Friday, August 29, 2014

GUEST TEACHERS KI REGULARISATION POLICY KO HIGH COURT ME CHUNOTI

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा कई सालों से कार्यरत गेस्ट टीचर को नियमित करने की दस साल की नीति विवाद में आ गई है। इसे चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस टीएस ढींढसा पर आधारित खंडपीठ ने सरकार से जवाब तलब किया है।1गौरतलब है कि सरकार ने पंद्रह हजार से ज्यादा गेस्ट टीचरों को नियमित करने के लिए दस साल की पॉलिसी लागू की है। रेवाड़ी निवासी अनिल कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि हरियाणा सरकार ने 7 जुलाई को इन कर्मचारियों को नियमित करने के लिए दस साल की नीति का जो आदेश जारी किया है वह पूरी तरह से गैर-कानूनी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2006 में उमा देवी के केस में पांच जजों की खंडपीठ द्वारा दिए गए फैसले के भी खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट अपने आदेशों में कह चुका है कि बिना तय प्रक्रिया के नियुक्त किये गए कॉन्ट्रेक्ट, एडहॉक एवं अस्थायी कर्मियों को नियमित नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा किया जाता है तो यह उन योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा जो तय
प्रक्रिया के तहत अपनी नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि वह नियमित नियुक्तियां करे अन्यथा राज्य सरकारें गैर-कानूनी तरीके से कॉन्ट्रेक्ट, एडहॉक एवं अस्थायी कर्मियों की नियुक्तियां कर ही काम चलती रहेंगी। 1सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के अनुसार सिर्फ एक बार ही कर्मचारियों को यह फायदा दिया जा सकता है और हरियाणा सरकार वर्ष 2011 में कई कर्मचारियों को पहले ही नियमित कर चुकी है। 1परन्तु अब हरियाणा सरकार एक बार फिर ठीक विधानसभा चुनावों से पहले कर्मचारियों को नियमित करने जा रही है जो न सिर्फ गलत गलत है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना भी है। सरकार सीधे तौर पर पिछले दरवाजे से पहले नियुक्तियां कर रही है और अब इन नियुक्त किये गए कर्मियों को नियमित किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने सरकार द्वारा इन कर्मियों को नियमित किये जाने के फैसले पर रोक लगाये जाने की हाई कोर्ट से मांग की है। 1याचिका में बताया कि हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक गेस्ट टीचर के खिलाफ फैसला आया है फिर भी सरकार अग्रिम नीति बनाकर दस साल की नीति के तहत इनको पक्का करने का कदम उठा रही है।

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