वर्ष 2013-14 के सत्र में बीएड करने के लिए अब छात्रों का बीए में अंग्रेजी पढ़ा होना अनिवार्य है। हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा लागू किए गए इस नए नियम से निजी बीएड कॉलेजों की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि हर वर्ष इनको सबसे अधिक छात्र उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से मिलते थे। जहां स्नातक कक्षाओं में अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के रुप में लागू नहीं है। वहां छात्र अपनी इच्छा से ही इस विषय को पढ़ते हैं। प्रति वर्ष करीब 20 से 25 हजार छात्र इन राज्यों से बीएड करने के लिए हरियाणा के स्वपोषित कॉलेजों में दाखिला लेते हैं। जिनसे
निजी कॉलेजों को भारी भरकम आय होती है। अब नए नियम आने से इन कॉलेजों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। इस बार चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा द्वारा बीएड के दाखिलों की ऑनलाइन प्रक्रिया करवाई जा रही है। पूरे प्रदेश में कुल 478 बीएड कॉलेज हैं। दाखिलों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों सुविधा उपलब्ध है। क्या हैं नियम बीएड के दाखिलों में करीब 85 प्रतिशत सीटें हरियाणा के छात्रों के लिए रिर्जव हैं और 15 प्रतिशत ऑल इंडिया कैटेगरी के लिए। यदि सीटें खाली रह जाएं तो कॉलेज अपनी इच्छा अनुसार बची हुई सीटों पर भी छात्रों को दाखिला दे सकते हैं। स्नातक स्तर पर अंग्रेजी अंग्रेजी अनिवार्यता के कारण बाहरी छात्रों के लिए यहां दाखिले के रास्ते बदं हो गए हैं। प्रदेश के छात्रों की संख्या करीब 30 से 35 हजार होती है जिनको सरकारी कॉलेजों में आसानी से दाखिला ले सकते हैं। निजी बीएड कॉलेजों के संचालकों ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि यदि सरकार को इस प्रकार का नियम लागू करना था तो उसे इतनी बड़ी संख्या में कॉलेजों को मान्यता नहीं देनी चाहिए। उन्होने बताया कि प्रति वर्ष एक कॉलेज में अगर 100 सीटें है तो करीब 70 बच्चे बाहरी राज्यों से आते थे। पर अब उनके लिए रास्ते बंद हो गए हैं। वहीं जब सरकारी बीएड कॉलेजों के संचालकों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा लागू किया गया यह नया नियम सराहनीय है। इससे शिक्षा का स्तर बढ़ेगा। जो छात्र वास्तव में योग्य है उन्हीं को दाखिला मिलेगा।
निजी कॉलेजों को भारी भरकम आय होती है। अब नए नियम आने से इन कॉलेजों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। इस बार चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा द्वारा बीएड के दाखिलों की ऑनलाइन प्रक्रिया करवाई जा रही है। पूरे प्रदेश में कुल 478 बीएड कॉलेज हैं। दाखिलों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों सुविधा उपलब्ध है। क्या हैं नियम बीएड के दाखिलों में करीब 85 प्रतिशत सीटें हरियाणा के छात्रों के लिए रिर्जव हैं और 15 प्रतिशत ऑल इंडिया कैटेगरी के लिए। यदि सीटें खाली रह जाएं तो कॉलेज अपनी इच्छा अनुसार बची हुई सीटों पर भी छात्रों को दाखिला दे सकते हैं। स्नातक स्तर पर अंग्रेजी अंग्रेजी अनिवार्यता के कारण बाहरी छात्रों के लिए यहां दाखिले के रास्ते बदं हो गए हैं। प्रदेश के छात्रों की संख्या करीब 30 से 35 हजार होती है जिनको सरकारी कॉलेजों में आसानी से दाखिला ले सकते हैं। निजी बीएड कॉलेजों के संचालकों ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि यदि सरकार को इस प्रकार का नियम लागू करना था तो उसे इतनी बड़ी संख्या में कॉलेजों को मान्यता नहीं देनी चाहिए। उन्होने बताया कि प्रति वर्ष एक कॉलेज में अगर 100 सीटें है तो करीब 70 बच्चे बाहरी राज्यों से आते थे। पर अब उनके लिए रास्ते बंद हो गए हैं। वहीं जब सरकारी बीएड कॉलेजों के संचालकों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा लागू किया गया यह नया नियम सराहनीय है। इससे शिक्षा का स्तर बढ़ेगा। जो छात्र वास्तव में योग्य है उन्हीं को दाखिला मिलेगा।
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