Wednesday, July 10, 2013

BAHUT FARJIWADA HAI 1983 PTI BHARTI ME

सन 2010 में 1983 पीटीआइ टीचर की भर्ती में धांधली किस हद तक हुई है, इसका रोजाना एक नया खुलासा सामने आ रहा हैं और धांधली के नए रिकार्ड बनते जा रहे है। मंगलवार को हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान एक वकील ने जस्टिस सूर्यकांत की डिविजन बेंच के सामने कुछ चौंकाने वाले तथ्य रखते हुए बताया कि कई दर्जन ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया गया जो योग्यता पूरी भी नहीं करते थे। वकील ने कोर्ट को बताया कि एक उम्मीदवार तो ऐसा है जिसने पीटीआइ का डिप्लोमा पहले किया और दसवीं कक्षा बाद में पास
की। दर्जनों उम्मीदवार ऐसे हैं जो महाराष्ट्र के अमरावती से पीटीआइ का कोर्स पूरा करके आए हैं लेकिन उनके प्रमाण पत्र में परिणाम घोषित करने की तिथि के साथ छेड़छाड़ की गई है। भर्ती में रिजर्व श्रेणी के कई उम्मीदवारों का चयन सामान्य श्रेणी में किया गया है। एक मामले में तो हैरानी करने वाली बात यह है कि चयनित एक उम्मीदवार का परिणाम पहले घोषित कर दिया और उसने फार्म बाद में जमा करवाया। मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट सुधीर मित्तल ने जस्टिस सूर्यकांत को चौकाने वाली वाले तथ्य देते हुए कहा कि उसने सूचना के अधिकार के तहत दर्जनों चयनित उम्मीदवारों के फार्म हासिल किए हैं। इनसे पता चला कि कैसे नियम तोड़कर फर्जीवाड़ा किया गया। महिला रिजर्व सीट पर पुरुष उम्मीदवार का चयन कर दिया गया। एक चयनित उम्मीदवार दसवीं में फेल है। एक उम्मीदवार ने तो पीटीआइ का कोर्स 1995 में किया लेकिन दसवीं 1997 में की। मित्तल ने कोर्ट को बताया कि ऐसी और भी बहुत से मामले हैं। 1सुनवाई के दौरान चयनित उम्मीदवारों के वकील ने कोर्ट को बताया कि एकल बैंच ने उनको सुना ही नहीं। इस पर कोर्ट ने कहा कि एकल बेंच ने भर्ती रद दो आधार पर की है। एक तो स्टाफ सलेक्शन बोर्ड ने एक सदस्य बोर्ड के तौर पर काम किया और दूसरे भर्ती प्रकिया में ऐन मौके पर बदलाव किया गया। अदालत ने कहा कि ऐसे में चयनित उम्मीदवारों को सुनने का कोई औचित्य नहीं है लेकिन फिर भी डिविजन बैंच उनका पक्ष सुनेगी। इस मामले में चयनित उम्मीदवारों के वकील ने डिविजन बैंच से आग्रह किया कि वो इस केस को एकल बैंच को रिमाइंड बैक कर दे लेकिन जस्टिस सूर्यकांत ने इससे इंकार करते हुए कहा कि वही इस केस को सुनेंगे और फैसला देंगे।

No comments:

Post a Comment