नई दिल्ली : सूबे की अरविंद
केजरीवाल सरकार ने अपने
चुनावी वायदे को पूरा करने के तहत
सरकार में ठेके के पदों को नियमित
करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
लेकिन, सरकार ने यह भी साफ कर
दिया है कि आंख मूंदकर
सभी ठेका कर्मचारियों को नियमित
नहीं किया जाएगा। इसके लिए
बाकायदा परीक्षा होगी व
साक्षात्कार होंगे। जो लोग इसमें
सफल होंगे,
उनकी ही नौकरी पक्की हो पाएगी।
सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष
सिसोदिया ने शुक्रवार को एक
संवाददाता सम्मेलन में
बताया कि सरकार ने इस पूरे मामले
पर विचार विमर्श करने के लिए मुख्य
सचिव एसके श्रीवास्तव की अगुवाई
में एक 13 सदस्यीय उच्चस्तरीय
समिति का गठन किया है। समिति में
मुख्य सचिव के अलावा वित्त विभाग
के प्रमुख सचिव डॉ. एमएम कुट्टी,
विधि विभाग के प्रमुख सचिव एएस
यादव, श्रम विभाग के अतिरिक्त आयुक्त पीयूष शर्मा तथा लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अरुण बरोका को भी शामिल किया गया है। इनके अलावा प्रकाश चंद्रा, प्रफुल्ल करकोटा सहित अन्य वरिष्ठ लोगों को भी इस समिति में शामिल किया गया है। यह समिति एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी। सिसोदिया ने पिछली सरकारों पर खाली पदों में कोताही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली राज्य अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की ओर से उनको दी गई जानकारी के अनुसार 36 हजार पद खाली हैं, जिन्हें भरने के लिए उसे 165 महीनों का वक्त चाहिए। इसीलिए उन्होंने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। जो तमाम पहलुओं का अध्ययन कर आगे का मार्ग प्रशस्त करे। हालांकि, दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि कुल कितने ठेके के कर्मचारी दिल्ली सरकार में काम कर रहे हैं। लेकिन, एक अनुमान के अनुसार ऐसे कर्मचारियों की संख्या ढाई लाख के आसपास है और इन तमाम पदों को नियमित किए जाने पर सरकार पर करीब तीन हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सिसोदिया ने स्पष्ट किया कि ठेका के कर्मचारियों से मतलब उन तमाम कर्मचारियों से है, जो सरकार में नियमित नहीं हैं और अतिथि, ठेका सहित अन्य नामों से काम कर रहे हैं। सिसोदिया ने कहा कि उच्चस्तरीय समिति द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के आधार पर परीक्षा होगी और इसमें सफल रहने वाले नियमित नौकरी पाने के हकदार होंगे। इतना जरूर है कि सरकार उम्र सीमा और अनुभव को लेकर कुछ ऐसे प्रावधान जरूर करेगी जिससे फिलहाल काम कर रहे कर्मचारियों को सहूलियत हो। बता दें कि नियमितीकरण की मांग को लेकर सचिवालय के समक्ष धरने पर बैठे अतिथि शिक्षकों को भी फायदा होगा।
यादव, श्रम विभाग के अतिरिक्त आयुक्त पीयूष शर्मा तथा लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव अरुण बरोका को भी शामिल किया गया है। इनके अलावा प्रकाश चंद्रा, प्रफुल्ल करकोटा सहित अन्य वरिष्ठ लोगों को भी इस समिति में शामिल किया गया है। यह समिति एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी। सिसोदिया ने पिछली सरकारों पर खाली पदों में कोताही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली राज्य अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की ओर से उनको दी गई जानकारी के अनुसार 36 हजार पद खाली हैं, जिन्हें भरने के लिए उसे 165 महीनों का वक्त चाहिए। इसीलिए उन्होंने उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। जो तमाम पहलुओं का अध्ययन कर आगे का मार्ग प्रशस्त करे। हालांकि, दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि कुल कितने ठेके के कर्मचारी दिल्ली सरकार में काम कर रहे हैं। लेकिन, एक अनुमान के अनुसार ऐसे कर्मचारियों की संख्या ढाई लाख के आसपास है और इन तमाम पदों को नियमित किए जाने पर सरकार पर करीब तीन हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सिसोदिया ने स्पष्ट किया कि ठेका के कर्मचारियों से मतलब उन तमाम कर्मचारियों से है, जो सरकार में नियमित नहीं हैं और अतिथि, ठेका सहित अन्य नामों से काम कर रहे हैं। सिसोदिया ने कहा कि उच्चस्तरीय समिति द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया के आधार पर परीक्षा होगी और इसमें सफल रहने वाले नियमित नौकरी पाने के हकदार होंगे। इतना जरूर है कि सरकार उम्र सीमा और अनुभव को लेकर कुछ ऐसे प्रावधान जरूर करेगी जिससे फिलहाल काम कर रहे कर्मचारियों को सहूलियत हो। बता दें कि नियमितीकरण की मांग को लेकर सचिवालय के समक्ष धरने पर बैठे अतिथि शिक्षकों को भी फायदा होगा।
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