अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला शासन काल में भर्ती 3206 जेबीटी टीचरों को निकाल दिया गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया। जस्टिस के कानन पर आधारित सिंगल बेंच ने इस भरती के लिए जारी हुई सेलेक्शन लिस्ट को गलत करार दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस लिस्ट को जांचने पर पता चलता है कि कई मेधावियाें को इसमें जगह नहीं दी गई। हाईकोर्ट ने 221 अभ्यर्थियों को छूट दे दी है। यह ऐसे उम्मीदवार थे, जिनके नंबर कम किए गए, लेकिन फिर भी उन्होंने सेलेक्शन लिस्ट में जगह बनाई। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फिर फाइनल सूची बनाने को कहा है। इस लिस्ट में शामिल शिक्षकों को लिया जाएगा।
हरियाणा सरकार ने 15 नवंबर 1999 को इस भरती के लिए विज्ञापन निकाला था। भरती प्रक्रिया के तहत प्रदेश भर से 3206 प्राइमरी टीचराें की नियुक्ति हुई है और सभी को नौकरी करते हुए 11 साल बीत गए हैं। इस भरती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप में चंडीगढ़ में मामला दर्ज हुआ था। इस मामले की सीबीआई जांच में पूर्व
मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला समेत कई लोग दोषी पाए। दोषियों को सजा भी हो चुकी है। इस मामले में सन 2000 में याचिका दाखिल हुई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुनवाई के दौरान यह कई बार सामने आया कि इस सेलेक्शन लिस्ट के तहत भरती हुए लोगों को 11 साल हो गए हैं। इसी से जुड़े एक अन्य मामले में कृष्ण गोपाल बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा फुल बेंच भी अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच में सब कुछ सामने आ चुका है। क्रिमिनल कोर्ट की प्रोसिडिंग में सामने आया है कि इस मामले के सभी आरोपी एक दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे। भरती हुए लोग भी अपने आप को सही बताते रहे। अक्सर उनका जवाब होता कि मैं नहीं । हाईकोर्ट ने कहा कि जो सेलेक्शन लिस्ट प्रकाशित हुई थी। वही सही नही थी। इसमें किसी भी मेधावी बच्चे को जगह नहीं मिल पाई। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक योग्य उम्मीदवाराें और जबरन नौकरी में धकेले गए लोगों की मिली जुली लिस्ट थी। हाईकोर्ट ने कहा इस मामले में वरिष्ट अधिवक्ता मलिक ने दलील दी थी कि दोनों लिस्ट में जो नाम आ रहे हैं। वह सिर्फ सात हैं, जबकि राज्य सरकार ने दलील दी कि ऐसे 143 नाम हैं। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को इन नामाें का सही आकलन करने के भी निर्देश जारी किए। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की जांच के दौरान ऐसा भी सामने आया कि सिलेक्शन लिस्ट में अपनों के नाम भरने के लिए मेधावी छात्राें के नंबर भी कम कर दिए गए थे। बावजूद इसके इन मेधावी छात्रों ने भरती में अपनी जगह बनाई। इनकी संख्या 221 है। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की जांच के दौरान पेपराें के क्रास चेकिंग की बात भी कबूल हो चुकी है।
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पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में भर्ती हुए थे जेबीटी टीचर
नंबर कम करने के बावजूद सेलेक्शन लिस्ट में शामिल 221 नामों को दी छूट
हरियाणा सरकार को कोर्ट ने चार सप्ताह में नई सूची बनाने के निर्देश दिए
