Tuesday, March 24, 2015

GUEST TEACHERS KA MAHA PADAV KARNAL ME

अश्विनी शर्मा, करनाल 1पिछले 10 साल से आंदोलन की राह पर डटकर नियमित होने की मांग पर अड़े अतिथि शिक्षकों के सामने एक बार फिर ताकत दिखाने का समय आ गया है। इससे पहले भी करीब 10 बार महापड़ाव के रूप में आंदोलन हो चुका है, लेकिन किसी न किसी वजह से ठोस परिणाम हाथ में आए बिना ही आंदोलन को स्थगित कर दिया गया। इस समय फिर महापड़ाव सीएम सिटी में डाल दिया गया है। इस बार अतिथि शिक्षकों ने ठान लिया है कि उनके पक्ष में पुख्ता निर्णय नहीं आने तक मैदान नहीं छोड़ा जाएगा। एक अदद सवाल यही है कि क्या अतिथि शिक्षकों का यह महापड़ाव रंग लाएगा या फिर पूर्व में हुए आंदोलन की तरह ही महज आश्वासन पर फिर शिक्षक मान जाएगा। 1 अतिथि अध्यापक संघ के बैनर तले लगातार संघर्ष कर रहे शिक्षकों के सामने बहन राजरानी की शहादत है तो साथ ही परिवार के सामने खड़े हो रहे रोजी रोटी का संकट भी। अतिथि शिक्षक मानते हैं कि एक ओर वह नियमित होने के वादे पर भाजपा के साथ चल दिए थे और दूसरी
तरफ अब यही भाजपा सरकार उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की फिराक में है। ऐसे में इस महापड़ाव की सफलता अतिथि शिक्षकों के भविष्य पर खासा असर डालने वाली साबित हो सकती है। तकनीकी तौर पर शिक्षकों को नियमित करने में कोई अड़चन हो सकती है, लेकिन महापड़ाव उन्हें नियमित करने की सरकार की प्रबल इच्छा को जानने में भी अहम साबित होगा। यही बात सरकार के सामने भी है कि वह अपने वादे अनुसार अतिथि शिक्षकों को आश्वस्त कर दे कि वह उनके साथ है। क्योंकि मंगलवार को उनकी शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा से बातचीत होगी तो सभी शिक्षकों के जेहन में वही वादा सामने आएगा, जब शर्मा ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे इन शिक्षकों से वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें नियमित कर दिया जाएगा। अब शिक्षा मंत्री के तौर पर शर्मा अतिथि शिक्षकों के सामने होंगे तो वह किस तरह से उन्हें मना पाते हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा शास्त्री कहते हैं कि उनकी उम्र 43 बरस हो चुकी है। करीब 10 साल से अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उनकी तरह ही करीब 80 प्रतिशत शिक्षक 40 साल की उम्र पार कर चुके हैं।अश्विनी शर्मा, करनाल 1पिछले 10 साल से आंदोलन की राह पर डटकर नियमित होने की मांग पर अड़े अतिथि शिक्षकों के सामने एक बार फिर ताकत दिखाने का समय आ गया है। इससे पहले भी करीब 10 बार महापड़ाव के रूप में आंदोलन हो चुका है, लेकिन किसी न किसी वजह से ठोस परिणाम हाथ में आए बिना ही आंदोलन को स्थगित कर दिया गया। इस समय फिर महापड़ाव सीएम सिटी में डाल दिया गया है। इस बार अतिथि शिक्षकों ने ठान लिया है कि उनके पक्ष में पुख्ता निर्णय नहीं आने तक मैदान नहीं छोड़ा जाएगा। एक अदद सवाल यही है कि क्या अतिथि शिक्षकों का यह महापड़ाव रंग लाएगा या फिर पूर्व में हुए आंदोलन की तरह ही महज आश्वासन पर फिर शिक्षक मान जाएगा। 1 अतिथि अध्यापक संघ के बैनर तले लगातार संघर्ष कर रहे शिक्षकों के सामने बहन राजरानी की शहादत है तो साथ ही परिवार के सामने खड़े हो रहे रोजी रोटी का संकट भी। अतिथि शिक्षक मानते हैं कि एक ओर वह नियमित होने के वादे पर भाजपा के साथ चल दिए थे और दूसरी तरफ अब यही भाजपा सरकार उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने की फिराक में है। ऐसे में इस महापड़ाव की सफलता अतिथि शिक्षकों के भविष्य पर खासा असर डालने वाली साबित हो सकती है। तकनीकी तौर पर शिक्षकों को नियमित करने में कोई अड़चन हो सकती है, लेकिन महापड़ाव उन्हें नियमित करने की सरकार की प्रबल इच्छा को जानने में भी अहम साबित होगा। यही बात सरकार के सामने भी है कि वह अपने वादे अनुसार अतिथि शिक्षकों को आश्वस्त कर दे कि वह उनके साथ है। क्योंकि मंगलवार को उनकी शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा से बातचीत होगी तो सभी शिक्षकों के जेहन में वही वादा सामने आएगा, जब शर्मा ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे इन शिक्षकों से वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें नियमित कर दिया जाएगा। अब शिक्षा मंत्री के तौर पर शर्मा अतिथि शिक्षकों के सामने होंगे तो वह किस तरह से उन्हें मना पाते हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा शास्त्री कहते हैं कि उनकी उम्र 43 बरस हो चुकी है। करीब 10 साल से अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उनकी तरह ही करीब 80 प्रतिशत शिक्षक 40 साल की उम्र पार कर चुके हैं।

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