Saturday, September 28, 2013

RIGHT TO REJECT EK SWAGATYOGYA FAISLA

नई दिल्ली। मतदाताओं के पास अब चुनाव में सभी उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार भी होगा। वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नकारात्मक वोट का बटन दबाकर सभी उम्मीदवारों के लिए अपनी नापसंदगी जाहिर कर सकेंगे। शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में नकारात्मक मतदान को मंजूरी दे दी। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि राजनीतिक दल योग्य उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने के लिए बाध्य हों, इसके लिए मतदाता को नापसंदगी का अधिकार देना जरूरी है। चीफ जस्टिस पी सदाशिवम, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने निर्वाचन आयोग से कहा कि ईवीएम में ‘इनमें से
कोई नहीं’ के बटन की व्यवस्था की जाए। पीठ ने कहा कि मतदान में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी के लिए नकारात्मक वोटिंग जरूरी है। लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए यह बेहद आवश्यक है कि सबसे योग्य व्यक्ति को जनप्रतिनिधि चुना जाए। उच्च मानदंड तथा नैतिक मूल्यों के बल पर ही सर्वश्रेष्ठ लोगों को संसद या विधानसभा में लाया जा सकता है। एक जीवंत लोकतंत्र के संपूर्ण विकास के लिए ‘उपर्युक्त में से कोई नहीं’ का विकल्प बेहद जरूरी है। संबंधित पेज 10 पर •सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मतदान लोकतंत्र का मूलमंत्र है। प्रत्येक बालिग मतदाता का यह वैधानिक अधिकार है कि वह अपने पसंद के उम्मीदवार को अपना प्रतिनिधि चुने। नकारात्मक मतदान से समूची निर्वाचन प्रक्रिया में शुद्धता आएगी। नकारात्मक मतदान चुनाव प्रक्रिया में व्यवस्थित तरीके से बदलाव लाएगा क्योंकि राजनीतिक दलों को जनता की इच्छा मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। यदि बड़ी संख्या में लोग उनके प्रत्याशियों को अस्वीकार कर देंगे तो फिर उन्हें साफ सुथरी छवि के प्रत्याशी खड़े करने पड़ेंगे। पीठ ने कहा कि मतदान करना किसी व्यक्ति का अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा है और यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) में दिया गया है। किसी भी व्यक्ति को नकारात्मक मतदान की अनुमति नहीं देने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मकसद ही विफल हो जाता है। पीठ ने कहा कि दुनिया के 13 देशों में नकारात्मक मतदान की व्यवस्था है। सुप्रीम कोर्ट ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबटर्जी (पीयूसीएल) की जनहित याचिका पर 48 पन्नों के फैसले में कहा कि मौजूदा स्थिति स्पष्ट रूप से नकारात्मक मतदान की नितांत आवश्यकता को इंगित करती है। चुनाव में नकारात्मक मतदान की व्यवस्था के संदर्भ में अदालत ने संसद में मतदान व्यवस्था का भी उल्लेख किया है जहां- हां, नहीं और अलग रहना जैसे तीन बटन मतदान मशीन में होेते हैं। अदालत ने कहा कि इस तरह यह देखा जा सकता है कि सदस्यों को अलग रहने का बटन दबाने का विकल्प प्रदान किया गया है। इस तरह इनमें से कोई नहीं के बटन की सुविधा याचिकाकर्ताओं ने मांगी है ताकि उपयुक्त प्रत्याशी नहीं होने पर मतदाता इससे अलग रहने के विकल्प का इस्तेमाल कर सके। फिलहाल यह है व्यवस्था ः चुनाव आचार संहिता 1961 में नियम 49-ओ के तहत नापसंदगी जाहिर करने के लिए कोई फार्म नहीं है। ईवीएम मशीन तक जाने के बाद अगर मतदाता को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आता है तो वह पीठासीन अधिकारी को जानकारी देता है। फिर पीठासीन अधिकारी 17-ए रजिस्टर पर टिप्पणी करेगा कि मतदान से इंकार किया। ज्यादातर मतदाताओं को अभी इस अधिकार की जानकारी ही नहीं है।

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