कुछ
लोग बेवजह अतिथि अध्यापकों का विरोध कर रहे हैं. जिस समय यह भरती हुई थी
तो उस समय सरकार ने रेगुलर भरती क्यों नहीं की? अतिथि अध्यापकों को कैसे
भरती किया जाना है, यह सरकार ने तय किया
था न कि अतिथि अध्यापकों ने. जहाँ तक सवाल है भरती में आरक्षण का तो वह भी
कोई बड़ा सवाल नहीं. अगर इसमें कोई कमी रह गई हो तो उसे बैकलाग के द्वारा
भरा जा सकता है. सबसे बड़ा सवाल पात्रता का, पात्र किसे कहेंगे आप? अब तक
5500 अंगूठा मिलानों में से 3200 के अंगूठों के निशान नहीं मिले. PTI की
रेगुलर भरती कोर्ट खारिज कर चुका है, DRAWING की भरती भी संदेह के घेरे में
है. JBT की चौटाला द्वारा की गई भरती कोर्ट रद कर चुका है. अगर रेगुलर
भरती का यह हाल है तो गैस्ट भरती पर सवाल क्यों? गैस्ट भरती में जितनी
पारदर्शिता बरती गई उतनी शायद किसी भी भरती मे नहीं. इस भरती मे हर
अभ्यर्थी को एक दूसरे की मैरिट का पता था. यदि किसी ने हेरफेर की कोशिश की
तो तुरंत पता चल जाता था. यदि आज गैस्ट टीचर्ज को बाहर का रास्ता दिखाने की
बात की जा रही है तो नौकरी में रहने काबिल कौन है? मैंने दो लैक्चरर एक
मास्टर एक हैड और प्रिंसीपल एक जेबीटी की पात्रता परीक्षा पास की हुई है.
सन् 1995 के बाद हरियाणा शिक्षा विभाग ने जितनी भी लिखित परीक्षाएँ ली वो
सभी मैंने उत्तीर्ण की हैं. इन सबके बाद भी मेरा चयन नहीं हो पाया क्योंकि
मेरे पास रिश्वत और सिफारिश रुपी पात्रता नहीं थी.
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