कुरुक्षेत्र।
जिले में स्कूलों का नया शैक्षणिक सत्र शुरू पूरा एक माह बीत चुका है
लेकिन 70 हजार विद्यार्थियों को अभी तक पाठ्य सामग्री नहीं मिली है। लिहाजा
सरकारी स्कूल में पढ़ने जा रहे आपके लाल ने पूरा एक महीना स्कूल में बैठकर
बर्बाद कर दिया, मगर पढ़ाई के नाम पर स्थिति गौण है। शिक्षक व स्कूल स्टाफ
तो दूर अधिकारी भी बस यही कहकर मुंह मोड़ लेते हैं कि इस बारे में हम क्या
कहें।
स्थिति आपके सामने है। मामला उच्चाधिकारियों के स्तर का है। हमें तो यही बताया गया था कि कंपनियों को पाठ्य सामग्री की सप्लाई का ठेका दिया गया है। इस बार पाठ्य सामग्री का पूरा सेट प्रत्येक कक्षा में हर एक
विद्यार्थी तक पहुंचाया जाएगा। कंपनियों का यह स्टॉक कहां है। सप्लाई सेंटर से चला है या नहीं, इसकी कोई भी सूचना उनके पास नहीं है। एक अधिकारी का तो यहां तक कहना है कि इससे अच्छी स्थिति तो वह थी, जब विद्यार्थी बाजार से जाकर किताबें खरीदकर अपनी पढ़ाई तो कम से कम शुरू कर लेते थे। सरकारी स्कूलों में मुफ्त वितरण की जाने वाली यह पाठ्य सामग्री कब आएगी, इसे लेकर पेंच फंसा हुआ है। हालांकि स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग ने इसका फार्मूला भी निकाला है।
इस फार्मूले के तहत अगली श्रेणी में पहुंच चुके विद्यार्थियों की पुरानी पुस्तकें पिछली जमात के विद्यार्थियों को मुहैया कराई जा रही हैं। हालांकि यह पुरानी पाठ्य सामग्री अधिकांश मात्रा में बेहद खराब स्थिति में है।
कंपनी की सप्लाई में हो रही देरी के मद्देनजर अब शिक्षा विभाग के स्टोर खोलकर पुरानी पाठ्य सामग्री का स्टॉक देखा जा रहा है ताकि इस पुराने सरप्लस स्टॉक को फिलहाल विद्यार्थियों में बांटा जा सके।
शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक कक्षा के लिए चार किताबें उपलब्ध करवाई गई हैं। इनमें से तीन क्लास रिएडिनेस प्रोग्राम (सीआरपी) बुक हैं, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, गणित व अन्य सब्जेक्ट के प्रश्न उत्तर उपलब्ध हैं। इस किताब में पाठ्यक्रम से संबंधित प्रश्न उत्तर मौजूद हैं तो एक किताब प्रति कक्षा में दी गई है, जिसमें बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा का ज्ञान करवाया गया है। हालांकि अभी भी जिला के काफी अधिक स्कूलों में सीआरपी बुक नहीं पहुंच पाई।
इस सेशन की शुरुआत भले ही 25 मार्च से की जा चुकी है लेकिन आज तक पूरे एक माह के भीतर विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवाई जा सकी। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पहली से आठवीं तक इन किताबों के 52 टाइटल हैं लेकिन अभी तक एक भी टाइटल विद्यार्थियों तक नहीं पहुंचा।
राजकीय प्राथमिक स्कूल थानेसर नंबर-1 के मुख्य अध्यापक ठाकुर सिंह ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है। अन्यथा विभाग द्वारा सेशन शुरू होने के 5 से 7 दिन के अंतराल में किताबें उपलब्ध करवा दी जाती हैं। सीआरपी के दस्तावेज देकर काम निपटा दिया गया है। शिक्षकों को भी पूरी तरह इस प्रोग्राम की जानकारी नहीं है।
आज भी 90 प्रतिशत स्कूल पहले की तरह ही बच्चों को स्कूल में बैठा कर पढ़ा रहे हैं और वह भी बगैर पाठ्य सामग्री के। ये कार्य पुरानी किताबों के दम पर जारी है।
परियोजना अधिकारी ने कहा, अभी जानकारी नहीं
•पच्चीस मार्च से शुरू हुआ था शैक्षणिक सत्र, अधिकारी भी नहीं जानते कब पहुंचेंगी किताबें
•इस बार एक कंपनी को मिला है किताबें पहुंचाने का ठेका
•सर्व शिक्षा अभियान की जिला परियोजना अधिकारी परविंदर कौर का कहना है कि पाठ्य सामग्री कब तक पहुंचेगी इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। इस बार ये सामग्री सीधा स्कूलों में पहुंचेगी। वहीं, जब तक ये पाठ्य सामग्री नहीं पहुंची है तब तक सीआरपी प्रोजेक्ट के तहत गतिविधियां कराई जाएंगी। क्या इसके लिए शिक्षकों को कोई ट्रेनिंग दी गई है, इस विषय में परियोजना अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इसके लिए किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि सीआरपी की पुस्तकों के सेट सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं। जल्द ये पुस्तकें स्कूलों तक पहुंचेंगी।
