कुरुक्षेत्र1कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर पदों के लिए पीएचडी धारकों के लिए भी नेट अनिवार्य किए जाने के मामले में ंपंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। अंबाला निवासी राजीव ने इस संबंध में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार सरकार का फैसला यूजीसी के नियम के खिलाफ है। दैनिक जागरण ने सबसे पहले यह मामला उठाया था। 1 राज्य सरकार ने पिछले दिनों 1396 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए आवेदन मांगे थे। आवेदन में साथ कहा गया था कि नेट (नेशनल
एलीजीबिलटी टेस्ट) या स्लेट (स्टेट लेवल एलीजीबिलटी टेस्ट) पास होना अनिवार्य है। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के हजारों पीएचडी डिग्री धारकों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। यूजीसी के नियम के विरुद्ध सरकार का अपना नियम किसी के गले नहीं उतर रहा थी। वहीं यूजीसी ने अपनी गाइल लाइन में कहा है कि जिनकी पीएचडी यूजीसी के नियम 2009 के है उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर आवेदन के लिए नेट टेस्ट पास करना जरूरी नहीं है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में भी यूजीसी के ही नियम को लागू किया जा रहा है। दिसंबर 2013 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए जो आवेदन में मांगे थे उसमें पीएचडी डिग्री धारकों को उपयुक्त माना गया था। सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में भी यूजीसी का ही नियम लागू है। ऐसे में सिर्फ सरकारी कॉलेजों के लिए नेट की अनिवार्यता किसी के गले नहीं उतर रही थी। जानकारों ने सरकार के इस फैसले को शोध के विरुद्ध बताया था। पीएचडी की डिग्री लिए नौकरी की तलाश कर रहे डॉ. विनय, डॉ. मुख्तियार सिंह, डॉ. टोनी, डॉ. उमेश मलिक, डॉ. नीतू, डॉ. बलदेव, डॉ. रविश कुमार, डॉ. मनजीत, डॉ. नीतू, डॉ. निधि, डॉ. रमेश, डॉ. जितेंद्र, डॉ. प्रतीका, डॉ. सुभाष व डॉ. जोगेश ने कहा कि सरकार का यह नया नियम उन जैसे पीएचडी धारकों के भविष्य से खिलवाड़ है
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