Wednesday, January 22, 2014

ELECTRICITY ME SLAB SYSTEM ME HO BADLAV

चंडीगढ़ : प्रदेश में बिजली की दरें कम होने के बाद अब स्लैब प्रणाली में बदलाव की मांग उठ गई है। पूर्व बिजली मंत्री एवं कांग्रेस विधायक प्रो. संपत सिंह के पुत्र गौरव सिंह ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग से बिजली कंपनियों को स्लैब प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ तेज चलने वाले और खराब मीटरों को तुरंत प्रभाव से बदले जाने का आदेश देने का आग्रह किया है। 1गौरव ने आयोग के समक्ष बढ़ी हुई दरों और एफएसए को लेकर पहले से अपनी आपत्ति दर्ज करा रखी है। उनके मुताबिक जीरो से 40 यूनिट प्रति माह का बिजली स्लैब प्रभावी नहीं है। इसलिए इसे जीरो से 100 यूनिट प्रति माह एवं दर जीरो-401-298 पैसे प्रति यूनिट किया जाना चाहिए। इसके अलावा 2013-14 की रिपोर्ट के अनुसार बिजली खरीद की प्रति यूनिट दर 4 रुपये से भी कम है। इस हिसाब से
बिजली खरीद की सेवा दर (6 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट) काफी ज्यादा है। इन बढ़ी दरों के चलते 8300 करोड़ रुपये का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला गया है। 1उन्होंने कहा कि 450 करोड़ रुपये क्लेम को पूरी तरह से हटाना भी तर्कसंगत नहीं है। बिजली कंपनियों का कुल घाटा 25 हजार करोड़ है, जबकि उसकी शेयर पूंजी मात्र 3100 करोड़ रुपये है। इस प्रकार पूरी इक्विटी को एकत्रित घाटे में दर्शाया गया है। यदि 450 करोड़ रुपये को लौटाया नहीं जाता है तो यह सेवा के मूल्य को घटा देगा। उन्होंने आयोग से पूछा है कि एपी (कृषि) उपभोग को 5 हजार करोड़ की सब्सिडी क्यों दी गई है, जबकि पंजाब के मामले में यह 5 हजार करोड़ से कम है। जबकि हरियाणा में 5 लाख एपी कनैक्शन हैं और पंजाब में 11 लाख 50 हजार। इतना ही नहीं, हरियाणा में 27 प्रतिशत का लॉस है, जबकि पड़ोसी राज्य में मात्र 15 प्रतिशत। यह डिस्कोम की अक्षम कार्यप्रणाली को दर्शाता है। इस अक्षमता के लिए उपभोक्ता किसी प्रकार से दोषी नहीं है। उन्होंने कहा कि डिस्कोम ने 34 पैसे प्रति यूनिट की दर से एफएसए को वापस ले लिया है। फिर भी डिस्कोम को इसे एक दिसंबर 2012 से लागू 17 पैसे से 35 पैसे प्रति यूनिट तक वापस लेना चाहिए। 1राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रदेश में बिजली की दरें कम होने के बाद अब स्लैब प्रणाली में बदलाव की मांग उठ गई है। पूर्व बिजली मंत्री एवं कांग्रेस विधायक प्रो. संपत सिंह के पुत्र गौरव सिंह ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग से बिजली कंपनियों को स्लैब प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ तेज चलने वाले और खराब मीटरों को तुरंत प्रभाव से बदले जाने का आदेश देने का आग्रह किया है। 1गौरव ने आयोग के समक्ष बढ़ी हुई दरों और एफएसए को लेकर पहले से अपनी आपत्ति दर्ज करा रखी है। उनके मुताबिक जीरो से 40 यूनिट प्रति माह का बिजली स्लैब प्रभावी नहीं है। इसलिए इसे जीरो से 100 यूनिट प्रति माह एवं दर जीरो-401-298 पैसे प्रति यूनिट किया जाना चाहिए। इसके अलावा 2013-14 की रिपोर्ट के अनुसार बिजली खरीद की प्रति यूनिट दर 4 रुपये से भी कम है। इस हिसाब से बिजली खरीद की सेवा दर (6 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट) काफी ज्यादा है। इन बढ़ी दरों के चलते 8300 करोड़ रुपये का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला गया है। 1उन्होंने कहा कि 450 करोड़ रुपये क्लेम को पूरी तरह से हटाना भी तर्कसंगत नहीं है। बिजली कंपनियों का कुल घाटा 25 हजार करोड़ है, जबकि उसकी शेयर पूंजी मात्र 3100 करोड़ रुपये है। इस प्रकार पूरी इक्विटी को एकत्रित घाटे में दर्शाया गया है। यदि 450 करोड़ रुपये को लौटाया नहीं जाता है तो यह सेवा के मूल्य को घटा देगा। उन्होंने आयोग से पूछा है कि एपी (कृषि) उपभोग को 5 हजार करोड़ की सब्सिडी क्यों दी गई है, जबकि पंजाब के मामले में यह 5 हजार करोड़ से कम है। जबकि हरियाणा में 5 लाख एपी कनैक्शन हैं और पंजाब में 11 लाख 50 हजार। इतना ही नहीं, हरियाणा में 27 प्रतिशत का लॉस है, जबकि पड़ोसी राज्य में मात्र 15 प्रतिशत। यह डिस्कोम की अक्षम कार्यप्रणाली को दर्शाता है। इस अक्षमता के लिए उपभोक्ता किसी प्रकार से दोषी नहीं है। उन्होंने कहा कि डिस्कोम ने 34 पैसे प्रति यूनिट की दर से एफएसए को वापस ले लिया है। फिर भी डिस्कोम को इसे एक दिसंबर 2012 से लागू 17 पैसे से 35 पैसे प्रति यूनिट तक वापस लेना चाहिए।

No comments:

Post a Comment