15 नवंबर 1999 को जारी हुआ था विज्ञापन, 3206 प्राइमरी टीचराें को मिली थी नियुक्ति
सीबीआई जांच में दोषी पाए गए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को हो चुकी है सजा
•1900 उम्मीदवारों के नंबर घटाए गए थे
हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दिया कि 956 उम्मीदवारों के साक्षात्कार में अंक बढ़ाए गए थे जबकि 1900 के अंक घटाए गए थे। इसके अलावा 123 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनका नाम दोनों सूचियों में शामिल है। आईएएस संजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में जो सूची दी थी उसमें 34 उम्मीदवारों के नाम शामिल नहीं हैं। कुरुक्षेत्र से 187, पानीपत से 52 और रोहतक से 32 उम्मीदवार चयन दिखाए गए थे। कुल 3334 उम्मीदवार माने गए जबकि विज्ञापित पद 3206 थे।
वेतन में कोई रिकवरी नहीं होगी
हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि पिछले 11 सालों से सेवाओं में रहे ऐसे अभ्यर्थियों से कोई भी रिकवरी बसूली नहीं जाएगी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब इन अभ्यर्थियों को टर्मिनेशन पत्र दिए जाएं, तो उससे आठ सप्ताह के भीतर बची सेवा राशि भी उनको डिपाजिट कर दी जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि वे यह ना समझे कि हाईकोर्ट का इस फैसले के बाद उनकी शैक्षणिक योग्यता या डिग्रियां आयोग्य हो जाएंगी। वह भविष्य में किसी भी परीक्षा में हिस्सा ले सकते हैं।
कर्मियाें की आयु की छूट पर पॉलिसी बनाए सरकार
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हरियाणा सरकार को सुझाव दिया है कि इस नौकरी से अलग होने वाले लोगाें के लिए आयु की छूट पर सरकार पॉलिसी तैयार कर सकती है। ताकि, यह लोग आगामी आने वाली किसी भरती प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें। हाईकोर्ट ने कहा कि जेबीटी भरती हुए सभी अभ्यर्थी इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए थे। सरकार को यह जरूरत नहीं है कि उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी हों। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में आने वाली सिद्धांतों पर अरजियाें का बिना कोई कारण बताओ नोटिस जारी किए निपटारा किया जाएगा।
फाइनल सूची का यह रहेगा प्रारूप
चंडीगढ़ (ब्यूरो)। जस्टिस के. कानन ने फैसले में हरियाणा सरकार को निर्देश दिए हैं कि जेबीटी टीचरों के 3206 पदों के लिए जिन उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। उनकी दोबारा मेरिट सूची तैयार की जाए। शैक्षणिक योग्यता के 80 फीसदी नंबर लिए जाएं। साक्षात्कार के नंबर मूल सूची से लिए जाएं। दोनों नंबरों के आधार पर चार सप्ताह के भीतर सूची तैयार की जाए। उस सूची में पहले से चयनित उम्मीदवारों का नाम आए, उनकी नौकरी बहाल रखी जाए। शेष को नौकरी से हटा दिया जाए। जेबीटी के इन पदों के लिए करीब 7000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। जस्टिस के. कानन ने सीबीआई की दिल्ली विशेष अदालत के फैसले से तथ्य लिए हैं। उनका जिक्र फैसले में कई बार किया है। फैसले में लिखा है कि चूंकि चयनित सूची बदली गई थी इसलिए यह चयन को सही नहीं ठहराया जा सकता। मगर 221 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके साक्षात्कार में अंक कम किए गए थे मगर उनका चयन हो गया। सरकार जो दूसरी सूची तैयार करेगी उसमें इन 221 उम्मीदवारों की चेकिंग कर ली जाए। जिनका नाम मेरिट सूची में आए, उन्हें रख लिया जाए।
