दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन शुभ समय
मुहूर्त्त समय पर ही किया जाना चाहिए. पूजा को सांयकाल अथवा अर्द्धरात्रि
को अपने शहर व स्थान के मुहुर्त्त के अनुसार ही करना चाहिए. इस वर्ष 3
नवम्बर, 2013 को रविवार के दिन दिवाली मनाई जाएगी. स्वाती नक्षत्र का
काल रहेगा, इस दिन प्रीति योग तथा चन्दमा तुला राशि में संचार करेगा.
दीपावली में अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न व चौघाडिया मुहूर्त
विशेष महत्व रखते है.
3 नवम्बर 2013, रविवार के दिन 17:33 से लेकर 02 घण्टे 24 मिनट तक
प्रदोष काल रहेगा. इसे दिपावली पूजन के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में उपयोग
करते हैं. इस दिन पूजा स्थिर लग्न में करनी चाहिए क्योंकि शास्त्रों के
अनुसार स्थिर लग्न दिवाली पूजा में उतम माना जाता है. इस दिन प्रदोष काल व
स्थिर लग्न का समय सांय 18:15 से 20:09 तक रहेगा. इसके पश्चात 18:00 से
21:00 तक शुभ चौघडिया भी रहने से मुहुर्त की शुभता बनी रहेगी.
अपसर्पन्त्विति मन्त्रस्य वामदेव ऋषि:, शिवो देवता, अनुष्टुप छन्द:, भूतादिविघ्नोत्सादने विनियोग:।
मंत्र :- अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूतले स्थिता:।
ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ||
लक्ष्मी व गणेश के चित्र, श्री यंत्र को लाल वस्त्र बिछाकर चौकी पर स्थापित करें. आसन पर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर बैठे तथा यह मंत्र बोल कर अपने उपर व पूजन सामग्री पर जल छिड़कना चाहिए.
मंत्र:- ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।
उसके बाद जल-अक्षत लेकर पूजन का संकल्प करें- ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरूषस्य विष्णोराज्ञप्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोSह्नि द्वितीयपराधें श्रीश्वेतवाराहकल्पे वीवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे आर्यावर्तैकदेशे अद्य मासोत्तमे मासे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे पुण्यायाममावास्यायां तिथि, वार और गोत्र के नाम का उच्चारण करना चाहिए,
अहंश्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलावाप्तिकामनया ज्ञाताज्ञातकायिकवाचिकमानसिक सकलपापनिवृत्तिपूर्वकं स्थिरलक्ष्मीप्राप्तये श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थं महालक्ष्मीपूजनं कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये। तदड्त्वेन गौरीगणपत्यादिपूजनं च करिष्ये।
अब संकल्प का जल भूमि पर छोड़ दें. सर्वप्रथम भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए. इसके बाद गंध, अक्षत, पुष्प इत्यादि से कलश पूजन तथा उसमें स्थित देवों का षोडशपूजन करें. तत्पश्चात प्रधान पूजा में मंत्रों द्वारा भगवती महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें. पूजन पूर्व श्री यंत्र, शंख, सिक्कों आदि की मंत्र द्वारा पूजा करनी चाहिए. लाल कमल पुष्प लेकर मंत्र से देवी का ध्यान करना चाहिए,
कर-कमल-धृतेष्टा, भीति-युग्माम्बुजा च।
मणि-मुकुट-विचित्रालंकृता कल्प-जालैर्भवतु-
भुवन-माता सततं श्रीः श्रियै नः।।
विधिवत रुप से श्रीमहालक्ष्मी का पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए. इस दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है.
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥.ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता
उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता ,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
श्रद्धा और भक्ति के साथ नमन करते हुए प्रार्थना करे के माता रानी आपके घर में प्रसन्नता के साथ सदा निवास करे .
दीपावली के अगले दिन ही पूजा का सामान हटाये और बहते पानी में विसर्जित करें .
