शिक्षा निदेशालय ने सभी मान्यता प्राप्त गवर्नमेंट, गवर्नमेंट ऐडेड और प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स के लिए नए वर्किंग आवर तय किए हैं। इसके मुताबिक, स्कूल में टीचर्स को 7.30 घंटे रहना जरूरी होगा। हालांकि, स्टूडेंट्स की स्कूल टाइमिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया है। निदेशालय ने राइट टु एजुकेशन एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक, नया वर्किंग आवर तय किया है। सरकारी स्कूलों में टीचर्स को अब पहले की तुलना में डेढ़ से सवा दो घंटे तक ज्यादा रहना होगा। इस दो घंटे में वे स्कूल में लेक्चर तैयार करेंगे, लाइब्रेरी जाएंगे और स्टडी मटीरियल भी तैयार करेंगे। गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन ने इस आदेश पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि
सरकारी स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। डबल शिफ्ट वाले स्कूलों में एक ही समय में 150 से 200 टीचर्स कहां पर बैठेंगे और कैसे तैयारी करेंगे। शिक्षा निदेशालय के नए आदेश के मुताबिक, सिंगल शिफ्ट वाले स्कूलों की टाइमिंग गर्मियों और सर्दियों में अब 7.15 से 2.45 तक होगी। सिंगल शिफ्ट वाले स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स के टीचिंग आवर्स में डेढ़ घंटे का इजाफा किया गया है। अब तक ये टीचर्स 6 घंटे तक स्कूल में रहते थे। ज्यादातर सरकारी स्कूलों में डबल शिफ्ट होती है। डबल शिफ्ट वाले स्कूलों की टाइमिंग में दो से सवा दो घंटे तक का इजाफा हुआ है। इन स्कूलों में गर्मियों में टीचर्स को मॉर्निंग शिफ्ट में सुबह 6.45 से दोपहर 2.15 और ईवनिंग शिफ्ट में सुबह 11 से शाम 6.30 बजे तक स्कूल में रहना होगा। विंटर में यह टाइमिंग सुबह 7.15 से दोपहर 2.45 और ईवनिंग शिफ्ट में सुबह 10.45 से शाम 6.15 बजे तक होगी। टीचर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट ओम सिंह व सेक्रेटरी डी. के. तिवारी का कहना है कि आरटीई एक्ट के मुताबिक, एक क्लास में 35 से ज्यादा स्टूडेंट्स नहीं होने चाहिए, लेकिन इस समय सरकारी स्कूल में एक क्लास में 50-100 तक स्टूडेंट्स होते हैं। इसके अलावा टीचर्स के 18 हजार पद खाली हैं। टीचर्स की कमी दूर होनी चाहिए। टीचर्स के लिए स्टाफ रूम होने चाहिए ताकि वहां लेक्चर तैयार किए जा सकें। इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है तो टीचर्स स्कूल में कैसे तैयारी करेंगे। असोसिएशन का कहना है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए यह आदेश तब तक लागू नहीं हो सकता, जब तक इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर नहीं होता।
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