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सुरेश मेहरा
भिवानी। हमने तो भर्ती की सारी औपचारिकताएं पूरी की हैं, हमारी कोई गलती नहीं है। एक दशक हो गया बच्चों का भविष्य बनाते-बनाते, लेकिन अब तो हमारा खुद का ही भविष्य अंधेरे में डूब गया है। पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट द्वारा वर्ष 2000 में हुई 3206 जेबीटी अध्यापकों की भर्ती को रद्द करने के फैसले से आहत जेबीटी अध्यापकों का यह दर्द है। पीड़ित अध्यापकों ने कहा कि अब हमारी उम्र भी 45 पार हो गई है।
किसी तरह बच्चों का लालन पालन कर रहे हैं नौकरी गई तो वे अपने परिवार को कैसे पालेंगे। अब तो हरियाणा सरकार ही उनकी पैरवी करे। जब से टीवी पर सरकार के इस फैसले के बारे में पता चला है हमारे घर तो चूल्हा भी नहीं जला। कोर्ट ने जेबीटी भर्ती में धांधली की वजह से यह फैसला लिया है।
पूरा खर्च मुझ विधवा के ऊपर : मुकेश
गांव मंदोली निवासी मुकेश ने बताया कि अब उसके पति भी नहीं रहे। नौकरी गई तो बच्चे की परवरिश कैसे हो पाएगी। अब मेरे सिर पर ही परिवार की जिम्मेदारी है। दूसरी नौकरी पाने की उम्र भी नहीं रही।
भगवान जाने अब उनके साथ क्या होगा। सरकार ही उनकी सुध ले। विकलांग अध्यापक कमल सिंह ने कहा कि किसी तरह जेबीटी अध्यापक की नौकरी मिली थी।
छह-छह बहनों का भार सिर पर
जेबीटी अध्यापक सोमबीर सिंह ने कहा कि छह-छह बहनों का भार उन्हीं पर है। उनकी शादी करने के अलावा परिवार का सारा बोझ उनके ही सिर पर है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनके घर तो चूल्हा तक नहीं जला है। सब चिंता में हैं कि अब क्या होगा। कैसे होगा परिवार का गुजारा।
कन्फर्म हो जाने चाहिए थे
जेबीटी अध्यापक रमेश अटेला, राजपाल, लीलाराम, रमेश कुमार, ओमवीर सिंह, संजय कुमार और कृष्ण कुमार आदि जेबीटी अध्यापकों ने बताया कि उनको वर्ष 2000 में जेबीटी अध्यापक के पद पर नौकरी मिली थी। नार्म्स के अनुसार भी 10 साल की नौकरी के बाद उनको कन्फर्म किया जाना चाहिए था, लेकिन उनका मामला अदालत में होने के कारण कन्फर्म नहीं हो पाए।
सरकार ख्याल करे अध्यापकों का ः मंदोला
हरियाणा अध्यापक संघ के राज्य कोषाध्यक्ष एवं हरियाणा कर्मचारी महासंघ के जिला प्रधान जेबीटी अध्यापक संजीव मंदोला ने कहा कि वर्ष 2000 में जो जेबीटी अध्यापक लगे थे उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी की हैं। सरकार ही उनकी पैरवी करे और उनकी नौकरी बरकरार रखने के लिए ठोस कदम उठाए।
भर्ती रद्द होने से मची अध्यापकों में खलबली
नरवाना(जींद)। वर्ष 2000 मेें हुई 3206 शिक्षकों की भर्ती को हाईकोर्ट ने बुधवार को रद्द कर दिया। भर्ती के रद्द होने से प्रभावित अध्यापकों में रोष फैल गया। पूर्व प्रधान अनिल लोहान व सचिव प्रेम प्रकाश के नेतृत्व में स्थानीय नेहरू पार्क में एकत्रित हुए। मौके पर अध्यापक संघ के प्रधान राजबीर सिंह, उपप्रधान राजेश टॉक, रामेश्वर मेहरा, राजबीर सच्चाखेड़ा, पवन कुमार, मनदीप शर्मा व प्रभावित अध्यापक मौजूद रहे।
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सौरभ मलिक/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 जनवरी
करीब 13 साल पहले 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आज 2800 से अधिक अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला नीत हरियाणा सरकार के समय हुई इस भर्ती मामले में कोर्ट ने कहा कि प्रकाशित चयनित अभ्यर्थियों की सूची असली नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सूची में सभी सफल अभ्यर्थियों का नाम नहीं है।
