Thursday, July 18, 2013

HTET RESULT PAR GAHAN CHINTAN ZARURI

हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा के परिणाम को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कई पहलुओं पर गंभीर चिंतन जरूरी है। एचटेट पद्धति लागू होने के बाद का यह सबसे खराब परिणाम है, चिंतनीय तथ्य यह भी है कि हर परीक्षा में रुझान गिरावट का ही रहा। अहम सवाल है कि प्रतिस्पर्धा के दौर में भावी शिक्षक अपने को मुकाबले के लिए तैयार क्यों नहीं कर पा रहे? तीनों वर्गो में कुल मिला कर केवल साढ़े चार फीसद भावी शिक्षक उत्तीर्ण हो पाए। स्पष्ट है कि जेबीटी, बीएड तथा स्नातकोत्तर परीक्षा पास करने के बाद भी भावी शिक्षकों को वह काउंसिलिंग नहीं मिल पा रही जो उन्हें व्यावसायिक प्लेटफार्म पर स्थापित कर सके। स्कूल से लेकर
कॉलेज तक शिक्षण, प्रशिक्षण का ढर्रा परंपरागत है, नए प्रयोगों, शिक्षण की आधुनिक शैली के सर्वथा अभाव के बीच स्नातक तो बड़ी संख्या में तैयार हो रहे हैं पर व्यावसायिक तौर पर सक्षम युवाओं की संख्या नाममात्र है। साक्षर और शिक्षित होना दो अलग स्थितियां हैं। व्यावसायिक दक्षता के मापदंड पर स्नातकों की स्थिति साक्षर जैसी अधिक है, शिक्षित जैसी कम। इसका यह अर्थ क्यों न लगाया जाए कि प्रदेश में अध्यापन क्षेत्र को किसी बड़े बदलाव की जरूरत है। 95 प्रतिशत अभ्यर्थी विफल रहते हैं तो दक्षता के वर्तमान स्तर का अनुमान लगाने के लिए माथापच्ची की जरूरत नहीं। पेपर लीक होने की अफवाह पर अभ्यर्थी फोटोस्टेट कॉपी पाने के लिए टूट पड़ते हैं। मुन्नागीरी भी होती है, जिसे रोकने के लिए हर परीक्षा में शिक्षा बोर्ड नई व्यूहरचना करता है। नकल पर अंकुश का स्थायी व प्रभावशाली उपाय नहीं सूझ पाया। सवाल यह भी है कि क्या प्रश्नपत्र हर परीक्षा में कठिन होता गया? क्या मार्किंग में जरूरत से ज्यादा सख्ती बरती गई? परीक्षा केंद्र में अभ्यर्थी क्या सहज नहीं रह पाए? हालांकि इन सबका समाधान संभव है पर मूल बात यह है कि भावी शिक्षकों की मानसिकता को व्यावसायिकता में ढालने के लिए शिक्षा विभाग क्या उपाय करने जा रहा है? एचटेट परीक्षा की अनियमितता किसी हद तक खराब परीक्षा परिणाम के लिए जिम्मेदार है, इसे नियमित किया जाए। भावी शिक्षकों के व्यक्तित्व विकास के साथ शिक्षा बोर्ड और विभाग को एचटेट परीक्षा से पूर्व विशेष काउंसिलिंग, प्रशिक्षण की परंपरा शुरू करनी चाहिए। एचटेट में इस बार अनुत्तीर्ण रहने वाले तीन लाख, तीस हजार भावी शिक्षकों का भविष्य सामने रख विशेष योजना बने क्योंकि यह उनकी दक्षता के साथ शिक्षा विभाग और बोर्ड की साख पर भी प्रश्नचिह्न है।

No comments:

Post a Comment