Thursday, March 26, 2015

AB SHIKSHKO SE SHIKSHAN KE ALAVA KOI KAAM NAHI

 इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों से अध्ययन के अलावा अन्य कार्य लिए जाने के अवैध ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना राज्य का वैधानिक दायित्व है और इसकी जिम्मेदारी से निर्वहन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने राशन कार्ड सत्यापन में शिक्षकों को लगाए जाने को गलत माना है। कहा है कि अध्यापकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जा सकता। उनसे जनगणना, चुनाव ड्यूटी या आपदा के समय ही अतिरिक्त कार्य लिया जा सकता है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डा. डीवाई चन्द्रचूड तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुनीता शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21(4) एवं अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 के अन्तर्गत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है। राशनकार्ड सत्यापन
अभियान के लिए मुख्य सचिव के परिपत्र में अध्यापकों को लगाने का उल्लेख नहीं है। जिला आपूर्ति अधिकारी, इलाहाबाद ने परिपत्र के विपरीत बिना विधिक प्राधिकार के अध्यापकों को सत्यापन कार्य में लगाया। सत्यापन 2 फरवरी से 27 फरवरी तक कराया गया। सरकार का कहना था कि यह कार्य शिक्षण अवधि के बाद खाली समय में लिया गया। इससे शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं हुआ। कोर्ट ने इसे सही नहीं माना और कहा कि अध्यापकों से सत्यापन कार्य नहीं लिया जा सकता। सरकार चाहे तो अपने कर्मचारियों के अलावा संविदा पर कार्य करा सकती है। याची के अधिवक्ता विजय चन्द्र श्रीवास्तव का कहना था कि अध्यापकों को राशन कार्ड सत्यापन कार्य में लगाने से बच्चों के शिक्षा पाने के अधिकार का उल्लंघन होता है। कोर्ट ने याची के तर्को को सही माना। ----------- इन योजनाओं से छुटकारा -पल्स पोलियो, मिड-डे मील, बाल गणना, आर्थिक गणना, लैपटाप वितरण आदि..। ------------- करने पड़ेंगे यह काम -जनगणना, चुनाव ड्यूटी और आपदा के समय सौंपी गई जिम्मेदारियां ---------------- उच्च न्यायालय के फैसले से प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी। शिक्षकों को भी इससे राहत मिलेगी। संघ फैसले का स्वागत करता है। -लल्लन मिश्र अध्यक्ष- उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ

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