जस्टिस के कान्नन ने कहा कि यह चयन दोषपूर्ण था। हालांकि उन्होंने पूरी चयनित सूची को दोषपूर्ण नहीं बताया। इसके साथ ही उन्होंने 13 साल बाद अभ्यर्थियों के चयन पर किसी तरह की बहस को नकार दिया। जस्टिस कान्नन ने सरकार को निर्देश दिया कि वह एक मेरिट लिस्ट बनाये और यह स्पष्टï करे कि हटाने के लिए कारण बताओ नोटिस की उसे जरूरत नहीं जैसा कि चयनित अभ्यर्थी इस याचिका में पक्षकार हैं और हाईकोर्ट का आदेश उनकी सुनवाई के बाद ही आना था। जस्टिस कान्नन ने व्यवस्था दी कि जो लोग चयन के योग्य हैं और जिन्हें नौकरी लगातार करने का अधिकार है उनका नाम एक बार में दो सूचियों में होना जरूरी है। एक तो प्रकाशित सूची और दूसरी आरोपी आईएएस अधिकारी संजीव कुमार द्वारा सुप्रीमकोर्ट में पेश सूची।
जस्टिस कान्नन ने इस बात का संज्ञान लिया कि सरकार के जवाब में 123 अभ्यर्थियों का नाम दोनों सूचियों में है। कोर्ट ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों के अंक कम (साक्षात्कार में) कर दिये गए और जिनका नाम अब भी सूची में हैं उन सभी को चयनित माना जाएगा।
चौटाला सहित कई लोग हैं जेल में
इसी मामले में दिल्ली की सीबीआई अदालत ने चौटाला व अजय समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे । 16 जनवरी, 2013 को सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश विनोद कुमार ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया।
13 साल पहले का है मामला
असल में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया का नोटिफिकेशन नवंबर 1999 में हुआ। इसके तहत 3206 अभ्यर्थियों की प्राथमिक शिक्षकों के तौर पर विभिन्न जिलों में भर्ती होनी थी। अक्टूबर 2000 में 7707 परिणाम घोषित किए जाने के बाद साक्षात्कार के लिए बुलाए गए। इसी बीच इस चयन को असफल रहे अभ्यर्थियों ने चुनौती दी और उस समय प्राथमिक शिक्षा के निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे संजीव कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इस केस में तब एक रोचक मोड़ आ गया जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी कि उन पर मुख्यमंत्री की ओर से दबाव डाला गया था कि दूसरी सूची बनाई जाए। बाद में उन्होंने दबाव की बात को नकारते हुए कहा कि उनके खिलाफ गलत मामला दर्ज किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
कोर्ट ने कहा कि जिनकी नियुक्ति हो चुकी थी लेकिन ताजा सूची में उनका नाम नहीं है उन्हें बर्खास्तगी का सामना करना होगा। जो वेतन उन्हें दिया जा चुका है उसकी कोई रिकवरी नहीं होगी। भविष्य में किसी तरह की नियुक्ति के लिए भी उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकेगा। ताजा आदेश के बाद नौकरी से जाने वालों के लिए सरकार को उनकी उम्र के संबंध में ताजा नीति बनानी चाहिए।
सुप्रीमकोर्ट जाएंगे शिक्षक
फैसले के खिलाफ जेबीटी शिक्षकों ने हाईकोर्ट की डबल बैंच और सुप्रीम कोर्ट तक जाने का फैसला लिया है।
कानूनी सलाह लेगी सरकार
हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि जेबीटी भर्ती रद्द करने वाले फैसले की कॉपी अभी तक नहीं मिली है। फैसले की कॉपी मिलने के बाद ही सरकार इस पर कोई फैसला लेगी। इस मामले में कानूनी सलाह ली जाएगी।
