चंडीगढ़। हरियाणा में 1983 पीटीआई टीचरों की नियुक्ति को रद करने के मामले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि अगली सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया जाए कि इन पीटीआई टीचराें में बाहरी राज्यों से डिप्लोमा धारक कितने अभ्यर्थी है।
जस्टिस सूर्यकांत पर आधारित खंडपीठ ने कहा कि मामले में यह पाया गया है कि कुछ अभ्यर्थियों ने नौकरी लेने के लिए फर्जी डिप्लोमा प्रमाण पत्र को इस्तेमाल में लाया। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 22 जुलाई तक विस्तृत जवाब हाईकोर्ट में पेश करने के निर्देश जारी किए
हैं। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि पीटीआई की नौकरी पाने वाले ऐसे कितने लोग हैं, जिनकी बाहरी राज्यों के संस्थानों के डिप्लोमा, डिग्रियां हैं। इस पर सरकारी वकील ने हाईकोर्ट से मोहलत मांगी। जिला शिक्षा अधिकारियों से इस संबंध में पूरा रिकार्ड लेकर अगली सुनवाई के दौरान इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी जाएगी। सनद रहे कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के चेयरमैन द्वारा आयोग के अन्य सदस्यों की सहमति के बिना अपने स्तर पर की गई 1983 पीटीआई टीचरों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद कर दिया था। सिंगल बेंच के इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी है।
हैं। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि पीटीआई की नौकरी पाने वाले ऐसे कितने लोग हैं, जिनकी बाहरी राज्यों के संस्थानों के डिप्लोमा, डिग्रियां हैं। इस पर सरकारी वकील ने हाईकोर्ट से मोहलत मांगी। जिला शिक्षा अधिकारियों से इस संबंध में पूरा रिकार्ड लेकर अगली सुनवाई के दौरान इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी जाएगी। सनद रहे कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के चेयरमैन द्वारा आयोग के अन्य सदस्यों की सहमति के बिना अपने स्तर पर की गई 1983 पीटीआई टीचरों की नियुक्ति प्रक्रिया को रद कर दिया था। सिंगल बेंच के इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी है।
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