प्रदेश सरकार ने राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं की संख्या बढ़ाने की बजाए कम कर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में कदम उठाया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार अब एक
ही इमारत में चल रही दो अलग-अलग
प्राथमिक पाठशालाओं को मर्ज कर
दिया जाएगा। राजकीय कन्या एवं
को-एजुकेशनल
प्राइमरी स्कूलों को मर्ज
किया जाएगा। इस नई व्यवस्था के
चलते न
तो स्कूलों की संख्या बढ़ेगी और न
ही शिक्षकों की, बल्कि जरूरी मूलभूत
सुविधाएं मिलेगी।
शिक्षाविदों की नजर में
शिक्षा विभाग का यह प्रयास
सरकारी स्कूलों में
शिक्षा की छवि सुधारने में मददगार
साबित होगा।
इस नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश
के करीब चार सौ स्कूलों
का चयन किया गया है। इन स्कूलों को मर्ज करने के बाद प्राइमरी स्कूलों की संख्या घटकर दो सौ हो जाएगी। इसका अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि इस योजना के तहत हिसार के नौ खंडों के 40 स्कूलों की सूची तैयार की गई है। इन्हें मर्ज करने के बाद इनकी संख्या 20 हो जाएगी। इस संबंध में हाल ही में शिक्षा विभाग ने पत्र भेजकर सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से उक्त स्कूलों की सूची मांगी थी। स्कूलों पर लगा ताला बता दें कि शिक्षा विभाग स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने में नाकाम रहा है। हिसार में ही विद्यार्थियों की संख्या कम होने के चलते पांच प्राइमरी स्कूलों पर ताला जड़ दिया था। वहीं, स्कूलों में बच्चे न होने के कारण वहां कार्यरत शिक्षक व स्टाफ भी खाली बैठकर घर लौट जाते थे। इसलिए भी स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है, ताकि जहां स्टाफ की कमी है उनमें अतिरिक्त स्टाफ का समायोजन किया जा सके। ये मांगी जानकारी विभाग ने शिक्षा अधिकारियों से प्राथमिक स्कूलों, स्टाफ, शिक्षकों, विद्यार्थियों, कमरों की संख्या, मुख्याध्यापक इत्यादि साधन- संसाधनों की सूची मांगी है। अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि स्कूलों के मर्ज होने पर स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति जरूरी है। राहत की बात यह कि मर्ज होने वाले स्कूल एक ही क्षेत्र के होंगे।
का चयन किया गया है। इन स्कूलों को मर्ज करने के बाद प्राइमरी स्कूलों की संख्या घटकर दो सौ हो जाएगी। इसका अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि इस योजना के तहत हिसार के नौ खंडों के 40 स्कूलों की सूची तैयार की गई है। इन्हें मर्ज करने के बाद इनकी संख्या 20 हो जाएगी। इस संबंध में हाल ही में शिक्षा विभाग ने पत्र भेजकर सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से उक्त स्कूलों की सूची मांगी थी। स्कूलों पर लगा ताला बता दें कि शिक्षा विभाग स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने में नाकाम रहा है। हिसार में ही विद्यार्थियों की संख्या कम होने के चलते पांच प्राइमरी स्कूलों पर ताला जड़ दिया था। वहीं, स्कूलों में बच्चे न होने के कारण वहां कार्यरत शिक्षक व स्टाफ भी खाली बैठकर घर लौट जाते थे। इसलिए भी स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है, ताकि जहां स्टाफ की कमी है उनमें अतिरिक्त स्टाफ का समायोजन किया जा सके। ये मांगी जानकारी विभाग ने शिक्षा अधिकारियों से प्राथमिक स्कूलों, स्टाफ, शिक्षकों, विद्यार्थियों, कमरों की संख्या, मुख्याध्यापक इत्यादि साधन- संसाधनों की सूची मांगी है। अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि स्कूलों के मर्ज होने पर स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति जरूरी है। राहत की बात यह कि मर्ज होने वाले स्कूल एक ही क्षेत्र के होंगे।
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