Saturday, April 4, 2015

AAJ KE YUG KI SACCHI KAHANI:लकड़हारा

**लकड़हारा**
एक बार लकड़ी काटने में माहिर एक आदमी
लकड़ी के बड़े व्यापारी के यहाँ काम की
तलाश में गया। उसे लकड़ी काटने की
नौकरी मिल गयी।
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तनख्वाह तो अच्छी थी लेकिन काम भी
उसी तरह कठिन था। इस वजह से उसने खूब
मेहनत से काम करने का निश्चय किया।
उसके बॉस ने उसे एक कुल्हाड़ी दिया और
कार्यस्थल भी दिखा दिया। पहले ही

दिन लकड़हारे ने 18 पेड़ काट दिया।
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उसके बॉस ने उसे शाबाशी दी और कहा
कि,"ऐसे ही मन लगाकर काम करो।"
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बॉस के प्रोत्साहन से प्रेरित होकर उसने
अगले दिन ज़्यादा मेहनत किया लेकिन
सिर्फ 15 पेड़ ला पाया।
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तीसरे दिन उसने और ज़ोर लगाया लेकिन
वह सिर्फ 10 ही पेड़ ला पाया।
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दिन प्रतिदिन उसके द्वारा लाये पेड़ों
की संख्या कम होती जा रही थी।
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"लग रहा है कि मैं अपनी ताक़त खोता जा
रहा हूँ।" लकड़हारे ने सोचा।
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वह अपने बॉस के पास गया और माफ़ी
मांगते हुए बोला,"मैं समझ नहीं पा रहा हूँ
कि क्या हो रहा है।"
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बॉस ने पूछा,"अंतिम बार अपनी कुल्हाड़ी
को तुमने धार कब दिया था?"
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"धार? मेरे पास समय कहाँ है धार लगाने
का? मैं तो पेड़ काटने में बहुत व्यस्त रहता
हूँ......"
विचार:
हमारी ज़िन्दगी भी कुछ इसी तरह है। हम
कभी-कभी इतने व्यस्त हो जाते हैं कि
अपनी "कुल्हाड़ी" में धार लगाने का समय
भी नहीं निकाल पाते।
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आज के समय में, ऐसा लगता है कि हर कोई
पहले से ज़्यादा व्यस्त हो गया है लेकिन
पहले जितना खुश नहीं है।
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ऐसा क्यों हो रहा है?
शायद इसलिए कि हम स्वयं को "धारदार"
रखना भूल गए हैं?
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कठिन परिश्रम करने में और गतिविधियाँ
करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन हमें
इतना व्यस्त नहीं हो जाना चाहिए कि
ज़िन्दगी की अत्यंत अहम् चीज़ों की
अनदेखी करने लगें।
जैसे:-
अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी
अपने परिवार को और समय देना
अध्ययन आदि के लिए समय निकालना
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हम सबको समय देना चाहिए
▶आराम करने के लिए
▶चिंतन और ध्यान(meditation) के लिए
▶सीखने और विकास करने के लिए
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अगर हम "कुल्हाड़ी" में धार लगाने के लिए
समय नहीं निकालेंगे तो हम सुस्त पड़ते
जायेंगे और अपना प्रभाव खो बैठेंगे।

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