प्राइमरी से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट कक्षा तक मेरिट बेसिस पर सेवानिवृत्त शिक्षक लगाए जाएंगे। निदेशालय के रि-इंप्लॉयमेंट पॉलिसी के तहत शिक्षण कार्य अब प्रभावित नहीं होगा। बदहाल सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। 1शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। शिक्षकों के हाफ पे लीव, कम्यूटेड लीव, अर्न लीव, मैटरनिटी लीव व चाइल्ड केयर लीव पर चले जाने से स्कूल में शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। शिक्षक के बिना बच्चों का रिजल्ट खराब हो जाता। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने रि-इंप्लॉयमेंट पॉलिसी के तहत सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों को लगाने का फैसला लिया है। शिक्षकों के स्वीकृत पद के 10 फीसद रिटायर्ड शिक्षक
लगाए जाएंगे। निदेशालय से ऐसे शिक्षकों के केस मांगे गए हैं।165 वर्ष तक देंगे सेवा 1मौलिक शिक्षा निदेशालय से जारी पत्र (18/46-2012 ईई (4)) के मुताबिक अधिकतम 65 वर्ष की आयु वाले शिक्षकों को रि-इंप्लॉयमेंट का अवसर मिलेगा। शारीरिक रूप से फीट होना जरूरी है। प्रत्येक वर्ष उन्हें सिविल सर्जन से फिटनेस प्रमाणपत्र जमा करवाना होगा। जो शिक्षक सेवाएं देंगे उन्हें एकमुश्त पारिश्रमिक मिलेगी। पोस्ट ग्रेजुएट टीचर को 16890, टीजीटी व सीएंडवी को 14830 तथा प्राइमरी शिक्षक को 13500 रुपये प्रति माह दिया जाएगा।1निदेशालय ने मांगे केस1निदेशालय ने शिक्षा महकमे के अधिकारियों को पत्र भेजकर केस मांगे हैं। रि-इंप्लॉयमेंट आवेदन में 10 बिंदुओं पर जानकारी भरकर विभाग में जमा करवाना होगा। डीईओ रिटायर्ड पीजीटी का तथा डीईईओ पीआरटी, टीजीटी व सीएंडवी का पैनल तैयार कर निदेशालय को उपलब्ध कराएंगे। पैनल तैयार करते समय अधिकारी इस बात पर गौर करेंगे कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामले न हों। स्कूल व बोर्ड कक्षाओं में 70 फीसद रिजल्ट हो। रिटायरमेंट दशक का एसीआर भी उम्दा हो। प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त शिक्षकों का पैनल बनेगा। पैनल एक एकेडमिक वर्ष तक मान्य होगा।
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