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
लक्ष्मी पूजन सामग्री | Material For Lakshmi Worship
दीपावली: लक्ष्मी पूजन में ऐसे सजाएं पूजा की थाली
दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाना अति आवश्यक
है। तभी देवी लक्ष्मी की कृपा तुरंत ही प्राप्त होती है। पूजन के समय सबसे
जरूरी है कि पूजा की थाली शास्त्रों के अनुसार सजाई जाए।पूजा की थाली के
संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन
थालियां सजानी चाहिए।
- पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रखें कर सजाएं।
- दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम से सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुंकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें।
- तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक। इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।
लक्ष्मी पूजन विधि व नियम | Rituals To Worship Goddess Lakshmi
लक्ष्मी पूजन घर के पूजा स्थल या तिजोरी रखने वाले स्थान पर करना चाहिए, व्यापारियों को अपनी तिजोरी के स्थान पर पूजन करना चाहिए. उक्त स्थान को गंगा जल से पवित्र करके शुद्ध कर लेना चाहिए, द्वारा व कक्ष में रंगोली को बनाना चाहिए, देवी लक्ष्मी को रंगोली अत्यंत प्रिय है. सांयकल में लक्ष्मी पूजन समय स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रों को धारण करना चाहिए विनियोग द्वारा पूजन क्रम आरंभ करें.अपसर्पन्त्विति मन्त्रस्य वामदेव ऋषि:, शिवो देवता, अनुष्टुप छन्द:, भूतादिविघ्नोत्सादने विनियोग:।
मंत्र :- अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूतले स्थिता:।
ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ||
लक्ष्मी व गणेश के चित्र, श्री यंत्र को लाल वस्त्र बिछाकर चौकी पर स्थापित करें. आसन पर पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर बैठे तथा यह मंत्र बोल कर अपने उपर व पूजन सामग्री पर जल छिड़कना चाहिए.
मंत्र:- ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।
उसके बाद जल-अक्षत लेकर पूजन का संकल्प करें- ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरूषस्य विष्णोराज्ञप्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोSह्नि द्वितीयपराधें श्रीश्वेतवाराहकल्पे वीवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे आर्यावर्तैकदेशे अद्य मासोत्तमे मासे कार्तिकमासे कृष्णपक्षे पुण्यायाममावास्यायां तिथि, वार और गोत्र के नाम का उच्चारण करना चाहिए,
अहंश्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलावाप्तिकामनया ज्ञाताज्ञातकायिकवाचिकमानसिक सकलपापनिवृत्तिपूर्वकं स्थिरलक्ष्मीप्राप्तये श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्यर्थं महालक्ष्मीपूजनं कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये। तदड्त्वेन गौरीगणपत्यादिपूजनं च करिष्ये।
अब संकल्प का जल भूमि पर छोड़ दें. सर्वप्रथम भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए. इसके बाद गंध, अक्षत, पुष्प इत्यादि से कलश पूजन तथा उसमें स्थित देवों का षोडशपूजन करें. तत्पश्चात प्रधान पूजा में मंत्रों द्वारा भगवती महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें. पूजन पूर्व श्री यंत्र, शंख, सिक्कों आदि की मंत्र द्वारा पूजा करनी चाहिए. लाल कमल पुष्प लेकर मंत्र से देवी का ध्यान करना चाहिए,
न्यास | Nyas
श्रीआनन्द कर्दम चिक्लीतेन्दिरा सुता ऋषिभ्यो नमः शिरसि। अनुष्टुप् वृहति प्रस्तार पंक्ति छन्दोभ्यो नमः मुखे। श्रीमहालक्ष्मी देवताय नमः हृदि। श्रीमहा लक्ष्मी प्रसाद सिद्धयर्थे राज वश्यार्थे सर्व स्त्री पुरुष वश्यार्थे महा मन्त्र जपे विनियोगाय नमः।कर-न्यास | Kar - Nyas
