पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रशासनिक स्तर पर किए अपने ही फैसले को पलटते हुए एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि मृतक कर्मचारी के माता पिता फैमिली पेंशन के हकदार हैं। जस्टिस दया चौधरी ने फैसले में कहा कि फैमिली पेंशन का मकसद मृतक कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहयोग पहुंचाना है। ऐसे में मृतक के परिवार में उसकी विधवा पत्नी व बच्चे ही शामिल नहीं है बल्कि वृद्ध माता पिता भी परिवार का हिस्सा है। हाईकोर्ट का यह फैसला 77 वर्षीय महिला भंती देवी की याचिका पर सामने आया। याचिका में भंती देवी ने कहा कि उनका बेटा वीरेंद्र सिंह फतेहाबाद जिला एवं सत्र अदालत में प्रोसेस सर्वर का काम करता था। वीरेंद्र का अपनी पत्नी से तलाक हो चुका है। वीरेंद्र का निधन हो जाने के बाद उसका एक नाबालिग बेटा भी उनके साथ रह रहा है।
याचिका में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के फैसले को खारिज करने की मांग की गई जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट ने प्रशासनिक स्तर पर वीरेंद्र के निधन के बाद उसकी पत्नी को पेंशन लाभ देने का फैसला लिया। मृतक की मां फैमिली के दायरे मेंं नहीं आती। ऐसे में वह पेंशन पाने की हकदार नहीं है। याची के वकील ने कहा कि वीरेंद्र की मां के साथ ही वीरेंद्र का बेटा भी रह रहा है। इन परिस्थितियों में तलाकशुदा पत्नी का मृतक पति के पेंशन लाभ पर कोई अधिकार नहीं है।
जस्टिस दया चौधरी ने फैसले में कहा कि मृतक की मां की आय का कोई साधन नहीं है। उनकी आयु 77 वर्ष है और साथ ही वे मृतक के बेटे की देखभाल भी कर रही हैं। अदालत में ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया जिससे साबित होता हो कि भंती देवी की आय का साधन है। दूसरी तरफ मृतक की पत्नी तलाक लेकर स्थायी रूप से हर्जाना लेकर अलग रह रही है। ऐसे में मृतक की 50 फीसदी फैमिली पेंशन उसकी मां व 50 फीसदी पेंशन लाभ उसके नाबालिग बेटे को दिए जाएं।
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