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चंडीगढ़। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला शासन काल में भर्ती 3206 जेबीटी टीचरों को निकाल दिया गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया। जस्टिस के कानन पर आधारित सिंगल बेंच ने इस भरती के लिए जारी हुई सेलेक्शन लिस्ट को गलत करार दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस लिस्ट को जांचने पर पता चलता है कि कई मेधावियाें को इसमें जगह नहीं दी गई। हाईकोर्ट ने 221 अभ्यर्थियों को छूट दे दी है। यह ऐसे उम्मीदवार थे, जिनके नंबर कम किए गए, लेकिन फिर भी उन्होंने सेलेक्शन लिस्ट में जगह बनाई। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को फिर फाइनल सूची बनाने को कहा है। इस लिस्ट में शामिल शिक्षकों को लिया जाएगा।
हरियाणा सरकार ने 15 नवंबर 1999 को इस भरती के लिए विज्ञापन निकाला था। भरती प्रक्रिया के तहत प्रदेश भर से 3206 प्राइमरी टीचराें की नियुक्ति हुई है और सभी को नौकरी करते हुए 11 साल बीत गए हैं। इस भरती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप में चंडीगढ़ में मामला दर्ज हुआ था। इस मामले की सीबीआई जांच में पूर्व
मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला समेत कई लोग दोषी पाए। दोषियों को सजा भी हो चुकी है। इस मामले में सन 2000 में याचिका दाखिल हुई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुनवाई के दौरान यह कई बार सामने आया कि इस सेलेक्शन लिस्ट के तहत भरती हुए लोगों को 11 साल हो गए हैं। इसी से जुड़े एक अन्य मामले में कृष्ण गोपाल बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा फुल बेंच भी अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई जांच में सब कुछ सामने आ चुका है। क्रिमिनल कोर्ट की प्रोसिडिंग में सामने आया है कि इस मामले के सभी आरोपी एक दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे। भरती हुए लोग भी अपने आप को सही बताते रहे। अक्सर उनका जवाब होता कि मैं नहीं । हाईकोर्ट ने कहा कि जो सेलेक्शन लिस्ट प्रकाशित हुई थी। वही सही नही थी। इसमें किसी भी मेधावी बच्चे को जगह नहीं मिल पाई। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक योग्य उम्मीदवाराें और जबरन नौकरी में धकेले गए लोगों की मिली जुली लिस्ट थी। हाईकोर्ट ने कहा इस मामले में वरिष्ट अधिवक्ता मलिक ने दलील दी थी कि दोनों लिस्ट में जो नाम आ रहे हैं। वह सिर्फ सात हैं, जबकि राज्य सरकार ने दलील दी कि ऐसे 143 नाम हैं। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को इन नामाें का सही आकलन करने के भी निर्देश जारी किए। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की जांच के दौरान ऐसा भी सामने आया कि सिलेक्शन लिस्ट में अपनों के नाम भरने के लिए मेधावी छात्राें के नंबर भी कम कर दिए गए थे। बावजूद इसके इन मेधावी छात्रों ने भरती में अपनी जगह बनाई। इनकी संख्या 221 है। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की जांच के दौरान पेपराें के क्रास चेकिंग की बात भी कबूल हो चुकी है।
संबंधित खबर पेज 3 पर
पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में भर्ती हुए थे जेबीटी टीचर
नंबर कम करने के बावजूद सेलेक्शन लिस्ट में शामिल 221 नामों को दी छूट
हरियाणा सरकार को कोर्ट ने चार सप्ताह में नई सूची बनाने के निर्देश दिए
