकर 25 मार्च से शुरू
हुआ सर्वे शुक्रवार को खत्म हो गया, लेकिन
इस बीच न तो कहीं पर शिक्षकों का कोई
विरोध प्रदर्शन दिखा और न ही मूल्यांकन
का बहिष्कार करते शिक्षक कहीं दिखाई
दिए। इससे पता चलता है कि विभाग के फैसले
के आगे इस बार शिक्षक संघ व यूनियन नेताओं
की एक न चली।
यह हुआ मूल्यांकन में
कक्षा तीसरी और पांचवीं के बच्चों का लेवल
ऑफ लर्निग आउट कम जांचा गया। इसमें
कक्षा तीसरी और पांचवीं के
बच्चों का हिंदी, गणित, अंग्रेजी,
एसक्यू, टीक्यू, पीक्यू टेस्ट लिया गया, कई साल से शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा पांच तक वार्षिक परीक्षाएं नहीं ली जा रही थीं। इस बार परीक्षा के नाम पर मूल्यांकन कराने का निर्णय लिया था। इसमें यह सर्वे तीसरी और पांचवीं के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की बजाए अन्य शिक्षकों से कराने का फैसला लिया था, जो पूरा हो चुका है, इस पूरे सर्वे में कहीं भी कोई शिक्षक संघ विरोध करता नहीं दिखा। इससे इस बार शिक्षा विभाग के फैसले का विरोध करने पर शिक्षक संघ व यूनियन के नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है। इसलिए घबराए हुए थे मूल्यांकन को लेकर शिक्षा विभाग का एजेंडा साफ है कि बच्चों का आई क्यू टेस्ट लिया जाए, ताकि अगर शिक्षा देने में कहीं कोई कमी है तो उसमें सुधार किया जा सके। शिक्षा विभाग ने यह फैसला सत्र के अंत में लिया तो अध्यापकों को ऐसा लगा कि अगर मूल्याकंन में बच्चे कुछ कर नहीं पाए तो उन पर गाज गिर सकती है। हालांकि कार्रवाई से पहले ही विभाग मना कर चुका था, फिर भी अध्यापक अपनी पोल खुलने से डरे हुए थे। इससे ही वे विरोध पर विरोध कर रहे थे। शांतिपूर्णढंग से हुआ सर्वे डीईईओ आनंद चौधरी का कहना है कि सर्वे के दौरान कहीं पर किसी ने भी विरोध नहीं किया है। सर्वे शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हुआ है। खेल सा बना लिया विरोध करना असल में शिक्षा विभाग का कोई भी फैसला ऐसा नहीं होता जिस पर शिक्षक संघ या यूनियनें विरोध न करती हों। पहले समेस्टर के पेपरों को चेक करने में भी खूब विरोध हुआ था। विरोध के चलते एक तो पेपर देरी से चेक हो पाए, जबकि शिक्षा विभाग को भी बार बार नीतियों में बदलाव करना पड़ा। रेशनेलाइजेशन योजना को लेकर भी शिक्षा विभाग और शिक्षक यूनियनों में खूब ठनी थी। और भी कई ऐसे उदारहण है, जो यह दर्शाते हैं कि शिक्षा विभाग के ज्यादातर फैसलों का शिक्षक संघ और यूनियनों ने विरोध ही किया है। कक्षा तीसरी और पांचवीं के मूल्याकंन रुकवाने के लिए किया गया विरोध शिक्षा विभाग को यूनियनों का खेल लगा। उससे शिक्षक संघ के नेता कभी बहिष्कार की तो कभी डटकर विरोध करने की धमकी देते रहे, लेकिन विभाग ने मूल्याकंन के फैसले से पैर पीछे नहीं खींचे और मूल्यांकन शांतिपूर्ण रूप से हुआ।
एसक्यू, टीक्यू, पीक्यू टेस्ट लिया गया, कई साल से शिक्षा विभाग की ओर से कक्षा पांच तक वार्षिक परीक्षाएं नहीं ली जा रही थीं। इस बार परीक्षा के नाम पर मूल्यांकन कराने का निर्णय लिया था। इसमें यह सर्वे तीसरी और पांचवीं के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की बजाए अन्य शिक्षकों से कराने का फैसला लिया था, जो पूरा हो चुका है, इस पूरे सर्वे में कहीं भी कोई शिक्षक संघ विरोध करता नहीं दिखा। इससे इस बार शिक्षा विभाग के फैसले का विरोध करने पर शिक्षक संघ व यूनियन के नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है। इसलिए घबराए हुए थे मूल्यांकन को लेकर शिक्षा विभाग का एजेंडा साफ है कि बच्चों का आई क्यू टेस्ट लिया जाए, ताकि अगर शिक्षा देने में कहीं कोई कमी है तो उसमें सुधार किया जा सके। शिक्षा विभाग ने यह फैसला सत्र के अंत में लिया तो अध्यापकों को ऐसा लगा कि अगर मूल्याकंन में बच्चे कुछ कर नहीं पाए तो उन पर गाज गिर सकती है। हालांकि कार्रवाई से पहले ही विभाग मना कर चुका था, फिर भी अध्यापक अपनी पोल खुलने से डरे हुए थे। इससे ही वे विरोध पर विरोध कर रहे थे। शांतिपूर्णढंग से हुआ सर्वे डीईईओ आनंद चौधरी का कहना है कि सर्वे के दौरान कहीं पर किसी ने भी विरोध नहीं किया है। सर्वे शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हुआ है। खेल सा बना लिया विरोध करना असल में शिक्षा विभाग का कोई भी फैसला ऐसा नहीं होता जिस पर शिक्षक संघ या यूनियनें विरोध न करती हों। पहले समेस्टर के पेपरों को चेक करने में भी खूब विरोध हुआ था। विरोध के चलते एक तो पेपर देरी से चेक हो पाए, जबकि शिक्षा विभाग को भी बार बार नीतियों में बदलाव करना पड़ा। रेशनेलाइजेशन योजना को लेकर भी शिक्षा विभाग और शिक्षक यूनियनों में खूब ठनी थी। और भी कई ऐसे उदारहण है, जो यह दर्शाते हैं कि शिक्षा विभाग के ज्यादातर फैसलों का शिक्षक संघ और यूनियनों ने विरोध ही किया है। कक्षा तीसरी और पांचवीं के मूल्याकंन रुकवाने के लिए किया गया विरोध शिक्षा विभाग को यूनियनों का खेल लगा। उससे शिक्षक संघ के नेता कभी बहिष्कार की तो कभी डटकर विरोध करने की धमकी देते रहे, लेकिन विभाग ने मूल्याकंन के फैसले से पैर पीछे नहीं खींचे और मूल्यांकन शांतिपूर्ण रूप से हुआ।
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