कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा करने वाले कर्मचारियों के लिए जल्दी ही थोड़ी खुशी थोड़े गम जैसी स्थिति बनने वाली है। सरकार की ओर से गठित एक समिति को मूल वेतन में भत्ते मिलाकर पीएफ काटने का विचार बेहद पसंद आया है। यह प्रस्ताव लागू होने पर कर्मचारियों की बचत में तो इजाफा होगा, लेकिन उनके खाते में आने वाला वेतन कम हो जाएगा। समिति ने सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) स्कीम का दायरा बढ़ाने का मन बना लिया है। समिति के सुझावों को र्शम
मंत्रालय का सर्मथन हासिल है। अब इन्हें ईपीएफओ की सर्वोच्च निर्णय संस्था केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) के सामने पेश किया जाएगा। सीबीटी के ट्रस्टी और भारतीय मजदूर संघ के सचिव बीएन राय ने बताया कि भत्ताें को मूल वेतन में जोड़कर पीएफ काटने के मुद्दे पर कंपनी मालिकों के प्रतिनिधि भी राजी हैं। 30 नवंबर को पीएफ कमिश्नर आरसी मिर्शा ने नोटिस जारी कर कहा था कि जो भत्ते कर्मचारियों को लगातार मिल रहे हैं, उन्हें मूल वेतन की तरह ही माना जाए। कई कंपनियां मूल वेतन कम रखकर अपना अंशदान बचाने की कोशिश करती हैं।
मंत्रालय का सर्मथन हासिल है। अब इन्हें ईपीएफओ की सर्वोच्च निर्णय संस्था केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) के सामने पेश किया जाएगा। सीबीटी के ट्रस्टी और भारतीय मजदूर संघ के सचिव बीएन राय ने बताया कि भत्ताें को मूल वेतन में जोड़कर पीएफ काटने के मुद्दे पर कंपनी मालिकों के प्रतिनिधि भी राजी हैं। 30 नवंबर को पीएफ कमिश्नर आरसी मिर्शा ने नोटिस जारी कर कहा था कि जो भत्ते कर्मचारियों को लगातार मिल रहे हैं, उन्हें मूल वेतन की तरह ही माना जाए। कई कंपनियां मूल वेतन कम रखकर अपना अंशदान बचाने की कोशिश करती हैं।
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