15 नवंबर 1999 को जारी हुआ था विज्ञापन, 3206 प्राइमरी टीचराें को मिली थी नियुक्ति
सीबीआई जांच में दोषी पाए गए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को हो चुकी है सजा
•1900 उम्मीदवारों के नंबर घटाए गए थे
हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दिया कि 956 उम्मीदवारों के साक्षात्कार में अंक बढ़ाए गए थे जबकि 1900 के अंक घटाए गए थे। इसके अलावा 123 ऐसे उम्मीदवार हैं जिनका नाम दोनों सूचियों में शामिल है। आईएएस संजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में जो सूची दी थी उसमें 34 उम्मीदवारों के नाम शामिल नहीं हैं। कुरुक्षेत्र से 187, पानीपत से 52 और रोहतक से 32 उम्मीदवार चयन दिखाए गए थे। कुल 3334 उम्मीदवार माने गए जबकि विज्ञापित पद 3206 थे।
वेतन में कोई रिकवरी नहीं होगी
हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया है कि पिछले 11 सालों से सेवाओं में रहे ऐसे अभ्यर्थियों से कोई भी रिकवरी बसूली नहीं जाएगी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब इन अभ्यर्थियों को टर्मिनेशन पत्र दिए जाएं, तो उससे आठ सप्ताह के भीतर बची सेवा राशि भी उनको डिपाजिट कर दी जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि वे यह ना समझे कि हाईकोर्ट का इस फैसले के बाद उनकी शैक्षणिक योग्यता या डिग्रियां आयोग्य हो जाएंगी। वह भविष्य में किसी भी परीक्षा में हिस्सा ले सकते हैं।
कर्मियाें की आयु की छूट पर पॉलिसी बनाए सरकार
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हरियाणा सरकार को सुझाव दिया है कि इस नौकरी से अलग होने वाले लोगाें के लिए आयु की छूट पर सरकार पॉलिसी तैयार कर सकती है। ताकि, यह लोग आगामी आने वाली किसी भरती प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें। हाईकोर्ट ने कहा कि जेबीटी भरती हुए सभी अभ्यर्थी इस मामले में प्रतिवादी बनाए गए थे। सरकार को यह जरूरत नहीं है कि उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी हों। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में आने वाली सिद्धांतों पर अरजियाें का बिना कोई कारण बताओ नोटिस जारी किए निपटारा किया जाएगा।
फाइनल सूची का यह रहेगा प्रारूप
चंडीगढ़ (ब्यूरो)। जस्टिस के. कानन ने फैसले में हरियाणा सरकार को निर्देश दिए हैं कि जेबीटी टीचरों के 3206 पदों के लिए जिन उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। उनकी दोबारा मेरिट सूची तैयार की जाए। शैक्षणिक योग्यता के 80 फीसदी नंबर लिए जाएं। साक्षात्कार के नंबर मूल सूची से लिए जाएं। दोनों नंबरों के आधार पर चार सप्ताह के भीतर सूची तैयार की जाए। उस सूची में पहले से चयनित उम्मीदवारों का नाम आए, उनकी नौकरी बहाल रखी जाए। शेष को नौकरी से हटा दिया जाए। जेबीटी के इन पदों के लिए करीब 7000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। जस्टिस के. कानन ने सीबीआई की दिल्ली विशेष अदालत के फैसले से तथ्य लिए हैं। उनका जिक्र फैसले में कई बार किया है। फैसले में लिखा है कि चूंकि चयनित सूची बदली गई थी इसलिए यह चयन को सही नहीं ठहराया जा सकता। मगर 221 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके साक्षात्कार में अंक कम किए गए थे मगर उनका चयन हो गया। सरकार जो दूसरी सूची तैयार करेगी उसमें इन 221 उम्मीदवारों की चेकिंग कर ली जाए। जिनका नाम मेरिट सूची में आए, उन्हें रख लिया जाए।
