ज्ञान प्रसाद त्नरेवाड़ी
हाल ही में शिक्षा निदेशालय द्वारा चयनित किए गए पीजीटी शिक्षकों की
सूची में दूसरे राज्यों के कुछ विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त करने
वाले प्रदेश भर के करीब एक हजार शिक्षक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
निदेशालय द्वारा उनकी डिग्रियों को शक के दायरे में शामिल कर नियुक्ति पत्र
रोकने से वे पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। इनमें से कुछ शिक्षक ऐसे भी
हैं जिनका स्टेशन अलॉट हो चुका है, लेकिन इन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं
किया गया। चयनित हुए पीडि़त शिक्षकों का कहना है कि फरवरी-2012 में हरियाणा राज्य अध्यापक भर्ती बोर्ड की ओर से पीजीटी टीचर्स के विभिन्न विषयों के पदों की इसी वर्ष अप्रैल में जारी की गई सूची में नाम आने के बावजूद आज तक उन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का शिक्षा विभाग के अधिकारी इसके पीछे कोई कारण भी नहीं बता रहे हैं। इसलिए दिन प्रतिदिन उनकी चिंता बढ़ती जा रही है।
ये शिक्षक जिन निजी स्कूलों में कार्यरत थे वहां से स्कूल मुखियाओं ने सूची जारी होते ही रिलीव कर दिया। उनका मानना था कि इन शिक्षकों के सत्र के बीच में जाने से पढ़ाई प्रभावित होगी।
शर्तें पूरी करने के बावजूद नहीं मिला नियुक्ति पत्र
जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, विनायका मिशन यूनिवर्सिटी सेलम तमिलनाडु, बेंगलोर यूनिवर्सिटी बेंगलोर, आईएएसई यूनिवर्सिटी सरदारशहर राजस्थान से विभिन्न विषयों के प्रदेश भर के करीब एक हजार पीजीटी शिक्षकों के नियुक्ति पत्र रोके गए हैं। इनमें से अधिकांश उम्मीदवार एसटेट, एचटेट क्लियर करने के साथ भर्ती की सभी शर्तें पूरी करते हैं।
संगठन के राज्य प्रधान पियूष हरित का कहना है कि जब उच्च न्यायालय की पिछले माह 13 दिसंबर को स्टे हटने के बाद 14 दिसंबर को विभिन्न विषयों के चयनित पीजीटी प्राध्यापकों के नियुक्ति आदेश विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए गए। इसमें चार विश्वविद्यालयों से संबंधित विद्यार्थियों के नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुए। सतेंदर, नीरज कुमार, जितेंद्र कुमार, प्रिंस मक्कड़, रामनिवास, कुलभूषण, संदीप गोयल सहित अनेक शिक्षकों का कहना है कि इस मामले को लेकर 19 दिसंबर को शिक्षा निदेशक से मिलकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग कर चुके हैं। इस पर उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
अधिकारी नहीं बता रहे कारण
भर्ती बोर्ड के सदस्य ने कहा-अफसर ही बताएंगे
डिग्रियों की वैधता को लेकर शिक्षक भर्ती बोर्ड के सदस्य सदस्य जगदीश प्रसाद का स्पष्ट कहना है कि वे इस बारे मे कुछ नहीं बता सकते और न ही अधिकृत हैं। बोर्ड के अधिकारी ही बता सकते हैं। यहां गौर करने लायक बात यह है कि शिक्षक भर्ती नियमावली बोर्ड के सदस्य ही फाइनल करते हैं।
अब जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
इन बेरोजगार पीजीटी शिक्षकों ने पीजीटी फ्रॉम डीम्ड यूनिवर्सिटी नाम का संगठन बना कर राज्यस्तरीय कमेटी भी बना ली हंै। अब वे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें ज्वाइनिंग नहीं कराने का कारण पूछेंगे।
राजेश कुमार, अनिल कुमार, विजेंद्र कुमार, राकेश कुमार, पूनम रानी, मनोज कुमार आदि शिक्षकों का कहना है कि वर्ष 2011 में निकाले विज्ञापन संख्या 03/2009 के अंतर्गत निकाले भर्ती के 16 उम्मीदवारों को आज भी स्टेशन अलॉट करने के बावजूद ज्वाइनिंग लेटर का इंतजार है। इसी प्रकार फरवरी-2012 में निकाले विज्ञापन के तहत हुई मेवात कैडर की भर्ती के चयनित करीब 30 उम्मीदवारों को स्टेशन अलॉट करने के बावजूद नियुक्तिपत्र नहीं दिए।
इन्हीं विश्वविद्यालयों की डिग्री से पदोन्नत हुए हैं कई शिक्षक
ऐसा नहीं है कि इन विश्वविद्यालयों से डिग्री लेकर सीधी भर्ती या विभागीय पदोन्नति का लाभ पहले नहीं मिला हो। आरटीआई से हुए खुलासे में जुलाई-2013 में भी उक्त विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त उम्मीदवारों को ब्लॉक रिसोर्स पर्सन बीआरपी के रूप में विभाग में नियुक्ति दी जा चुकी है और आज भी शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं।
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