शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बना दिया है ।हुड्डा ने जंहा नो से 12 क्लास पीजीटी को देकर 15 हजार पीजीटी भर्ती किये थे ।अब नई सरकार फिर से 6 से 10 मास्टर और C&V को देने जा रही है जिस से पीजीटी इतनी बड़ी संख्या में सरप्लस होंगे उन्हें किसी भी हालत में समायोजित नही किया जा सकता है ।हो सकता है अब हसला आंदोलन शुरु कर दे ।अधिकारियो को खुश करने की खातिर सी आर पी को साल भर चलाने की बात भी सुनी जा रही है जो अनुचित है ।फिर अच्छा परिणाम न आने पर टीचर पर कारवाही को कोई औचित्य नही बनता है ।इसके लिए पहली से 12 वी तक सलेबस बदलने की जरूरत है ।पहली से आठवी तक के सेमस्टर खत्म करने से ज्यादा जरूरी था कि आठवी कक्षा बोर्ड की हो ।हर स्तर पर विरोधा भाष देखने को मिलता है ।पांच हजार से ज्यादा मिडल हेडमास्टर बनाये गए है मगर उनको कोई अधिकार नही दिए गए है ।जिस से उस पद का कोई महत्व ही नही है ।एक कैम्प्स में चलने वाले स्कूल में मिडल हेड को अब तक DD POWER नही दी है ।हर बार कहा जाता है कि शिक्षक से शिक्षण के अतिरिक्त कोई कार्य नही लिया जाएगा मग़र सब पहले
जैसे ही जारी है ।प्रिंसिपल पोस्टमास्टर बन कर रह गए है ।जिन 284 स्कूल में इस सत्र से प्रोफेसनल एजुकेशन लागु की है अब तक उनमे कोई टीचर नही आया है ।नॉन मेडिकल और कॉमर्स हजारो स्कूल में मग़र टीचर 5% में भी नही है जिस कारण इन में कोई एड्मिसन भी नही कर सकते ।तकनिकी शिक्षा का एक बड़ा उदहारण यह है कि तीन चार साल पहले 12 वी तक के स्कूल में ब्रॉडबैंड युक्त लैब स्थापित की गई थी जिसमे बीस 25 कंप्यूटर् आदि लाखो का समान आया है मग़र वह लैब आज तक इंस्टॉल नही हुई है ।सफ़ेद हाथी बने जरनेटर जिनकी कॉस्ट लाखो में है उनके लिए कोई डीज़ल का प्रावधान नही है ।क्या ये सब निजी कंपनी से कमिसन एठने के लिए मंगवाए गए है ।एक और दूसरी लेब जिसको कभी टीचर नही मिला अगर रखे भी गए तो वह भी 120 रूपये रोजाना ।बाद वाले अभी सड़क पर ही है। प्रिंसिपल की पोस्ट आधे से ज्यादा खाली है ।जितना जोर सरकार 134 A लागू करवाने में लगा रही है उस से आधा जोर अपने सरकारी स्कूल में लगाए ।उन्हें निजी स्कूल की जरूरत नही पड़ेगी ।गीता या क़ुरान लगवाने से कुछ नही होता है ।सिस्टम को इस तरह से सुधारा जाए कि वास्तव में गरीब को शिक्षा मिल सके वरना केवल हम डाटा क्लेक्ट कर रहे है । धर्मबीर कौशिक ।।
जैसे ही जारी है ।प्रिंसिपल पोस्टमास्टर बन कर रह गए है ।जिन 284 स्कूल में इस सत्र से प्रोफेसनल एजुकेशन लागु की है अब तक उनमे कोई टीचर नही आया है ।नॉन मेडिकल और कॉमर्स हजारो स्कूल में मग़र टीचर 5% में भी नही है जिस कारण इन में कोई एड्मिसन भी नही कर सकते ।तकनिकी शिक्षा का एक बड़ा उदहारण यह है कि तीन चार साल पहले 12 वी तक के स्कूल में ब्रॉडबैंड युक्त लैब स्थापित की गई थी जिसमे बीस 25 कंप्यूटर् आदि लाखो का समान आया है मग़र वह लैब आज तक इंस्टॉल नही हुई है ।सफ़ेद हाथी बने जरनेटर जिनकी कॉस्ट लाखो में है उनके लिए कोई डीज़ल का प्रावधान नही है ।क्या ये सब निजी कंपनी से कमिसन एठने के लिए मंगवाए गए है ।एक और दूसरी लेब जिसको कभी टीचर नही मिला अगर रखे भी गए तो वह भी 120 रूपये रोजाना ।बाद वाले अभी सड़क पर ही है। प्रिंसिपल की पोस्ट आधे से ज्यादा खाली है ।जितना जोर सरकार 134 A लागू करवाने में लगा रही है उस से आधा जोर अपने सरकारी स्कूल में लगाए ।उन्हें निजी स्कूल की जरूरत नही पड़ेगी ।गीता या क़ुरान लगवाने से कुछ नही होता है ।सिस्टम को इस तरह से सुधारा जाए कि वास्तव में गरीब को शिक्षा मिल सके वरना केवल हम डाटा क्लेक्ट कर रहे है । धर्मबीर कौशिक ।।
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