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सुरेश मेहरा
भिवानी। हमने तो भर्ती की सारी औपचारिकताएं पूरी की हैं, हमारी कोई गलती नहीं है। एक दशक हो गया बच्चों का भविष्य बनाते-बनाते, लेकिन अब तो हमारा खुद का ही भविष्य अंधेरे में डूब गया है। पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट द्वारा वर्ष 2000 में हुई 3206 जेबीटी अध्यापकों की भर्ती को रद्द करने के फैसले से आहत जेबीटी अध्यापकों का यह दर्द है। पीड़ित अध्यापकों ने कहा कि अब हमारी उम्र भी 45 पार हो गई है।
किसी तरह बच्चों का लालन पालन कर रहे हैं नौकरी गई तो वे अपने परिवार को कैसे पालेंगे। अब तो हरियाणा सरकार ही उनकी पैरवी करे। जब से टीवी पर सरकार के इस फैसले के बारे में पता चला है हमारे घर तो चूल्हा भी नहीं जला। कोर्ट ने जेबीटी भर्ती में धांधली की वजह से यह फैसला लिया है।
पूरा खर्च मुझ विधवा के ऊपर : मुकेश
गांव मंदोली निवासी मुकेश ने बताया कि अब उसके पति भी नहीं रहे। नौकरी गई तो बच्चे की परवरिश कैसे हो पाएगी। अब मेरे सिर पर ही परिवार की जिम्मेदारी है। दूसरी नौकरी पाने की उम्र भी नहीं रही।
भगवान जाने अब उनके साथ क्या होगा। सरकार ही उनकी सुध ले। विकलांग अध्यापक कमल सिंह ने कहा कि किसी तरह जेबीटी अध्यापक की नौकरी मिली थी।
छह-छह बहनों का भार सिर पर
जेबीटी अध्यापक सोमबीर सिंह ने कहा कि छह-छह बहनों का भार उन्हीं पर है। उनकी शादी करने के अलावा परिवार का सारा बोझ उनके ही सिर पर है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनके घर तो चूल्हा तक नहीं जला है। सब चिंता में हैं कि अब क्या होगा। कैसे होगा परिवार का गुजारा।
कन्फर्म हो जाने चाहिए थे
जेबीटी अध्यापक रमेश अटेला, राजपाल, लीलाराम, रमेश कुमार, ओमवीर सिंह, संजय कुमार और कृष्ण कुमार आदि जेबीटी अध्यापकों ने बताया कि उनको वर्ष 2000 में जेबीटी अध्यापक के पद पर नौकरी मिली थी। नार्म्स के अनुसार भी 10 साल की नौकरी के बाद उनको कन्फर्म किया जाना चाहिए था, लेकिन उनका मामला अदालत में होने के कारण कन्फर्म नहीं हो पाए।
सरकार ख्याल करे अध्यापकों का ः मंदोला
हरियाणा अध्यापक संघ के राज्य कोषाध्यक्ष एवं हरियाणा कर्मचारी महासंघ के जिला प्रधान जेबीटी अध्यापक संजीव मंदोला ने कहा कि वर्ष 2000 में जो जेबीटी अध्यापक लगे थे उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी की हैं। सरकार ही उनकी पैरवी करे और उनकी नौकरी बरकरार रखने के लिए ठोस कदम उठाए।
भर्ती रद्द होने से मची अध्यापकों में खलबली
नरवाना(जींद)। वर्ष 2000 मेें हुई 3206 शिक्षकों की भर्ती को हाईकोर्ट ने बुधवार को रद्द कर दिया। भर्ती के रद्द होने से प्रभावित अध्यापकों में रोष फैल गया। पूर्व प्रधान अनिल लोहान व सचिव प्रेम प्रकाश के नेतृत्व में स्थानीय नेहरू पार्क में एकत्रित हुए। मौके पर अध्यापक संघ के प्रधान राजबीर सिंह, उपप्रधान राजेश टॉक, रामेश्वर मेहरा, राजबीर सच्चाखेड़ा, पवन कुमार, मनदीप शर्मा व प्रभावित अध्यापक मौजूद रहे।
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सौरभ मलिक/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 8 जनवरी
करीब 13 साल पहले 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आज 2800 से अधिक अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला नीत हरियाणा सरकार के समय हुई इस भर्ती मामले में कोर्ट ने कहा कि प्रकाशित चयनित अभ्यर्थियों की सूची असली नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सूची में सभी सफल अभ्यर्थियों का नाम नहीं है।