स्थिति आपके सामने है। मामला उच्चाधिकारियों के स्तर का है। हमें तो यही बताया गया था कि कंपनियों को पाठ्य सामग्री की सप्लाई का ठेका दिया गया है। इस बार पाठ्य सामग्री का पूरा सेट प्रत्येक कक्षा में हर एक
विद्यार्थी तक पहुंचाया जाएगा। कंपनियों का यह स्टॉक कहां है। सप्लाई सेंटर से चला है या नहीं, इसकी कोई भी सूचना उनके पास नहीं है। एक अधिकारी का तो यहां तक कहना है कि इससे अच्छी स्थिति तो वह थी, जब विद्यार्थी बाजार से जाकर किताबें खरीदकर अपनी पढ़ाई तो कम से कम शुरू कर लेते थे। सरकारी स्कूलों में मुफ्त वितरण की जाने वाली यह पाठ्य सामग्री कब आएगी, इसे लेकर पेंच फंसा हुआ है। हालांकि स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग ने इसका फार्मूला भी निकाला है।
इस फार्मूले के तहत अगली श्रेणी में पहुंच चुके विद्यार्थियों की पुरानी पुस्तकें पिछली जमात के विद्यार्थियों को मुहैया कराई जा रही हैं। हालांकि यह पुरानी पाठ्य सामग्री अधिकांश मात्रा में बेहद खराब स्थिति में है।
कंपनी की सप्लाई में हो रही देरी के मद्देनजर अब शिक्षा विभाग के स्टोर खोलकर पुरानी पाठ्य सामग्री का स्टॉक देखा जा रहा है ताकि इस पुराने सरप्लस स्टॉक को फिलहाल विद्यार्थियों में बांटा जा सके।
शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक कक्षा के लिए चार किताबें उपलब्ध करवाई गई हैं। इनमें से तीन क्लास रिएडिनेस प्रोग्राम (सीआरपी) बुक हैं, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, गणित व अन्य सब्जेक्ट के प्रश्न उत्तर उपलब्ध हैं। इस किताब में पाठ्यक्रम से संबंधित प्रश्न उत्तर मौजूद हैं तो एक किताब प्रति कक्षा में दी गई है, जिसमें बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा का ज्ञान करवाया गया है। हालांकि अभी भी जिला के काफी अधिक स्कूलों में सीआरपी बुक नहीं पहुंच पाई।
इस सेशन की शुरुआत भले ही 25 मार्च से की जा चुकी है लेकिन आज तक पूरे एक माह के भीतर विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं करवाई जा सकी। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पहली से आठवीं तक इन किताबों के 52 टाइटल हैं लेकिन अभी तक एक भी टाइटल विद्यार्थियों तक नहीं पहुंचा।
राजकीय प्राथमिक स्कूल थानेसर नंबर-1 के मुख्य अध्यापक ठाकुर सिंह ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है। अन्यथा विभाग द्वारा सेशन शुरू होने के 5 से 7 दिन के अंतराल में किताबें उपलब्ध करवा दी जाती हैं। सीआरपी के दस्तावेज देकर काम निपटा दिया गया है। शिक्षकों को भी पूरी तरह इस प्रोग्राम की जानकारी नहीं है।
आज भी 90 प्रतिशत स्कूल पहले की तरह ही बच्चों को स्कूल में बैठा कर पढ़ा रहे हैं और वह भी बगैर पाठ्य सामग्री के। ये कार्य पुरानी किताबों के दम पर जारी है।
परियोजना अधिकारी ने कहा, अभी जानकारी नहीं
•पच्चीस मार्च से शुरू हुआ था शैक्षणिक सत्र, अधिकारी भी नहीं जानते कब पहुंचेंगी किताबें
•इस बार एक कंपनी को मिला है किताबें पहुंचाने का ठेका
•सर्व शिक्षा अभियान की जिला परियोजना अधिकारी परविंदर कौर का कहना है कि पाठ्य सामग्री कब तक पहुंचेगी इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। इस बार ये सामग्री सीधा स्कूलों में पहुंचेगी। वहीं, जब तक ये पाठ्य सामग्री नहीं पहुंची है तब तक सीआरपी प्रोजेक्ट के तहत गतिविधियां कराई जाएंगी। क्या इसके लिए शिक्षकों को कोई ट्रेनिंग दी गई है, इस विषय में परियोजना अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इसके लिए किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि सीआरपी की पुस्तकों के सेट सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं। जल्द ये पुस्तकें स्कूलों तक पहुंचेंगी।
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