रोहतक : मांगों के लिए प्रदेश भर से हजारों आशा वर्करों ने रोहतक में रैली निकालकर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके बाद सीएम आवास का घेराव करने जा रही वर्करों को पुलिस ने रास्ते में ही रोक लिया, करीब एक घंटे तक पुलिस व आशा वर्करों में झड़प हुई। बाद में सीएम कैंप कार्यालय से लिखित में वर्कर्स को सीएम से मिलाने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद ही आशा वर्कर्स शांत हुई। 1रोष प्रदर्शन से पहले सेक्टर छह में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए आशा वर्कर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी की राष्ट्रीय संयोजिका व सीटू की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रंजना नरूला ने कहा कि आज देश-प्रदेश की सरकार महिलाओं के श्रम की भयंकर लूट कर रही व महिलाओं को सस्ते मजदूर के रूप में प्रयोग कर रही है। स्थाई काम को परियोजनाओं के नाम पर
करवाकर, न्यूनतम वेतन देने की बजाय मानदेय, प्रोत्साहन राशियों के नाम से लूट हो रही है। स्वास्थ्य के ढांचे पर सरकारों की तरफ से बहुत कम बजट खर्च किया जा रहा है। ऐसे में जो आशा वर्कर स्वास्थ्य के ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं उनके लिए कोई वेतन ही फिक्स नहीं है। जिसके खिलाफ देशभर में आंदोलन चल रहा है इसकी गूंज 12 दिसंबर को संसद मार्च में सुनाई देगी। आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की राज्य अध्यक्ष रोशनी व महासचिव सुरेखा ने कहा कि आशाओं को प्रोत्साहन राशियों के नाम पर थोड़ा-बहुत मानदेय संस्थागत डिलीवरी पर मिलता था, जिसे भी सरकार ने बन्द कर दिया है। यह वर्करों के साथ हद दर्जे की ज्यादती है। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की अहम कड़ी है। राज्य नेताओं ने कहा कि हमने पिछले 15 दिन में राज्य के कांग्रेसी विधायकों व मंत्रियों को ज्ञापन दिए हैं व सभी ने कहा कि आशा वर्कर भूल से छूट गई हैं परंतु अभी तक मुख्यमंत्री द्वारा भूल-सुधार का कोई प्रयास नहीं किया गया है। यह बड़े शर्म की बात है। रैली के बाद करीब चार बजे महिलाएं सीएम आवास की तरफ बढ़ी तो पुलिस ने बैरिकेट्स लगाकर उन्हें वहीं पर रोक लिया। इस दौरान आशा वर्कर्स ने प्रदेश सरकार व पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। करीब एक घंटे तक हंगामे की स्थिति रही। एसडीएम अमरदीप जैन, तहसीलदार प्रमोद चहल व डीएसपी शमशेर दहिया ने आशा वर्करों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे लिखित में आश्वासन की मांग करते रहे। करीब पांच बजे सीएम कैंप आवास से लिखित में वर्करों को पत्र दिखाया गया, जिसमें एक दिसंबर को सीएम से दिल्ली आवास में प्रतिनिधिमंडल मिलेगा। यूनियन व सीटू नेताओं ने सरकार को चेताया कि यदि कल मुख्यमंत्री द्वारा वर्करों की मांगों का सकारात्मक हल नहीं निकाला जाता है तो सरकार को एक बड़े आन्दोलन का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।1रोहतक के सेक्टर-छह में मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करती आशा वर्कर्स। जागरणआशा वर्करों को बैरीकेट लगाकर रोकने का प्रयास करता पुलिस प्रशासन। जागरणआशा वर्कर यूनियन की रैली में कई संगठनों ने उनका साथ दिया। सीटू के राज्य महासचिव सतबीर सिंह ने कहा कि सरकार मजदूरों व विशेषकर महिला मजदूरों के साथ भेदभाव कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा आयोजित श्रम सम्मेलन में तमाम परियोजना वर्कर्स को मजदूर मानते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन व सामाजिक सुरक्षा देने की मांग सर्वसम्मति से स्वीकार की जा चुकी है। अभी तक केंद्र व राज्यों ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।
करवाकर, न्यूनतम वेतन देने की बजाय मानदेय, प्रोत्साहन राशियों के नाम से लूट हो रही है। स्वास्थ्य के ढांचे पर सरकारों की तरफ से बहुत कम बजट खर्च किया जा रहा है। ऐसे में जो आशा वर्कर स्वास्थ्य के ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं उनके लिए कोई वेतन ही फिक्स नहीं है। जिसके खिलाफ देशभर में आंदोलन चल रहा है इसकी गूंज 12 दिसंबर को संसद मार्च में सुनाई देगी। आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की राज्य अध्यक्ष रोशनी व महासचिव सुरेखा ने कहा कि आशाओं को प्रोत्साहन राशियों के नाम पर थोड़ा-बहुत मानदेय संस्थागत डिलीवरी पर मिलता था, जिसे भी सरकार ने बन्द कर दिया है। यह वर्करों के साथ हद दर्जे की ज्यादती है। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की अहम कड़ी है। राज्य नेताओं ने कहा कि हमने पिछले 15 दिन में राज्य के कांग्रेसी विधायकों व मंत्रियों को ज्ञापन दिए हैं व सभी ने कहा कि आशा वर्कर भूल से छूट गई हैं परंतु अभी तक मुख्यमंत्री द्वारा भूल-सुधार का कोई प्रयास नहीं किया गया है। यह बड़े शर्म की बात है। रैली के बाद करीब चार बजे महिलाएं सीएम आवास की तरफ बढ़ी तो पुलिस ने बैरिकेट्स लगाकर उन्हें वहीं पर रोक लिया। इस दौरान आशा वर्कर्स ने प्रदेश सरकार व पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। करीब एक घंटे तक हंगामे की स्थिति रही। एसडीएम अमरदीप जैन, तहसीलदार प्रमोद चहल व डीएसपी शमशेर दहिया ने आशा वर्करों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे लिखित में आश्वासन की मांग करते रहे। करीब पांच बजे सीएम कैंप आवास से लिखित में वर्करों को पत्र दिखाया गया, जिसमें एक दिसंबर को सीएम से दिल्ली आवास में प्रतिनिधिमंडल मिलेगा। यूनियन व सीटू नेताओं ने सरकार को चेताया कि यदि कल मुख्यमंत्री द्वारा वर्करों की मांगों का सकारात्मक हल नहीं निकाला जाता है तो सरकार को एक बड़े आन्दोलन का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।1रोहतक के सेक्टर-छह में मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करती आशा वर्कर्स। जागरणआशा वर्करों को बैरीकेट लगाकर रोकने का प्रयास करता पुलिस प्रशासन। जागरणआशा वर्कर यूनियन की रैली में कई संगठनों ने उनका साथ दिया। सीटू के राज्य महासचिव सतबीर सिंह ने कहा कि सरकार मजदूरों व विशेषकर महिला मजदूरों के साथ भेदभाव कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा आयोजित श्रम सम्मेलन में तमाम परियोजना वर्कर्स को मजदूर मानते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन व सामाजिक सुरक्षा देने की मांग सर्वसम्मति से स्वीकार की जा चुकी है। अभी तक केंद्र व राज्यों ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।
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