जस्टिस के कान्नन ने कहा कि यह चयन दोषपूर्ण था। हालांकि उन्होंने पूरी चयनित सूची को दोषपूर्ण नहीं बताया। इसके साथ ही उन्होंने 13 साल बाद अभ्यर्थियों के चयन पर किसी तरह की बहस को नकार दिया। जस्टिस कान्नन ने सरकार को निर्देश दिया कि वह एक मेरिट लिस्ट बनाये और यह स्पष्टï करे कि हटाने के लिए कारण बताओ नोटिस की उसे जरूरत नहीं जैसा कि चयनित अभ्यर्थी इस याचिका में पक्षकार हैं और हाईकोर्ट का आदेश उनकी सुनवाई के बाद ही आना था। जस्टिस कान्नन ने व्यवस्था दी कि जो लोग चयन के योग्य हैं और जिन्हें नौकरी लगातार करने का अधिकार है उनका नाम एक बार में दो सूचियों में होना जरूरी है। एक तो प्रकाशित सूची और दूसरी आरोपी आईएएस अधिकारी संजीव कुमार द्वारा सुप्रीमकोर्ट में पेश सूची।
जस्टिस कान्नन ने इस बात का संज्ञान लिया कि सरकार के जवाब में 123 अभ्यर्थियों का नाम दोनों सूचियों में है। कोर्ट ने कहा कि जिन अभ्यर्थियों के अंक कम (साक्षात्कार में) कर दिये गए और जिनका नाम अब भी सूची में हैं उन सभी को चयनित माना जाएगा।
चौटाला सहित कई लोग हैं जेल में
इसी मामले में दिल्ली की सीबीआई अदालत ने चौटाला व अजय समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे । 16 जनवरी, 2013 को सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश विनोद कुमार ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया।
13 साल पहले का है मामला
असल में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया का नोटिफिकेशन नवंबर 1999 में हुआ। इसके तहत 3206 अभ्यर्थियों की प्राथमिक शिक्षकों के तौर पर विभिन्न जिलों में भर्ती होनी थी। अक्टूबर 2000 में 7707 परिणाम घोषित किए जाने के बाद साक्षात्कार के लिए बुलाए गए। इसी बीच इस चयन को असफल रहे अभ्यर्थियों ने चुनौती दी और उस समय प्राथमिक शिक्षा के निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे संजीव कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इस केस में तब एक रोचक मोड़ आ गया जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी कि उन पर मुख्यमंत्री की ओर से दबाव डाला गया था कि दूसरी सूची बनाई जाए। बाद में उन्होंने दबाव की बात को नकारते हुए कहा कि उनके खिलाफ गलत मामला दर्ज किया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य
कोर्ट ने कहा कि जिनकी नियुक्ति हो चुकी थी लेकिन ताजा सूची में उनका नाम नहीं है उन्हें बर्खास्तगी का सामना करना होगा। जो वेतन उन्हें दिया जा चुका है उसकी कोई रिकवरी नहीं होगी। भविष्य में किसी तरह की नियुक्ति के लिए भी उन्हें अयोग्य नहीं ठहराया जा सकेगा। ताजा आदेश के बाद नौकरी से जाने वालों के लिए सरकार को उनकी उम्र के संबंध में ताजा नीति बनानी चाहिए।
सुप्रीमकोर्ट जाएंगे शिक्षक
फैसले के खिलाफ जेबीटी शिक्षकों ने हाईकोर्ट की डबल बैंच और सुप्रीम कोर्ट तक जाने का फैसला लिया है।
कानूनी सलाह लेगी सरकार
हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि जेबीटी भर्ती रद्द करने वाले फैसले की कॉपी अभी तक नहीं मिली है। फैसले की कॉपी मिलने के बाद ही सरकार इस पर कोई फैसला लेगी। इस मामले में कानूनी सलाह ली जाएगी।
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