चंडीगढ़। हरियाणा शिक्षा भर्ती बोर्ड के गठन के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा टीचरों के चयन परिणाम पर रोक जारी है। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार के वकील ने इस मामले में अपना पक्ष रखने को हाईकोर्ट से कुछ समय की मोहलत देने का आग्रह किया। कार्यवाहक चीफ जस्टिस जसबीर सिंह एवं जस्टिस आरके जैन पर आधारित खंडपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार कर मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। आगामी सुनवाई 20 मई को निर्धारित की गई है।
यह है मामला ः
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में हरियाणा शिक्षा भर्ती बोर्ड के चेयरमैन नंद लाल पूनिया और अन्य
सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाकर बोर्ड को निरस्त करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है। याचिका में दलील दी गई है कि राजनीतिक हस्तियों के करीबियाें का इस बोर्ड में हस्तक्षेप अधिक है और नियुक्ति प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर हरियाणा शिक्षा भर्ती बोर्ड के टीचराें के चयन परिणाम पर रोक लगा दी थी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्कूल टीचर्स सिलेक्शन बोर्ड द्वारा 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़े रिजल्ट को घोषित करने पर रोक जारी रखी है। सरकार के जवाब दायर करने के लिए समय मांगने पर कोर्ट ने उसे एक सप्ताह का समय देते हुए जवाब दायर करने को कहा। पिंजौर के विजय बंसल ने याचिका दायर कर बोर्ड को खारिज करने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि बोर्ड का गठन अनुचित ढंग से किया गया है इसलिए उसकी ओर से की जाने वाली सभी सिलेक्शन पर रोक लगाई जाए। याचिका मेंं कहा गया कि बोर्ड
चेयरमैन नंद लाल पूनियां मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार हैं। बोर्ड के सदस्य जगदीश प्रसाद मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह के भाई हैं जबकि एक अन्य सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस मुख्यमंत्री के बेटे के टीचर रहे हैं। बोर्ड इस समय 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ा है। पारदर्शिता के लिए बोर्ड को खारिज कर ये भर्ती एचपीएससी से कराई जाए। इस पर हाईकोर्ट ने नियुक्तियों का परिणाम घोषित करने पर रोक बरकरार रखी। चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की रिटायरमेंट ऐज भी 72 वर्ष कर दी गई। याचिका में बोर्ड चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति करने वाले पैनल पर भी सवाल उठाया गया। उठाते हुए कहा गया कि नियुक्ति करने वालों में हरियाणा की उस समय मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी शामिल हैं। जिन्हें बाद में राज्य सूचना आयुक्त बना दिया गया था। इस नियुक्ति को हाईकोर्ट से खारिज करने की मांग की गई है जिस पर सुनवाई विचाराधीन है। इसके अलावा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डीपीएस संधू शामिल रहे जो मुख्यमंत्री के सहपाठी रहे हैं। ऐसे में सही चयन की उम्मीद करना संभव नहीं हो सकता।
सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाकर बोर्ड को निरस्त करने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है। याचिका में दलील दी गई है कि राजनीतिक हस्तियों के करीबियाें का इस बोर्ड में हस्तक्षेप अधिक है और नियुक्ति प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर हरियाणा शिक्षा भर्ती बोर्ड के टीचराें के चयन परिणाम पर रोक लगा दी थी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्कूल टीचर्स सिलेक्शन बोर्ड द्वारा 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़े रिजल्ट को घोषित करने पर रोक जारी रखी है। सरकार के जवाब दायर करने के लिए समय मांगने पर कोर्ट ने उसे एक सप्ताह का समय देते हुए जवाब दायर करने को कहा। पिंजौर के विजय बंसल ने याचिका दायर कर बोर्ड को खारिज करने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि बोर्ड का गठन अनुचित ढंग से किया गया है इसलिए उसकी ओर से की जाने वाली सभी सिलेक्शन पर रोक लगाई जाए। याचिका मेंं कहा गया कि बोर्ड
चेयरमैन नंद लाल पूनियां मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार हैं। बोर्ड के सदस्य जगदीश प्रसाद मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह के भाई हैं जबकि एक अन्य सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस मुख्यमंत्री के बेटे के टीचर रहे हैं। बोर्ड इस समय 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ा है। पारदर्शिता के लिए बोर्ड को खारिज कर ये भर्ती एचपीएससी से कराई जाए। इस पर हाईकोर्ट ने नियुक्तियों का परिणाम घोषित करने पर रोक बरकरार रखी। चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की रिटायरमेंट ऐज भी 72 वर्ष कर दी गई। याचिका में बोर्ड चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति करने वाले पैनल पर भी सवाल उठाया गया। उठाते हुए कहा गया कि नियुक्ति करने वालों में हरियाणा की उस समय मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी शामिल हैं। जिन्हें बाद में राज्य सूचना आयुक्त बना दिया गया था। इस नियुक्ति को हाईकोर्ट से खारिज करने की मांग की गई है जिस पर सुनवाई विचाराधीन है। इसके अलावा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डीपीएस संधू शामिल रहे जो मुख्यमंत्री के सहपाठी रहे हैं। ऐसे में सही चयन की उम्मीद करना संभव नहीं हो सकता।
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