ॐ हिरण्मय्यै अंगुष्ठाभ्यां नमः। ॐ चन्द्रायै तर्जनीभ्यां स्वाहा। ॐ रजत-स्त्रजायै मध्यमाभ्यां वषट्। ॐ हिरण्य-स्त्रजायै अनामिकाभ्यां हुं। ॐ हिरण्य-स्त्रक्षायै कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्। ॐ हिरण्य-वर्णायै कर-तल-करपृष्ठाभ्यां फट्।अंग-न्यास | Ang - Nyas
ॐ हिरण्मय्यै नमः हृदयाय नमः। ॐ चन्द्रायै नमः शिरसे स्वाहा। ॐ रजत-स्त्रजायै नमः शिखायै वषट्। ॐ हिरण्य-स्त्रजायै नमः कवचाय हुं। ॐ हिरण्य-स्त्रक्षायै नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्। ॐ हिरण्य-वर्णायै नमः अस्त्राय फट्।ध्यान | Meditation
ॐ अरुण-कमल-संस्था, तद्रजः पुञ्ज-वर्णा,कर-कमल-धृतेष्टा, भीति-युग्माम्बुजा च।
मणि-मुकुट-विचित्रालंकृता कल्प-जालैर्भवतु-
भुवन-माता सततं श्रीः श्रियै नः।।
महामन्त्र | Maha Mantra
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये मह्य प्रसीद-प्रसीद महा-लक्ष्मि, ते नमः।विधिवत रुप से श्रीमहालक्ष्मी का पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए. इस दिन की विशेषता लक्ष्मी जी के पूजन से संबन्धित है. इस दिन हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी के पूजन के रुप में उनका स्वागत किया जाता है.
श्री गणेश जी की आरती
वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभा:।
विर्वध्नं कुरु में देव, सर्वकार्येरुषु सवर्दा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवामाता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवामाता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लडडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवामाता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।।
सुर श्याम शरण आये सफल किजे सेवा ।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणोश देवा ।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥.ॐ जय लक्ष्मी माता....
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता
उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता ,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ॐ जय लक्ष्मी माता....
Hindu Festival Calendar November - 2013हिन्दु त्यौहार | |
Date | त्यौहार/Festivals |
1नवम्बर
2013 (1 November 2013) | धन तेरस, धन्वन्तरि जयंती Dhan Teras, Dhanvantari Jayanti |
2नवम्बर
2013 (2 November 2013) | नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती Narak Chaturdashi, Hanuman Jayanti |
3नवम्बर
2013 (3 November 2013) | दीपावली, लक्ष्मी-कुबेर पूजा, स्नान-दान-श्राद्ध अमावस्या Deepawali, Lakshmi- Kuber Puja, Snaan Daan Shraddh Amavasya |
4नवम्बर
2013 (4 November 2013) | अन्नकूट, गोवर्धन पूजा Annakoot, Govardhan Puja |
5नवम्बर
2013 (5 November 2013) | भातृ द्वितीया, भैयादूज, चित्रगुप्त पूजा, चन्द्रदर्शन Bhatra Dwitiya, Bhaiyadooj, Chitragupta Puja, Chandra Darshan |
11नवम्बर
2013 (11 November 2013) | अक्षय नवमी, कूष्माण्ड नवमी Akshaya Navami, Kushmaand Navami |
13नवम्बर
2013 (13 November 2013) | तुलसी विवाह Tulsi Vivah |
16नवम्बर
2013 (16 November 2013) | वैकुण्ठ चतुर्दशी, श्री काशी विश्वनाथ प्रतिष्ठा दिवस Vaikunth Chaturdashi, Shri Kaashi Vishwanath Pratishtha Diwas |
17नवम्बर
2013 (17 November 2013) | स्नान-दानादि पूर्णिमा, देव दीपावली Snaan-Daanaadi Purnima, Dev Deepawali |
दीपावली के अगले दिन ही पूजा का सामान हटाये और बहते पानी में विसर्जित करें .
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
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