जागरण संवाददाता, कैथल : हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष मास्टर सुभाष चंद ने कहा कि सरकार ने अतिथि अध्यापकों को कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की पॉलिसी में शामिल न करके पिछले नौ सालों से सरकारी स्कूलों में कार्य कर रहे 15 हजार अतिथि अध्यापकों के साथ मजाक किया है। उन्होंने कहा कि कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए जो नियम व शर्तें तय की है, अतिथि अध्यापक उन सभी शर्तो को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में हरियाणा सरकार ने विज्ञापन जारी करके जिला शिक्षा अधिकार के कार्यालयों पर जिन स्कूलों में अध्यापकों के पद रिक्त थे, लिस्ट लगाई थी और गांव ब्लाक जिला स्तर पर मुख्य अध्यापकों व प्रिंसिपल व खंड शिक्षा अधिकारी अध्यक्षता में मेरिट के आधार पर
अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति स्वीकृत पदों पर की गई थी। 1उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हरियाणा सरकार तीन साल तक के कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर रही है दूसरी ओर अतिथि अध्यापक पिछले नौ वर्षो से स्वीकृत पदों पर कार्यरत है, उन्हें नियमित न करके अतिथि अध्यापकों के साथ धोखा कर रही है। उन्होंने कहा कि 23 फरवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री ने दिल्ली जंतर मंतर पर आमरण अनशन बैठे अतिथि अध्यापकों को आश्वासन दिया कि अध्यापकों की मांग को पूरा किया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी अब तक उनको स्थायी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि 1 जून को जिले में राज्य स्तरीय बैठकर बुलाकर आंदोलन की घोषणा की।
अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति स्वीकृत पदों पर की गई थी। 1उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हरियाणा सरकार तीन साल तक के कच्चे कर्मचारियों को नियमित कर रही है दूसरी ओर अतिथि अध्यापक पिछले नौ वर्षो से स्वीकृत पदों पर कार्यरत है, उन्हें नियमित न करके अतिथि अध्यापकों के साथ धोखा कर रही है। उन्होंने कहा कि 23 फरवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री ने दिल्ली जंतर मंतर पर आमरण अनशन बैठे अतिथि अध्यापकों को आश्वासन दिया कि अध्यापकों की मांग को पूरा किया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद भी अब तक उनको स्थायी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि 1 जून को जिले में राज्य स्तरीय बैठकर बुलाकर आंदोलन की घोषणा की।
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