रोहित गेरा, भिवानी।देशभर में फर्जी डिग्री के खेल पर अंकुश लगाने के लिए अब विश्वविद्यालयों द्वारा नए सत्र से विद्यार्थियों को वाटरप्रूफ डिग्रियां दी जाएंगी। इतना ही नहीं डिग्रियों के बार कोड में विद्यार्थी के परीक्षा का परिणाम का रिकॉर्ड भी छिपा होगा। इस सुविधा से डिग्री के कटने-फटने की समस्या नहीं रहेगी साथ ही फर्जीवाड़े के जरिये नौकरी पाने वाले धंधे पर भी रोक लगेगी। 1 दूसरी ओर विवि में दाखिले के वक्त उनके समक्ष डिग्री वेरिफिकेशन के लिए आने वाली समस्याओं का भी हल होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
यानी यूजीसी ने तमाम विश्वविद्यालयों को एक पत्र भेजकर निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने विश्वविद्यालय की डिग्री को कुछ इस तरह सतरंगी डिजाइन में बनवाए कि अन्य कोई दूसरा इसका गलत इस्तेमाल न कर सके। साथ ही डिग्री को वाटरप्रूफ वाला बनाया जाए, ताकि उसके फटने, कटने या गिले होने की नौबत में उसे नुकसान न हो सके। यूजीसी ने विश्र्वविद्यालयों को यह भी निर्देश दिए है कि डिग्री पर एक बार कोड डलवाया जाए, जिसमें विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम का रिकॉर्ड दर्ज हो ताकि वेरिफिकेशन के लिए विश्वविद्यालयों को घंटों माथापच्ची न करनी पड़े।
यानी यूजीसी ने तमाम विश्वविद्यालयों को एक पत्र भेजकर निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने विश्वविद्यालय की डिग्री को कुछ इस तरह सतरंगी डिजाइन में बनवाए कि अन्य कोई दूसरा इसका गलत इस्तेमाल न कर सके। साथ ही डिग्री को वाटरप्रूफ वाला बनाया जाए, ताकि उसके फटने, कटने या गिले होने की नौबत में उसे नुकसान न हो सके। यूजीसी ने विश्र्वविद्यालयों को यह भी निर्देश दिए है कि डिग्री पर एक बार कोड डलवाया जाए, जिसमें विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम का रिकॉर्ड दर्ज हो ताकि वेरिफिकेशन के लिए विश्वविद्यालयों को घंटों माथापच्ची न करनी पड़े।
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