चंडीगढ़. हरियाणा सरकार
अपने करीब 1,200
कर्मचारियों को जल्दी ही चार्जशीट करेगी। इन
कर्मचारियों पर वर्ष 2007
में हुए बीपीएल सर्वे
में जानबूझकर गलत
रिपोर्ट देने का आरोप है।
ऐसे
कर्मचारियों की पहचान के
लिए सभी विभागों के
प्रधान
सचिवों को एडीसी से
रिपोर्ट लेकर कार्रवाई
करने के निर्देश दिए गए
हैं। मुख्य सचिव
एससी चौधरी की अध्यक्षता में
मंगलवार को सचिवालय में
हुई उच्चस्तरीय बैठक में
यह फैसला किया गया। बैठक
में सीएस चौधरी ने
बताया कि इस मामले में
हाईकोर्ट का लगातार
प्रेशर आ रहा है
कि बीपीएल सर्वे में गलत
रिपोर्ट करने वाले
अधिकारी-
कर्मचारियों की पहचान
करके उन पर कार्रवाई
की जाए। कोर्ट को जवाब
देने के लिए संबंधित
कर्मचारियों पर कार्रवाई
की जानी चाहिए। इसके लिए
सभी जिलों के एडीसी से
रिपोर्ट जल्दी से
जल्दी मंगवाई जाए।
फ्री प्लॉट के लिए पैसे
वाले भी बन गए थे बीपीएल :
दरअसल 2007 में जब बीपीएल
सर्वे हुआ तब सरकार ने
बीपीएल
परिवारों को 100-100 गज
के प्लॉट नि:शुल्क देने
की घोषणा कर रखी थी।
इसी वजह से अनेक ऐसे लोग
भी बीपीएल परिवार
बना दिए गए थे जो आर्थिक
रूप से काफी
संपन्न थे। इनमें सरकारी कर्मचारी से लेकर पंच-सरपंच, कोठी- बंगले वाले तक शामिल थे। घर के बाहर रंग पुतवाने पर खुला भेद वास्तविक बीपीएल परिवारों का पता लगाने के लिए जब सरकार ने चयनित परिवारों के मकानों पर तिरंगे रंग से पहचान दर्ज करनी शुरू की तो सारा भेद खुल गया। इसमें कई ऐसे लोग भी बीपीएल में चयनित पाए गए जिनकी बड़ी- बड़ी कोठियां और बंगले थे। इस पर प्रदेशभर में घर के बाहर रंग पुतवाने का विरोध हुआ। इस पर सरकार को रंग पुतवाने का फैसला रद्द करना पड़ा था। तीन बार हुआ सर्वे, हर बार गलत रिपोर्ट बीपीएल सर्वे-2007 में बड़े स्तर पर हुई गड़बडिय़ों का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि उस समय तीन-तीन बार सर्वे करवाया गया, लेकिन इससे जुड़े अधिकारी- कर्मचारियों ने हर बार गलत रिपोर्ट दीं।
संपन्न थे। इनमें सरकारी कर्मचारी से लेकर पंच-सरपंच, कोठी- बंगले वाले तक शामिल थे। घर के बाहर रंग पुतवाने पर खुला भेद वास्तविक बीपीएल परिवारों का पता लगाने के लिए जब सरकार ने चयनित परिवारों के मकानों पर तिरंगे रंग से पहचान दर्ज करनी शुरू की तो सारा भेद खुल गया। इसमें कई ऐसे लोग भी बीपीएल में चयनित पाए गए जिनकी बड़ी- बड़ी कोठियां और बंगले थे। इस पर प्रदेशभर में घर के बाहर रंग पुतवाने का विरोध हुआ। इस पर सरकार को रंग पुतवाने का फैसला रद्द करना पड़ा था। तीन बार हुआ सर्वे, हर बार गलत रिपोर्ट बीपीएल सर्वे-2007 में बड़े स्तर पर हुई गड़बडिय़ों का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि उस समय तीन-तीन बार सर्वे करवाया गया, लेकिन इससे जुड़े अधिकारी- कर्मचारियों ने हर बार गलत रिपोर्ट दीं।
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