चंडीगढ़ . विभिन्न विभागों में बरसों से काम कर रहे अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पुरानी पॉलिसी को संशोधित किया जाएगा। इनके साथ ही ऐसे कर्मचारियों को भी नियमित किया जा सकता है जो 5 साल से लगातार काम कर रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों की संख्या करीब 1.25 लाख होने की संभावना है। सर्व कर्मचारी संघ की मांगों को लेकर 18 फरवरी को होने वाली बातचीत में यह राहत दी जा सकती है। इससे पहले तक अस्थायी कर्मचारियों के रेगुलराइजेशन और लेबर लॉ को लागू करने के लिए बनी कमेटियों की रिपोर्ट भी चीफ सेक्रेटरी को मिलने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव एससी चौधरी के साथ कर्मचारी तालमेल कमेटी की बैठक अब 18 फरवरी को होने की संभावना है। कर्मचारियों के लिए सीएम कुछ घोषणाएं बजट में अथवा किसी अन्य मौके पर विधानसभा में
भी कर सकते हैं। इधर, हड़ताली कर्मचारियों ने सरकार को उनकी मांगों पर 15 फरवरी तक फैसला करने का अल्टीमेटम दिया हुआ था।
न्यूनतम वेतन 8100 रुपए
मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक सभी विभागों, बोर्ड, कार्पोरेशनों और सरकार के सहयोग से चल रही सोसायटियों के सभी अस्थायी कर्मचारियों को 'समान काम, समान वेतन' के आधार पर अब न्यूनतम 8100 रुपए वेतन मिलेगा। इसके लिए जल्दी ही मुख्य सचिव कार्यालय से आदेश जारी किए जाएंगे। अभी पंचायतीराज और अरबन लोकल बॉडीज को छोड़कर कहीं 4800 रुपए तो कहीं 5300 रुपए वेतन मिल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आड़े
सूत्रों के अनुसार अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आड़े आ रहा है। इसमें कहा गया है कि किसी भी रेगुलर पोस्ट पर अस्थायी कर्मचारी को नियमित नहीं किया जाए, बल्कि उस पोस्ट को विज्ञापन निकालकर प्रॉपर चैनल से ही भरा जाए। परंतु अब सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि जो लोग प्रॉपर चैनल से सरकारी नौकरी में नहीं आए हैं, उन्हें इसमें पुरानी पॉलिसी के तहत छूट दे दी जाए।
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