Thursday, February 13, 2014

TEACHERS HI AAJ KI HAQIQAT

शिक्षक और शिक्षा पर काफी समय पहले लिखे कुछ दोहे हाथ लगे हैं | कुछ सांझे कर रहा हूँ -
छोड़ा शिक्षक धर्म को, शिक्षक छाने ख़ाक
बनकर ए.बी.आर.सी., बाँट रहा है डाक |
अध्यापक आ स्कूल में, खरीद रहे प्लाट
व्यापारी सब एक से, क्या बनिया, क्या जाट |
वर्दी - खाना दे रहे , पढाई गए भूल
आती-जाती डाक है, डाकघर बने स्कूल |
अध्यापक बनवा रहा, देखो रोटी - दाल
बच्चों की तो मौज है, खेल रहे फुटबाल |
बस शिक्षा का आज तो , इतना ही है सार
बच्चे दबंग हो गए, अध्यापक लाचार |
मंशा है सरकार की, घर - घर पहुंचे ज्ञान
बच्चों औ' माँ-बाप का, इनसेंटिव पर ध्यान |
शिक्षक ऐसा जीव है, सहता सबकी चोट
जनगणना करता कभी, फिरे बनाता वोट |
बढ़ते जाते अंक हैं, घटता जाता ज्ञान
ऐसा क्यों हो रहा, देना इस पर ध्यान |
बातें करें ना ज्ञान की, है डिग्री पर जोर
महल बनाना चाहते , नींव बड़ी कमजोर |
-------- दिलबाग

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