जिस रफ्तार से जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले की जांच चल रही है उस हिसाब से तो इसमें लगभग १८ साल लगेंगे। इस दौरान तो कई सरकारें आएंगी और जाएंगी। क्योंकि अब तक सिर्फ 35०० टीचरों के फिंगर प्रिंट्स का मिलान ही हुआ है, जबकि ५१०० टीचरों के आसपास की जांच अभी बाकी है।
शिक्षा विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरीना राजन का कहना है कि क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में स्टाफ कम है और इसलिए एक दिन में एक ही टीचर के फिंगर प्रिंट मैच हो पाते हैं। मतलब साफ है, ५१०० टीचरों के फिंगर प्रिंट जांचने में इतने ही दिन लगेंगे। सरकारी छुट्टियों को जोड़कर देखें तो इस जांच में ही कई साल निकल जाएंगे। इतने साल कि दो-तीन
सरकारें बन जाएं। अब सवाल यह है कि इतने गंभीर मामले में सरकार ढिलाई क्यों बरत रही है। विपक्ष भी सरकार की मंशा पर सवाल उठा चुका है। शिकायतकर्ता फिर जाएंगे हाईकोर्ट: हाईकोर्ट में भर्ती के खिलाफ याचिका देने वाले ४८ लोगों का भी मानना है कि सरकार जिस तरह से कार्रवाई हो रही है, इससे नहीं लगता कि जांच गति पकड़ पाएगी। एक शिकायतकर्ता ने कहा कि वे जांच में तेजी की मांग के लिए हाईकोर्ट से आग्रह करेंगे। बता दें कि जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले का मामला न तो शिक्षा बोर्ड भिवानी ने पकड़ा, न ही शिक्षा विभाग ने। गड़बड़ी पकड़ी हाईकोर्ट जाने वाले ४८ लोगों ने। अदालत में ६० के करीब नाम दिए गए और दावा किया गया कि इन्होंने हरियाणा टीचर पात्रता परीक्षा नहीं दी, इसके बावजूद ये टीचर नियुक्त कर दिए गए। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर फिंगर प्रिंट मैच करने का काम शुरू हुआ। शिक्षा मंत्री चुप क्यों दूसरी ओर इस मामले में शिक्षा मत्री गीता भुक्कल भी चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की। यहां तक की एसएमएस का भी जवाब नहीं दिया। डीजीपी को सात बार फोन किया, नहीं की बात इस मामले को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है, इसका अंदाजा अधिकारियों के रवैये से लगाया जा सकता है। डीजीपी एसएन वशिष्ठ से मिलने के लिए जब उनके कार्यालय में संपर्क किया तो बताया गया कि वे बाहर हैं। इसके बाद दिनभर उन्हें 10 बार फोन किया गया। उन्होंने एक बार फोन पिक किया और बोले कि अभी मीटिंग में हूं। आधे घंटे के बाद फोन करना। लेकिन तब से लेकर रात साढ़े नौ बजे तक उन्होंने फिर फोन पिक नहीं किया। स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में लायक राम डबास की जगह आए निदेशक एसएस देसवाल ने भी फोन नहीं उठाया। जब उन्हें एसएमएस किया तो इसका भी जवाब उन्होंने नहीं दिया। ञ्चसवाल: क्या उन टीचर की पहचान हुई, जिनके फिंगर प्रिंट नहीं मिले? पहचान की जरूरत ही नहीं है। उनके नाम तो हमारे पास हैं। ञ्चसवाल: लेकिन वे पोस्टेड कहां हैं? पता चल जाएगा। पहले जांच का काम तो पूरा हो जाए। ञ्चसवाल: जांच की रफ्तार ढीली है? समय इसलिए अधिक लग रहा है क्योंकि स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में स्टाफ कम है। एक दिन में एक ही टीचर के फिंगर प्रिंट का मैच हो पाता है। ञ्चसवाल: इस मामले में अब तक कार्रवाई क्या? फिलहाल मामले की जांच जारी है। अभी इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। शिकायतकर्ताओं की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को फिंगर प्रिंट की जांच के आदेश दिए। एलिमेंट्री एजुकेशन के डायरेक्ट
सरकारें बन जाएं। अब सवाल यह है कि इतने गंभीर मामले में सरकार ढिलाई क्यों बरत रही है। विपक्ष भी सरकार की मंशा पर सवाल उठा चुका है। शिकायतकर्ता फिर जाएंगे हाईकोर्ट: हाईकोर्ट में भर्ती के खिलाफ याचिका देने वाले ४८ लोगों का भी मानना है कि सरकार जिस तरह से कार्रवाई हो रही है, इससे नहीं लगता कि जांच गति पकड़ पाएगी। एक शिकायतकर्ता ने कहा कि वे जांच में तेजी की मांग के लिए हाईकोर्ट से आग्रह करेंगे। बता दें कि जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले का मामला न तो शिक्षा बोर्ड भिवानी ने पकड़ा, न ही शिक्षा विभाग ने। गड़बड़ी पकड़ी हाईकोर्ट जाने वाले ४८ लोगों ने। अदालत में ६० के करीब नाम दिए गए और दावा किया गया कि इन्होंने हरियाणा टीचर पात्रता परीक्षा नहीं दी, इसके बावजूद ये टीचर नियुक्त कर दिए गए। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर फिंगर प्रिंट मैच करने का काम शुरू हुआ। शिक्षा मंत्री चुप क्यों दूसरी ओर इस मामले में शिक्षा मत्री गीता भुक्कल भी चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने इस मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की। यहां तक की एसएमएस का भी जवाब नहीं दिया। डीजीपी को सात बार फोन किया, नहीं की बात इस मामले को लेकर प्रशासन कितना गंभीर है, इसका अंदाजा अधिकारियों के रवैये से लगाया जा सकता है। डीजीपी एसएन वशिष्ठ से मिलने के लिए जब उनके कार्यालय में संपर्क किया तो बताया गया कि वे बाहर हैं। इसके बाद दिनभर उन्हें 10 बार फोन किया गया। उन्होंने एक बार फोन पिक किया और बोले कि अभी मीटिंग में हूं। आधे घंटे के बाद फोन करना। लेकिन तब से लेकर रात साढ़े नौ बजे तक उन्होंने फिर फोन पिक नहीं किया। स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में लायक राम डबास की जगह आए निदेशक एसएस देसवाल ने भी फोन नहीं उठाया। जब उन्हें एसएमएस किया तो इसका भी जवाब उन्होंने नहीं दिया। ञ्चसवाल: क्या उन टीचर की पहचान हुई, जिनके फिंगर प्रिंट नहीं मिले? पहचान की जरूरत ही नहीं है। उनके नाम तो हमारे पास हैं। ञ्चसवाल: लेकिन वे पोस्टेड कहां हैं? पता चल जाएगा। पहले जांच का काम तो पूरा हो जाए। ञ्चसवाल: जांच की रफ्तार ढीली है? समय इसलिए अधिक लग रहा है क्योंकि स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में स्टाफ कम है। एक दिन में एक ही टीचर के फिंगर प्रिंट का मैच हो पाता है। ञ्चसवाल: इस मामले में अब तक कार्रवाई क्या? फिलहाल मामले की जांच जारी है। अभी इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। शिकायतकर्ताओं की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को फिंगर प्रिंट की जांच के आदेश दिए। एलिमेंट्री एजुकेशन के डायरेक्ट
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