Wednesday, June 4, 2014

NAYE-NAYE EXPERIMENT NE KIYA SHIKSHA KA BANTADHAR

चंडीगढ़। शिक्षा विभाग में नए नए प्रयोगों के कारण हरियाणा में विद्यार्थियों की शिक्षा का बंटाधार हो रहा है। साल भर से शिक्षा विभाग इस प्रयास में है कि राज्य में परीक्षा परिणाम कैसे बेहतर किया जाएं, लेकिन इस समस्या का हल नहीं निकल सका। दसवीं के परीक्षा परिणामों में मुंह की खाने के बाद विभाग ने मंथन किया कि बच्चों को फेल पास करना जरूरी है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री से रिपोर्ट मांगी, लेकिन केंद्र में सरकार बदल गई रिपोर्ट अभी तक नहीं सौंपी गई। हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल को केंद्र सरकार को इस बाबत रिपोर्ट सौंपनी थी। रिपोर्ट लंबे समय से तैयार है, शिक्षा मंत्री कई राज्यों का दौरा भी कर चुकीं हैं। अधिकतर राज्यों ने यह बात रखी है कि बच्चों के परीक्षा परिणाम बेहतर करने के लिए उन्हें फेल पास किया जाना जरूरी है, बिना पूर्व प्रक्रिया के रिजल्ट बेहतर नहीं हो सकता। लेकिन इसी
बीच लोकसभा चुनाव आ गए और पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री चुनाव में जुट गए। शिक्षा के अधिकार के सेक्शन 16 के तहत न तो किसी बच्चे को आठवीं तक फेल किया जा सकता है और न ही उसे स्कूल से निकाला जा सकता है। हरियाणा में पहले से ही पांचवी कक्षा तक यह प्रावधान था, लेकिन आरटीई लागू होने के बाद आठवीं कक्षा तक मूल्यांकन के लिए प्रणाली बनाई गई। दसवीं के रिजल्ट में खराब प्रदर्शन के बाद भी नहीं चेता विभाग इस बार के दसवीं के रिजल्ट पर लगी है प्रदेश की नजर परेशानियां सीसीई के कान्सेप्ट को अध्यापकों ने ठीक से नहीं समझा जो इस कांसेप्ट को समझ गए हैं वे इसे लागू नहीं करना चाहते विभाग ने इसको लेकर अध्यापकों को प्रशिक्षण दिलवाया लेकिन वह नाकाफी रहा इस प्रक्रिया के तहत ज्यादा मेहनत अध्यापकों को करनी होगी रिपोर्ट बन कर तैयार है। शिक्षा के अधिकार के विस्तार को लेकर भी कमेटी बनी है, जिस पर रिपोर्ट देनी है। मेरी बात एमएचआरडी में हुई है, रिपोर्ट पर नई सरकार जो फैसला लेना चाहेगी वह लेगी। बच्चों के फेल पास के सिस्टम पर कुछ नहीं कह सकते। सारा दारोमदार केंद्र सरकार पर है। -गीता भुक्कल, शिक्षा मंत्री हरियाणा

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