Saturday, April 27, 2013

KYA HOGA SARKARI COMPUTER SHIKSHA KA

नए शिक्षण सत्र की शुरूआत से लेकर अब तक सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा का ककहरा तक नहीं पढ़ाया गया है। आखिर कंप्यूटर शिक्षा दी भी जाती तो कैसे, कंप्यूटर लैब पर ताले जो लगे हुए हैं।

उधर, प्रदेश के करीब सात हजार कंप्यूटर टीचर व लैब सहायक बेरोजगार हो चुके हैं तो साथ ही उनका कई-कई माह का वेतन भी रुका हुआ है। ऐसे हालात में जहां हजारों विद्यार्थी कंप्यूटर शिक्षा से महरूम हैं वहीं बेरोजगार हुए शिक्षकों के साथ जुड़े हजारों पारिवारिक सदस्यों को भी रोजी रोटी के लाले पड़े हुए हैं। वर्ष 2010
में एनआइसीटी कंपनी को सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा चलाने के लिए तीन साल का ठेका दिया गया था। इस कंपनी ने प्रथम चरण में 2480 कंप्यूटर शिक्षक तैनात किए तो धीरे-धीरे यह संख्या तीन हजार के करीब पहुंच गई। वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में दो कंप्यूटर शिक्षक व एक लैब सहायक नियुक्त किया गया। दसवीं तक के स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए एक-एक लैब सहायक लगाया गया।

इन लैब सहायक की संख्या करीब चार हजार तक पहुंची। 31 मार्च 2013 को कंपनी का ठेका खत्म होने के साथ ही सभी स्कूल से कंप्यूटर शिक्षक व लैब सहायक हटा दिए गए। हैरत की बात यह है कि जब इन शिक्षकों व सहायकों को नौकरी से निकाल दिया गया तो उनका कई कई महीने का वेतन रुका हुआ था। कंप्यूटर शिक्षकों का करीब सात महीने और सहायकों का 11 महीने का वेतन अभी भी एनआइसीटी कंपनी को देना है। इससे इतर नए शिक्षण सत्र को शुरू हुए करीब एक महीना हो चुका है और अभी तक विद्यार्थियों ने कंप्यूटर के दर्शन तक नहीं हुए हैं। कंप्यूटर सिस्टम पर धुल की परत चढ़ चुकी है। काफी समय से उनकी सफाई नहीं होने की स्थिति में वह खराब भी हो सकते हैं। हरियाणा कंप्यूटर अध्यापक व लैब सहायक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र प्यौंत का कहना है कि सरकार कंप्यूटर शिक्षा को लेकर कतई गंभीर नहीं है। इस संबंध में करनाल के खंड शिक्षा अधिकारी मोहन लाल वर्मा ने कहा कि उन्हें कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी ही बता सकती है।

श्रम कानूनों का हुआ उल्लंघन

कंप्यूटर शिक्षकों को प्रत्येक कार्य दिवस के तहत 120 रुपये प्रतिदिन मेहनताना दिया जाता था, जबकि लैब सहायक को 117 रुपये मिलते थे। यह पूरी तरह से श्रम कानूनों का उल्लंघन था। श्रम मंत्रलय ने 23 अगस्त को पत्र जारी कर कहा था कि श्रम कानून की उल्लंघना करने वाले ठेकेदार का ठेका निरस्त कर दिया जाएगा। कानून के तहत उन्हें डीसी रेट के साथ ही ईपीएफ व इएसआइ की सुविधा मिलनी चाहिए थी।

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