प्रदेश में पीजीटी के चयनित उन शिक्षकों के सिर पर बीएड की तलवार भी लटक गई है, जिन्होंने अभी तक बीएड नहीं की है। भर्ती के नियमों के अनुसार एमए के साथ बीएड होना भी अनिवार्य किया गया था। चूंकि भर्ती प्रक्रिया लंबी चली, कुछ विषयों के परिणाम आ गए हैं जबकि 3 विषयों के परिणाम तो अभी भी बाकी हैं। अब चयनित शिक्षकों को ज्वाइनिंग से पहले बीएड का डर सताने लगा है। शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षामंत्री गीता भुक्कल से भी मिला है और उन्हें इस समस्या से अवगत कराया है। शिक्षामंत्री ने समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है।
वर्ष 2012 में घोषित पीजीटी की भर्ती के परिणाम अभी कुछ सप्ताह पहले घोषित हुए हैं। कुछ विषयों के शिक्षकों की ज्वाइनिंग हो चुकी है जबकि हिंदी, अंग्रेजी व अर्थशास्त्र सहित कुछ विषयों के शिक्षकों की ज्वाइनिंग होनी
है। मगर इससे पहले ही बीएड की शर्त ने उन्हें डरा दिया है। भर्ती के नियमों के अनुसार एक अप्रैल 2015 तक चयनित शिक्षकों को बीएड करनी है।
क्या है नियम
नियमों के अनुसार बीएड करने वाले को 2 साल तक नियमित तौर पर पढ़ाने का अनुभव होना चाहिए। इसके बाद बीएड 2 वर्ष की होती है। इस तरह एक शिक्षक को कम से कम चार वर्ष का समय बीएड करने में लगेगा, जबकि नियमानुसार इसे पूरा करने की अवधि अप्रैल 2015 पहले ही तय रखी गई है।
रेगुलर बीएड एक साल की
हरियाणा में रेगुलर बीएड एक वर्ष की होती है जबकि पत्राचार से 2 वर्ष की। प्रदेश में केवल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्राचार से बीएड कराई जाती है। वहां भी इसके लिए कुल निर्धारित 500 सीटें हैं। शिक्षा मंत्री से मिले प्रतिनिधिमंडल में शामिल पवन कुमार के अनुसार चूंकि केवल 500 सीटें ही उपलब्ध हैं इसलिए इतने शिक्षकों को बीएड करने के लिए 5 से 6 वर्ष तो इंतजार में ही लग जाएंगे। इस अवधि में बीएड कर पाना संभव नहीं।
हटाई जाए बीएड की शर्त
शिक्षामंत्री को दिए ज्ञापन में शिक्षकों ने मांग की है कि या तो बीएड की शर्त को हटाया जाए या फिर इसकी समय अवधि इतनी बढ़ाई जाए कि सभी को बीएड करने का अवसर मिल सके। शिक्षामंत्री ने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल की बात उचित है। इस मामले में क्या किया जा सकता है इस पर हम विचार करके जल्दी ही निर्णय देंगे।
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