Sunday, July 28, 2013

TEACHER KA KAAM PADANA HAI KHANA BANANA NAHI

इलाहाबाद/पटना। हाल ही बिहार के सारण जिले में मिड डे मील त्रासदी में प्रिंसिपल को मुख्य आरोपी माने जाने की घटना के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कह दिया है कि टीचर का काम पढ़ाना है न कि खाना बनवाने की निगरानी करना। कोर्ट की यह टिप्पणी इसलिए भी अहम है क्योंकि बिहार में वीरवार को करीब 3 लाख प्राइमरी स्कूल टीचरों ने मिड डे मील ड्यूटी का बहिष्कार किया है। उनका कहना है कि इस वजह से वह ठीक ढंग से पढ़ाने पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। एजेंसी इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शिव कीर्ति सिंह और
जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘टीचरों और प्रिंसिपलों का काम पढ़ाना है न कि भोजन बनाने की प्रक्रिया की निगरानी करना।’ हाईकोर्ट मेरठ के एक प्रिंसिपल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में स्कूलों के डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर के 19 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें मिड डे मील की जिम्मेदारी एनजीओ से लेकर प्रिंसिपलों को दे दी गई थी। कोर्ट ने यूपी सरकार को अपनी नीति पांच अगस्त को पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगले आदेश तक मेरठ में मिड डे मील व्यवस्था की जिम्मेदारी पहले की तरह एनजीओ पर ही होगी।

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