हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने मोडरेशन नीति से हाथ पीछे खींच लिए है। कई वर्षो के इतिहास में पहली बार 12वीं कक्षा का वार्षिक परीक्षा परिणाम बगैर मोडरेशन के घोषित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने वर्ष 2011 में आरटीआइ के माध्यम से खुलासा किया था। इस दौरान आरटीआइ से पता चला था कि शिक्षा बोर्ड प्रशासन हर बार परीक्षा परिणाम सुधारने के नाम पर हर छात्र को 40 से 45 अंक मुफ्त में ही दे
देता है। ऐसे में फिसड्डी छात्र तो मेरिट में आसानी से आ जाते थे और पप्पू तो बिना पढ़े ही पास हो जाते थे। मोडरेशन का सबसे बड़ा खामियाजा उन टॉपर छात्रों को उठाना पड़ता था, जिनके बराबर में बिना पढ़ने वाले छात्र भी आ खड़े होते थे। ऐसे में प्रतिस्पर्धा की भावना तो पुरी तरह से समाप्त हो रही थी। हालांकि आज भी सीबीएसई व दूसरे शिक्षा बोर्ड भी मोडरेशन को अपना रहे है। यदि बैठे बिठाए छात्रों को 30 से 40 अंक देने है तो हर बार परीक्षाओं नकल रोकने के नाम पर 50 लाख से अधिक राशि खर्च कर उड़नदस्ते गठित करने की आवश्यकता ही क्या थी। इन तमाम सवालों को केंद्रित करती स्टोरी दैनिक जागरण में प्रकाशित की गई। आखिर इस पर शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने भी मनन किया और पहली बार बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम बगैर मोडरेशन के कल घोषित किया जा रहा है। इस बारे में शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. केसी भारद्वाज ने कहा कि उनकी नीति स्पष्ट है। छात्र जितनी मेहनत करे, उतना ही उनका फल मिले। इसी से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होगी।
देता है। ऐसे में फिसड्डी छात्र तो मेरिट में आसानी से आ जाते थे और पप्पू तो बिना पढ़े ही पास हो जाते थे। मोडरेशन का सबसे बड़ा खामियाजा उन टॉपर छात्रों को उठाना पड़ता था, जिनके बराबर में बिना पढ़ने वाले छात्र भी आ खड़े होते थे। ऐसे में प्रतिस्पर्धा की भावना तो पुरी तरह से समाप्त हो रही थी। हालांकि आज भी सीबीएसई व दूसरे शिक्षा बोर्ड भी मोडरेशन को अपना रहे है। यदि बैठे बिठाए छात्रों को 30 से 40 अंक देने है तो हर बार परीक्षाओं नकल रोकने के नाम पर 50 लाख से अधिक राशि खर्च कर उड़नदस्ते गठित करने की आवश्यकता ही क्या थी। इन तमाम सवालों को केंद्रित करती स्टोरी दैनिक जागरण में प्रकाशित की गई। आखिर इस पर शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने भी मनन किया और पहली बार बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम बगैर मोडरेशन के कल घोषित किया जा रहा है। इस बारे में शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. केसी भारद्वाज ने कहा कि उनकी नीति स्पष्ट है। छात्र जितनी मेहनत करे, उतना ही उनका फल मिले। इसी से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होगी।
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