नई दिल्ली (11 अप्रैल): यह खबर आपके लिए जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि देश के मुख्य सूचना आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वो प्राइवेट अस्पतालों को आरटीआई के तहत लाएं और ये तय करें कि प्राइवेट अस्पताल मरीज को उसके मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में रोजाना पूरी जानकारी दें।
प्रभात कुमार नाम के शख्स के पिता कैलाश प्रसाद सिंह का इलाज दिल्ली के बहुत बड़े नामी अस्पताल में चल रहा था। प्रभात बताते हैं कि सिर्फ बीस लाख के तो टेस्ट कराए थे अस्पताल ने, लेकिन इनके पिता बच नहीं पाए। प्रभात ने अस्पताल से आरटीआई के तहत कुछ जानकारियां मांगी तो अस्पताल ने सीधे इनकार कर दिया।
दिल्ली के उस नामी प्राइवेट अस्पताल का दावा था कि हम आरटीआई के तहत जानकारी नहीं देते क्योंकि इसके दायरे में
हम नहीं आते। लेकिन प्रभात कुमार ने हार नहीं मानी। वो अपनी लड़ाई लड़ते रहे, जिसका नतीजा ये हुआ कि मुख्य सूचना आयोग ने निर्देश दिया कि प्राइवेट अस्पताल मरीज के बारे में पूरी जानकारी दें, मरीज का क्या इलाज हुआ, कैसे हुआ पूरा रिकॉर्ड दें। मुख्य सूचना आयोग ने अब केंद्र और राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है कि वो ऐसा प्रावधान बनाएं ताकि प्राइवेट अस्पताल इलाज से जुड़ी पूरी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत दें।
हम नहीं आते। लेकिन प्रभात कुमार ने हार नहीं मानी। वो अपनी लड़ाई लड़ते रहे, जिसका नतीजा ये हुआ कि मुख्य सूचना आयोग ने निर्देश दिया कि प्राइवेट अस्पताल मरीज के बारे में पूरी जानकारी दें, मरीज का क्या इलाज हुआ, कैसे हुआ पूरा रिकॉर्ड दें। मुख्य सूचना आयोग ने अब केंद्र और राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है कि वो ऐसा प्रावधान बनाएं ताकि प्राइवेट अस्पताल इलाज से जुड़ी पूरी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत दें।
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